लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश में जातीय रैलियों पर रोक लगाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा को नई नोटिस भेजने का आदेश दिया है. न्यायालय ने पाया कि 11 नवंबर 2022 के आदेश के अनुपालन में भेजी गई नोटिस इन राजनीतिक दलों को प्राप्त नहीं हो सकी लिहाजा नई नोटिसें भेजी जाएं.
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव द्वारा वर्ष 2013 में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया. वहीं, सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से न्यायालय को बताया गया कि उसने ऑनलाइन जवाबी हलफ़नामा दाखिल कर दिया है. हालांकि न्यायालय के रिकॉर्ड पर उक्त हलफ़नामा नहीं पाया गया. इस पर न्यायालय ने आयोग को जवाबी हलफ़नामा दाखिल करने का अंतिम अवसर देते हुए, मामले की अग्रिम सुनवाए एके लिए 10 अप्रैल की तिथि तय की है.
याची के अनुसार न्यायालय ने पूर्व के आदेश में चुनाव आयोग समेत केंद्र व राज्य सरकारों को जातीय रैलियों के विरुद्ध गाइडलाइंस बनाने का आदेश दिया था. याची ने बताया कि इस बार न्यायालय ने अपने इसी आदेश के अनुपालन के संबंध में चुनाव आयोग को जवाबी हलफ़नामा दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया है. इसके पूर्व न्यायालय इस मामले में प्रदेश के चार प्रमुख दलों भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा को नोटिसें जारी करने का आदेश 11 नवंबर 2022 दे चुकी है, हालांकि इन दलों को नोटिस न मिलने के कारण पुनः नई नोटिस जारी करने का आदेश दिया है.