रांची: महज 24 घंटे के भीतर झारखंड की राजनीतिक तस्वीर बदल गई है. बुधवार शाम तक जिस हेमंत सोरेन के आसपास परिंदा भी नहीं फटक सकता था, वह अब एक सामान्य विधायक बन कर रह गए हैं. उनके नाम के आगे मुख्यमंत्री की जगह पूर्व मुख्यमंत्री शब्द लग गया है.
एक बड़े राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखने वाले और झारखंड में गुरुजी के नाम से मशहूर शिबू सोरेन के द्वितीय पुत्र हेमंत सोरेन के लिए 1 फरवरी की रात कयामत भरी रात कही जा सकती है, क्योंकि ऐसा पहली बार होगा कि उन्हें जेल में रात गुजारना होगा. फिलहाल, वह अभी न्यायिक हिरासत में हैं. हेमंत सोरेन की रात होटवार के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के अपर डिविजन सेल में कटेगी. अपर डिविजन की सेल नंबर 01 हेमंत सोरेन वीवीआईपी आरोपियों और कैदियों के लिए अलॉट किया जाता है. इस सेल में अटैच बाथरूम किचन और अर्दली की व्यवस्था होती है.
लैंड स्कैम मामले में ईडी की विशेष अदालत में पेश कर 10 दिन की रिमांड मांगी थी. लेकिन कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब 2 फरवरी को साफ हो पाएगा कि कोर्ट कितने दिन का रिमांड देती है. लेकिन सबसे खास बात है की दूसरी तरफ इस कार्रवाई के खिलाफ हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल हुई है. लिहाजा देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला आता है.
इस मसले पर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि दुर्भावना से प्रेरित होकर उनके क्लाइंट के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. रांची के बड़गाईं स्थित जिस जमीन के प्लॉट को लेकर कार्रवाई की गई है, उसे हेमंत सोरेन का कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि 8 एकड़ की जमीन को कोई कह देगा कि वह मेरा है तो क्या वह मेरा हो जाएगा. वह भुईंहरी जमीन है, उसका ट्रांसफर भी नहीं हो सकता है. उस जमीन का म्यूटेशन भी हमारे क्लाइंट के नाम से नहीं है. जिस अंचल कर्मी भानु प्रताप प्रसाद के घर से बरामद जमीन के कागजात में हुई टेंपरिंग को लेकर FIR हुआ है, उससे भी हमारा कोई कनेक्शन नहीं है.
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