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आज भी जारी रहेगी निर्दलीय विधायकों से जुड़े मामले पर सुनवाई, मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ सुनेगी मामला - Independent MLAs Resignation Case

Himachal Independent MLAs Resignation Case: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने तीन निर्दलीय विधायकों से जुड़े मामले पर आज भी सुनवाई जारी रहेगी. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ मामले को सुनेगी. वहीं, विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया की ओर से हाईकोर्ट में आज सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता कपिल सिब्बल दिल्ली से वर्चुअली जुड़ सकते हैं.

Himachal Independent MLAs Resignation Case
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Apr 25, 2024, 10:07 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में 3 निर्दलीय एमएलए के रिजाइन से जुड़े मामले में आज भी सुनवाई जारी रहेगी. निर्दलीय विधायक देहरा से होशियार सिंह, नालागढ़ से केएल ठाकुर व हमीरपुर से आशीष शर्मा ने इस्तीफे मंजूर न करने और उन्हें स्पीकर की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. जिस पर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ मामले को सुनेगी. वहीं, विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया की ओर से कोर्ट में आज सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता कपिल सिब्बल दिल्ली से वर्चुअली जुड़ सकते हैं. हाईकोर्ट में विधानसभा स्पीकर को नोटिस जारी कर निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा मंजूर न किए जाने पर जवाब मांगा है. हाईकोर्ट में स्पीकर के जवाब को ऑन रिकॉर्ड लिया जाएगा. इसके आधार पर कोर्ट फैसला सुना सकती है.

मुख्य न्यायाधीश की बेंच सुनेगी मामला

तीन निर्दलीय विधायकों से जुड़े मामले को मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ सुनेगी. अदालत ने स्पीकर और विधानसभा सचिवालय की ओर से दायर याचिका का जवाब रिकॉर्ड पर लगाने के आदेश जारी किए हैं. निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफे मंजूर न करने और उन्हें स्पीकर की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी करने के खिलाफ याचिका दायर की है. मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ कर रही है. याचिका में विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया को निजी तौर पर भी पार्टी बनाया गया है, लेकिन कोर्ट ने उन्हें निजी तौर पर नोटिस जारी नहीं किया है.

निर्दलीय विधायकों का तर्क

प्रार्थियों के मुताबिक जब उन्होंने खुद जाकर स्पीकर के समक्ष इस्तीफे दिए, राज्यपाल को इस्तीफे की प्रतिलिपियां सौंपी, विधानसभा के बाहर इस्तीफे मंजूर न करने को लेकर धरने दिए और हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया तो उन पर दबाव में आकर इस्तीफे देने का प्रश्न उठाना किसी भी तरह से तार्किक नहीं लगता. इसलिए इससे बढ़कर उनकी स्वतंत्र इच्छा से बड़ा क्या सबूत हो सकता है.

22 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे थे इस्तीफे

प्रार्थियों के मुताबिक यदि स्पीकर अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए उनके इस्तीफे मंजूर नहीं करता है तो हाईकोर्ट के पास यह शक्तियां हैं कि वह जरूरी आदेश पारित कर उनके इस्तीफों को मंजूरी दे. मामले के अनुसार देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह, नालागढ़ से निर्दलीय विधायक केएल ठाकुर और हमीरपुर से निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा ने विधानसभा की सदस्यता से 22 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष और सचिव को अपने इस्तीफे सौंपे थे. इस्तीफों की एक-एक प्रति राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को भी दी थी. राज्यपाल ने भी इस्तीफों की प्रतियां विधानसभा अध्यक्ष को भेज दी थीं. प्रार्थियों का आरोप है कि विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इन्हें मंजूरी नहीं दी और इस्तीफे के कारण बताने के लिए 10 अप्रैल तक स्पष्टीकरण देने को कहा. इन विधायकों ने कारण बताओ नोटिस को खारिज कर इस्तीफे मंजूर करने की गुहार लगाई है. निर्दलीय विधायकों का कहना है कि जब उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को व्यक्तिगत तौर पर मिलकर इस्तीफे दिए तो उनके इस्तीफे मंजूर की बजाए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करना असंवैधानिक है.

ये भी पढे़ं: हिमाचल के तीनों निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा, CRPF की सुरक्षा में हेलीकॉप्टर में आए शिमला, फिर दिल्ली हुए रवाना

ये भी पढ़ें: इस्तीफा स्वीकार नहीं होने पर निर्दलीय विधायक धरने पर बैठे, स्पीकर के खिलाफ कोर्ट जाने की दी चेतावनी

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में 3 निर्दलीय एमएलए के रिजाइन से जुड़े मामले में आज भी सुनवाई जारी रहेगी. निर्दलीय विधायक देहरा से होशियार सिंह, नालागढ़ से केएल ठाकुर व हमीरपुर से आशीष शर्मा ने इस्तीफे मंजूर न करने और उन्हें स्पीकर की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. जिस पर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ मामले को सुनेगी. वहीं, विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया की ओर से कोर्ट में आज सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता कपिल सिब्बल दिल्ली से वर्चुअली जुड़ सकते हैं. हाईकोर्ट में विधानसभा स्पीकर को नोटिस जारी कर निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा मंजूर न किए जाने पर जवाब मांगा है. हाईकोर्ट में स्पीकर के जवाब को ऑन रिकॉर्ड लिया जाएगा. इसके आधार पर कोर्ट फैसला सुना सकती है.

मुख्य न्यायाधीश की बेंच सुनेगी मामला

तीन निर्दलीय विधायकों से जुड़े मामले को मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ सुनेगी. अदालत ने स्पीकर और विधानसभा सचिवालय की ओर से दायर याचिका का जवाब रिकॉर्ड पर लगाने के आदेश जारी किए हैं. निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफे मंजूर न करने और उन्हें स्पीकर की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी करने के खिलाफ याचिका दायर की है. मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ कर रही है. याचिका में विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया को निजी तौर पर भी पार्टी बनाया गया है, लेकिन कोर्ट ने उन्हें निजी तौर पर नोटिस जारी नहीं किया है.

निर्दलीय विधायकों का तर्क

प्रार्थियों के मुताबिक जब उन्होंने खुद जाकर स्पीकर के समक्ष इस्तीफे दिए, राज्यपाल को इस्तीफे की प्रतिलिपियां सौंपी, विधानसभा के बाहर इस्तीफे मंजूर न करने को लेकर धरने दिए और हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया तो उन पर दबाव में आकर इस्तीफे देने का प्रश्न उठाना किसी भी तरह से तार्किक नहीं लगता. इसलिए इससे बढ़कर उनकी स्वतंत्र इच्छा से बड़ा क्या सबूत हो सकता है.

22 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे थे इस्तीफे

प्रार्थियों के मुताबिक यदि स्पीकर अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए उनके इस्तीफे मंजूर नहीं करता है तो हाईकोर्ट के पास यह शक्तियां हैं कि वह जरूरी आदेश पारित कर उनके इस्तीफों को मंजूरी दे. मामले के अनुसार देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह, नालागढ़ से निर्दलीय विधायक केएल ठाकुर और हमीरपुर से निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा ने विधानसभा की सदस्यता से 22 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष और सचिव को अपने इस्तीफे सौंपे थे. इस्तीफों की एक-एक प्रति राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को भी दी थी. राज्यपाल ने भी इस्तीफों की प्रतियां विधानसभा अध्यक्ष को भेज दी थीं. प्रार्थियों का आरोप है कि विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इन्हें मंजूरी नहीं दी और इस्तीफे के कारण बताने के लिए 10 अप्रैल तक स्पष्टीकरण देने को कहा. इन विधायकों ने कारण बताओ नोटिस को खारिज कर इस्तीफे मंजूर करने की गुहार लगाई है. निर्दलीय विधायकों का कहना है कि जब उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को व्यक्तिगत तौर पर मिलकर इस्तीफे दिए तो उनके इस्तीफे मंजूर की बजाए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करना असंवैधानिक है.

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