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रिश्वत लेने के आरोपी मेरठ नगर निगम कर्मचारी की गिरफ्तारी पर HC ने लगाई रोक - high court - HIGH COURT

रिश्वत लेने के आरोपी मेरठ में नगर निगम कर्मचारी की गिरफ्तारी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट ने अगले आदेश या चार्जशीट दाखिल होने तक गिरफ्तार नहीं किया जाए.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 23, 2024, 10:07 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ में नगर निगम कर्मचारी अनुपम राना उर्फ अनुपम सिंह की देहली गेट थाने में रिश्वत लेने के आरोप में दर्ज मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने अनुपम सिंह के अधिवक्ता विभू राय एवं धनंजय राय और सरकारी वकील को सुनकर दिया है.

मामले के तथ्यों के अनुसार मेरठ नगर निगम का एक क्लर्क और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी डेढ़ लाख रुपये रिश्वत लेने में पकड़े गए थे. याची पर आरोप है कि पकड़े गए क्लर्क और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने अपने बयान में कहा कि याची भी रिश्वत लेने में शामिल है. याची के अधिवक्ता विभू राय एवं धनंजय राय का कहना था कि याची निर्दोष है. याची को गलत इरादे से फंसाया गया है, जबकि उसने कोई अपराध नहीं किया है. यह भी कहा कि याची के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला भी नहीं बनता. क्योंकि याची ने न ही रिश्वत के रूप में कोई पैसा लिया है और न ही उससे कोई पैसा बरामद हुआ है.

याची राजस्व निरीक्षक है और उसने हाउस टैक्स को लेकर दो दुकानों अनंतिम मूल्यांकन किया है. इसके अलावा उसकी कोई भूमिका नहीं रही है. कोर्ट ने सरकारी वकील से मामले के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करने को कहा तो सरकारी वकील ने केवल यह बताया कि मामले की जांच जारी है. इस पर कोर्ट ने मामला विचारणीय मानते हुए याचिका पर जवाब मांगा है. अगले आदेश या चार्जशीट दाखिल होने तक के लिए याची की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ में नगर निगम कर्मचारी अनुपम राना उर्फ अनुपम सिंह की देहली गेट थाने में रिश्वत लेने के आरोप में दर्ज मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने अनुपम सिंह के अधिवक्ता विभू राय एवं धनंजय राय और सरकारी वकील को सुनकर दिया है.

मामले के तथ्यों के अनुसार मेरठ नगर निगम का एक क्लर्क और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी डेढ़ लाख रुपये रिश्वत लेने में पकड़े गए थे. याची पर आरोप है कि पकड़े गए क्लर्क और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने अपने बयान में कहा कि याची भी रिश्वत लेने में शामिल है. याची के अधिवक्ता विभू राय एवं धनंजय राय का कहना था कि याची निर्दोष है. याची को गलत इरादे से फंसाया गया है, जबकि उसने कोई अपराध नहीं किया है. यह भी कहा कि याची के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला भी नहीं बनता. क्योंकि याची ने न ही रिश्वत के रूप में कोई पैसा लिया है और न ही उससे कोई पैसा बरामद हुआ है.

याची राजस्व निरीक्षक है और उसने हाउस टैक्स को लेकर दो दुकानों अनंतिम मूल्यांकन किया है. इसके अलावा उसकी कोई भूमिका नहीं रही है. कोर्ट ने सरकारी वकील से मामले के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करने को कहा तो सरकारी वकील ने केवल यह बताया कि मामले की जांच जारी है. इस पर कोर्ट ने मामला विचारणीय मानते हुए याचिका पर जवाब मांगा है. अगले आदेश या चार्जशीट दाखिल होने तक के लिए याची की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.

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