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हाईकोर्ट ने प्रदेश शासन के मुख्य सचिव से पूछा, प्रयागराज में एम्स क्यों स्थापित नहीं हो सकता? - Allahabad High Court - ALLAHABAD HIGH COURT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले आदेश से केंद्र सरकार के अपर सॉलिसिटर जनरल से प्रयागराज में एम्स के स्थापना की जमीनी हकीकत की जानकारी मांगी थी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 19, 2024, 10:48 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश शासन के मुख्य सचिव से पूछा है कि प्रयागराज में एम्स स्थापित करना क्यों जरूरी नहीं है? अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एके गोयल ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि आदेश की जानकारी मुख्य सचिव को दी जाएगी.

कोर्ट ने पिछले आदेश से केंद्र सरकार के अपर सॉलिसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह से प्रयागराज में एम्स के स्थापना की जमीनी हकीकत की जानकारी मांगी थी. उन्होंने जमीनी हकीकत और केंद्र सरकार के रुख को लेकर हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा. इस पर कोर्ट ने जनहित याचिका को सुनवाई के लिए 17 अक्टूबर को पेश करने का निर्देश दिया है. याचिका में कहा गया है कि पिछले 10 वर्षों में केवल पूर्वांचल में एक एम्स स्थापित किया जा सका है. प्रदेश की आबादी में तेजी से वृद्धि हुई है. ऐसे में प्रयागराज में एम्स जैसी संस्था की स्थापना किया जाना जरूरी है. प्रयागराज का सड़क और रेल मार्ग से चारों दिशाओं में संपर्क मार्ग है, लेकिन यहां उच्च सुविधा युक्त कोई अस्पताल नहीं है. अपर सॉलिसिटर जनरल ने केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के हवाले से बताया कि 2014-15 में आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में एम्स स्थापित किए जाने की घोषणा की गई थी. वर्ष 2015-16 के बजट में सात नए एम्स स्थापित करने की घोषणा की गई. जम्मू-कश्मीर, पंजाब, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, असम व बिहार में एम्स स्थापित किए गए हैं. वर्ष 2017-18 में गुजरात व झारखंड में एम्स स्थापित किए गए. वर्ष 2019-20 के बजट में हरियाणा में नया एम्स स्थापित किया गया. वर्ष 2014-15 के बजट में गोरखपुर में एम्स स्थापित किया गया है.

अपर सॉलिसिटर जनरल व केंद्र सरकार के अधिवक्ता संजय कुमार ओम ने बताया कि पूर्वांचल में एम्स की स्थापना के बाद प्रदेश में किसी नए एम्स की योजना केंद्र सरकार ने नहीं दी है. कोर्ट ने कहा कि पिछले दस वर्षों में चिकित्सा सुविधाओं पर जनसंख्या बढ़ने से भारी दबाव है, इसीलिए केंद्र सरकार से प्रयागराज में एम्स की स्थापना की जमीनी हकीकत पर रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन लगता है कोई मूल्यांकन नहीं किया गया. केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा गया. कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव से भी रिकॉर्ड पेश करने को कहा है कि प्रयागराज में एम्स जैसी संस्था क्यों नहीं स्थापित की जानी चाहिए?

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश शासन के मुख्य सचिव से पूछा है कि प्रयागराज में एम्स स्थापित करना क्यों जरूरी नहीं है? अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एके गोयल ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि आदेश की जानकारी मुख्य सचिव को दी जाएगी.

कोर्ट ने पिछले आदेश से केंद्र सरकार के अपर सॉलिसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह से प्रयागराज में एम्स के स्थापना की जमीनी हकीकत की जानकारी मांगी थी. उन्होंने जमीनी हकीकत और केंद्र सरकार के रुख को लेकर हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा. इस पर कोर्ट ने जनहित याचिका को सुनवाई के लिए 17 अक्टूबर को पेश करने का निर्देश दिया है. याचिका में कहा गया है कि पिछले 10 वर्षों में केवल पूर्वांचल में एक एम्स स्थापित किया जा सका है. प्रदेश की आबादी में तेजी से वृद्धि हुई है. ऐसे में प्रयागराज में एम्स जैसी संस्था की स्थापना किया जाना जरूरी है. प्रयागराज का सड़क और रेल मार्ग से चारों दिशाओं में संपर्क मार्ग है, लेकिन यहां उच्च सुविधा युक्त कोई अस्पताल नहीं है. अपर सॉलिसिटर जनरल ने केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के हवाले से बताया कि 2014-15 में आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में एम्स स्थापित किए जाने की घोषणा की गई थी. वर्ष 2015-16 के बजट में सात नए एम्स स्थापित करने की घोषणा की गई. जम्मू-कश्मीर, पंजाब, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, असम व बिहार में एम्स स्थापित किए गए हैं. वर्ष 2017-18 में गुजरात व झारखंड में एम्स स्थापित किए गए. वर्ष 2019-20 के बजट में हरियाणा में नया एम्स स्थापित किया गया. वर्ष 2014-15 के बजट में गोरखपुर में एम्स स्थापित किया गया है.

अपर सॉलिसिटर जनरल व केंद्र सरकार के अधिवक्ता संजय कुमार ओम ने बताया कि पूर्वांचल में एम्स की स्थापना के बाद प्रदेश में किसी नए एम्स की योजना केंद्र सरकार ने नहीं दी है. कोर्ट ने कहा कि पिछले दस वर्षों में चिकित्सा सुविधाओं पर जनसंख्या बढ़ने से भारी दबाव है, इसीलिए केंद्र सरकार से प्रयागराज में एम्स की स्थापना की जमीनी हकीकत पर रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन लगता है कोई मूल्यांकन नहीं किया गया. केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा गया. कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव से भी रिकॉर्ड पेश करने को कहा है कि प्रयागराज में एम्स जैसी संस्था क्यों नहीं स्थापित की जानी चाहिए?

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