नैनीताल: हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की सोमवार को हुई आम सभा में हाईकोर्ट को नैनीताल से अन्यत्र शिफ्ट करने संबंधी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने का प्रस्ताव पारित हुआ. मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने 8 मई को आदेश पारित कर उच्च न्यायालय को नैनीताल से अन्यत्र शिफ्ट करना आवश्यक बताते हुए सरकार से एक माह के भीतर जगह का चयन करने और कई अन्य निर्देश दिए हैं.
गौर है कि हाईकोर्ट ने पहले बार एसोसिएशन से एक हफ्ते के भीतर हाईकोर्ट शिफ्टिंग के लिए जगह बताने को कहा. किन्तु अगले ही दिन आदेश पारित कर अधिवक्ताओं और आमजन से न्यायालय शिफ्टिंग पर हां या ना में अपना मत रखने को कहा. सोमवार को हुई बैठक में बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद थे. जिसमें अधिवक्ताओं ने अपने मत रखे. अधिवक्ता विकास बहुगुणा ने कहा कि इस न्यायालय को हम सभी ने सींचा है. इसलिए इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाना जरूरी है. आगामी 17 मई से सुप्रीम कोर्ट बंद होने वाली है. इसलिए हमें जल्द कोई बड़ा फैसला लेना चाहिए.
अधिवक्ता डीके जोशी ने कहा कि यह फैसला जल्दबाजी में लिया गया है. यह आदेश राज्य पुनर्गठन विधेयक के विपरीत है. क्योंकि प्रमुख बेंच तय करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास है. राज्य कैबिनेट के आदेश के ऊपर ज्यूडिशियल आदेश किया गया है. अधिवक्ता जितेंद्र चौधरी ने कहा कि एक कमेटी बनाकर पूरी तैयारी से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल करनी चाहिए.
अधिवक्ता विकास गुगलानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता को भी इस मामले में पैरवी के लिए रखना चाहिए. अधिवक्ता उद्योग शुक्ला ने कहा कि आदेश से सभी व्यथित और दुखी हैं. ऑर्डर में बहुत खामियां हैं. अधिवक्ता पूरन रावत, कौशल साह जगाती ने कहा कि नैनीताल में कई जगह ऐसी हैं, जिनका इस्तेमाल न्यायालय के विस्तार के लिए किया जा सकता है. युवा महिला अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी नेगी ने कहा कि आदेश में बार से सहमति नहीं ली गई है. बार और बेंच एक गाड़ी के दो पहिए हैं. इसलिए दोनों को आपसी सामंजस्य के साथ ही चलना चाहिए.
हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष डीसीएस रावत ने कहा कि बार एसोसिएशन एसएलपी में जाएगी. जिसमें सभी अधिवक्ता योगदान करें और जल्दी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता से संपर्क किया जाएगा.
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