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पाक महिला हैंडलर को सामरिक सूचनाएं देने वाले आरोपी सैन्यकर्मी को जमानत - RAJASTHAN HIGH COURT

हाईकोर्ट ने पाकिस्तानी हैंडलर को संवेदनशील सैन्य सूचनाएं देने के आरोप में गिरफ्तार हुए सैन्य कर्मी को जमानत दी.

Rajasthan High Court
हाई कोर्ट ने सैन्य कर्मी को जमानत दी (ETV Bharat Filer Photo)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 19, 2024, 9:32 PM IST

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने पाकिस्तान की महिला हैंडलर को भारतीय सेना से जुड़ी संवेदनशील सूचनाएं देने के आरोप में करीब ढाई साल से जेल में बंद सैन्यकर्मी शांति मोय राणा को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. जस्टिस प्रवीर भटनागर की एकलपीठ ने शांति मोय राणा की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया.

जमानत याचिका में अधिवक्ता सुलेमान खान ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को इस मामले में झूठा फंसाया गया है. निचली अदालत में एक गवाह के बयान से यह स्पष्ट हुआ है कि उसने पाकिस्तान को कोई फोन नहीं किया. इसके अलावा अभियोजन पक्ष के पास याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं हैं. 18 गवाहों में से केवल 6 गवाहों के बयान ही दर्ज हुए हैं और वह 25 जुलाई, 2022 से जेल में बंद हैं. इस कारण उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए.

इसे भी पढ़ें- जासूस कैंटीन संचालक गिरफ्तार, महिला पाक हैंडलर को भेज रहा था संवेदनशील जानकारी

इस विरोध में सरकारी वकील मंजू दवे ने कहा कि याचिकाकर्ता ने गुप्त सूचनाएं देकर इसके बदले में धन प्राप्त किया था. गिरफ्तारी के समय याचिकाकर्ता भारतीय सेना में दो साल से सेवाएं दे रहा था. मुखबिर से मिली सूचना पर जांच की गई, जिसमें यह सामने आया कि उसने पाकिस्तान की महिला हैंडलर को सेना के गोपनीय दस्तावेज और युद्धाभ्यास के वीडियो भेजे थे, इसलिए, उसे जमानत नहीं दी जानी चाहिए. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अदालत ने आरोपित को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने पाकिस्तान की महिला हैंडलर को भारतीय सेना से जुड़ी संवेदनशील सूचनाएं देने के आरोप में करीब ढाई साल से जेल में बंद सैन्यकर्मी शांति मोय राणा को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. जस्टिस प्रवीर भटनागर की एकलपीठ ने शांति मोय राणा की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया.

जमानत याचिका में अधिवक्ता सुलेमान खान ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को इस मामले में झूठा फंसाया गया है. निचली अदालत में एक गवाह के बयान से यह स्पष्ट हुआ है कि उसने पाकिस्तान को कोई फोन नहीं किया. इसके अलावा अभियोजन पक्ष के पास याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं हैं. 18 गवाहों में से केवल 6 गवाहों के बयान ही दर्ज हुए हैं और वह 25 जुलाई, 2022 से जेल में बंद हैं. इस कारण उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए.

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इस विरोध में सरकारी वकील मंजू दवे ने कहा कि याचिकाकर्ता ने गुप्त सूचनाएं देकर इसके बदले में धन प्राप्त किया था. गिरफ्तारी के समय याचिकाकर्ता भारतीय सेना में दो साल से सेवाएं दे रहा था. मुखबिर से मिली सूचना पर जांच की गई, जिसमें यह सामने आया कि उसने पाकिस्तान की महिला हैंडलर को सेना के गोपनीय दस्तावेज और युद्धाभ्यास के वीडियो भेजे थे, इसलिए, उसे जमानत नहीं दी जानी चाहिए. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अदालत ने आरोपित को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.

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