ETV Bharat / state

दिल्ली के स्कूलों में बम धमकियों से निपटने पर कोर्ट ने एक्शन टेकन रिपोर्ट तलब किया - bomb threats to schools in delhi

एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस और दिल्ली सरकार से पूछा है कि बम धमकियों को लेकर कितने मॉक ड्रिल किए हैं. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि वह यह बताएं कि बम की धमकी मिलने पर स्कूलों के छात्र कैसे हैंडल कर सकते हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 6, 2024, 3:36 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के स्कूलों में बम की धमकियों के मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस से पूछा कि बम की धमकियों को लेकर कितने मॉक ड्रिल किए हैं. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि वह यह बताएं कि बम की धमकी मिलने पर छात्र कैसे हैंडल कर सकते हैं. हाईकोर्ट ने हालिया धमकियों से निपटने में नोडल अधिकारियों की ओर से उठाए गए कदमों पर एक्शन टेकन रिपोर्ट भी तलब किया है. मामले की अगली सुनवाई 16 मई को होगी.

याचिका अर्पित भार्गव ने दायर किया है. याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली के स्कूलों में बम की धमकियों से निपटने के लिए क्या तैयारी की गई है. स्कूलों के छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों की सुरक्षा जरूरी है. ऐसे में हाल में दिल्ली और एनसीआर के स्कूलों में मिली बम धमकियों की जांच की जानी चाहिए. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में स्कूलों में बम की धमकियों से निपटने की कोई तैयारी नहीं है. हाल की धमकियों से यह साफ हो गया कि दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस के पास कोई योजना नहीं है.

ये भी पढ़ें : दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा- बीते दो साल में अतिक्रमण हटाने के नाम पर कितने पेड़ काटे?

याचिका में कहा गया है कि हर घर में बच्चे हैं, जो स्कूलों में पढ़ने जाते हैं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने 2023 में यह याचिका दायर की थी. लेकिन अभी तक इस मामले में दिल्ली पुलिस यह नहीं बता पाई कि स्कूलों को मिलने वाली बम धमकियों से वह कैसे निपटेगी. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वकील संतोष त्रिपाठी ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने एक हलफनामा दायर किया है. बम धमकी की असली सूचना और झूठी सूचना में अंतर करने का एक स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर है.

उन्होंने कहा कि हर निजी स्कूल को इस स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर की जानकारी दी जाती है कि किस परिस्थिति में क्या कदम उठाना है. इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि यह एक सामान्य स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर है और इसमें स्कूलों के बारे में कुछ खास नहीं है. कोर्ट ने कहा कि कुछ सस्थाओं का विशेष ध्यान रखना जैसे अस्पताल और स्कूल. कोर्ट के पूछने पर दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने बताया कि स्कूलों को मॉक ड्रिल करने को कहा गया है, ताकि वो ऐसी परिस्थितियों से निपटने में सक्षम हो सके.

ये भी पढ़ें : लैंडफिल साइट के पास बने डेयरी फार्म को तुरंत हटाने का आदेश, प्रदूषण के चलते दूध पीने लायक नहीं

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के स्कूलों में बम की धमकियों के मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस से पूछा कि बम की धमकियों को लेकर कितने मॉक ड्रिल किए हैं. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि वह यह बताएं कि बम की धमकी मिलने पर छात्र कैसे हैंडल कर सकते हैं. हाईकोर्ट ने हालिया धमकियों से निपटने में नोडल अधिकारियों की ओर से उठाए गए कदमों पर एक्शन टेकन रिपोर्ट भी तलब किया है. मामले की अगली सुनवाई 16 मई को होगी.

याचिका अर्पित भार्गव ने दायर किया है. याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली के स्कूलों में बम की धमकियों से निपटने के लिए क्या तैयारी की गई है. स्कूलों के छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों की सुरक्षा जरूरी है. ऐसे में हाल में दिल्ली और एनसीआर के स्कूलों में मिली बम धमकियों की जांच की जानी चाहिए. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में स्कूलों में बम की धमकियों से निपटने की कोई तैयारी नहीं है. हाल की धमकियों से यह साफ हो गया कि दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस के पास कोई योजना नहीं है.

ये भी पढ़ें : दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा- बीते दो साल में अतिक्रमण हटाने के नाम पर कितने पेड़ काटे?

याचिका में कहा गया है कि हर घर में बच्चे हैं, जो स्कूलों में पढ़ने जाते हैं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने 2023 में यह याचिका दायर की थी. लेकिन अभी तक इस मामले में दिल्ली पुलिस यह नहीं बता पाई कि स्कूलों को मिलने वाली बम धमकियों से वह कैसे निपटेगी. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वकील संतोष त्रिपाठी ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने एक हलफनामा दायर किया है. बम धमकी की असली सूचना और झूठी सूचना में अंतर करने का एक स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर है.

उन्होंने कहा कि हर निजी स्कूल को इस स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर की जानकारी दी जाती है कि किस परिस्थिति में क्या कदम उठाना है. इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि यह एक सामान्य स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर है और इसमें स्कूलों के बारे में कुछ खास नहीं है. कोर्ट ने कहा कि कुछ सस्थाओं का विशेष ध्यान रखना जैसे अस्पताल और स्कूल. कोर्ट के पूछने पर दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने बताया कि स्कूलों को मॉक ड्रिल करने को कहा गया है, ताकि वो ऐसी परिस्थितियों से निपटने में सक्षम हो सके.

ये भी पढ़ें : लैंडफिल साइट के पास बने डेयरी फार्म को तुरंत हटाने का आदेश, प्रदूषण के चलते दूध पीने लायक नहीं

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.