लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आवारा कुत्तों द्वारा लोगों खास तौर पर बच्चों पर हो रहे हमलों का स्वतः संज्ञान लिया है. न्यायालय ने मामले में नगर निगम, लखनऊ से पूछा है कि इस समस्या के समाधान के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं और समस्या का पूर्णतया समाधान करने में क्या बाधा आ रही है.
न्यायालय ने नगर निगम को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई जुलाई माह के दूसरे सप्ताह में होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने पारित किया. इसी के साथ न्यायालय ने वरिष्ठ निबंधक को मामले को आवारा कुत्तों से खतरा नाम से स्वतः संज्ञान जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करने का आदेश दिया है. कुछ अधिवक्ताओं द्वारा न्यायालय के समक्ष अखबारों में छपी उन खबरों को रखा गया. जिसमें विकास नगर इलाके में आवार कुत्तों से बचाकर भागने के चक्कर में दो बच्चों की मृत्यु हो गई.
न्यायालय ने मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए इस प्रकार की अन्य खबरों का भी जिक्र किया. वहीं, सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी ने न्यायालय को बताया कि आवारा कुत्तों की नसबंदी व टीकाकरण एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स, 2023 के तहत किया जा रहा है. इस पर न्यायालय ने कहा कि जिस कुत्ते की नसबंदी व टीकाकरण हो गया है, वह यदि लोगों को काटने लगता है, तो इस सम्बंध में क्या उपाय किया जा रहा है. न्यायालय ने कहा कि हम फिलहाल यह नहीं कर रहे कि क्या करना आवश्यक है, लेकिन सम्बंधित अधिकारियों के लिए जरूरी है कि वह इस खतरे को गंभीरता से लें.
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