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असम में आपदा पर हेमंत और हिमंता की मित्रता! हेल्दी राजनीति की हो रही चर्चा, कभी बिहार आपदा पर नीतीश ने ठुकराई थी मोदी की पेशकश - Politics on flood in Assam - POLITICS ON FLOOD IN ASSAM

Flood in Assam. असम में आई आपदा को लेकर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री राहत कोष से दो करोड़ मदद की पेशकश की है. असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने मदद की पेशकश को स्वीकार करते हुए उनका आभार जताया है. 2010 में बिहार आपदा पर नीतीश ने तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी की पेशकश ठुकरा दी थी.

POLITICS ON FLOOD IN ASSAM
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 22, 2024, 4:42 PM IST

रांची: एक कहावत है कि राजनीति में कोई किसी का स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता. पूरा खेल समीकरण का होता है. जहां नफा है, वहां दोस्ती और जहां नुकसान है, वहां खींचतान. लेकिन असम के मुख्यमंत्री हिमंता ने इस धारणा को बदल दिया है. सीएम हिमंता ने साबित कर दिया कि राजनीति अपनी जगह है और त्रासदी अपनी जगह. शायद यही वजह है कि असम में आई बाढ़ त्रासदी पर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने बतौर सहयोग दो करोड़ रुपये की पेशकश की तो हिमंता बिस्वा सरमा ने इसे दिल खोलकर स्वीकार किया और आभार जताया.

हेल्दी राजनीति की यह तस्वीर ऐसे समय में देखने को मिल रही है, जब झारखंड भाजपा के चुनाव सह प्रभारी के नाते सीएम हिमंता लगातार यहां की सरकार को कटघरे में खड़े कर रहे हैं. वहीं झामुमो भी उनकी सुरक्षा पर हो रहे खर्च को लेकर सवाल खड़े कर चुकी है. इस पॉलिटिकल जेस्चर की तुलना 2010 के बिहार और गुजरात प्रकरण से की जा रही है. तब नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे. उन्होंने बिहार में आई बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए पांच करोड़ का चेक भेजा था, जिसे सीएम नीतीश कुमार ने वापस कर दिया था.

इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार मधुकर का कहना है कि राजनीति में गुड जेस्चर खत्म हो रही है. सीएम हेमंत ने जो पैसे असम के सीएम हिमंता को दिए वो पैसे ना हेमंत के हैं और ना हिमंता के. वह टैक्स का पैसा है. झारखंडियों का पैसा है. लेकिन मुसीबत में मदद करना अच्छी बात है. यह हमारी एकजुटता को दिखाता है. सीएम हेमंत ने यह दिखाया कि असम के लोग भी हमारे लोग हैं. असम के चाय बागानों में बड़ी संख्या में झारखंडी भी हैं. लिहाजा, हेमंत ने मैसेज दिया है कि हम मिलजुलकर समस्याओं से लड़ेंगे. राजनीति अपनी जगह है. यह तारीफ योग्य है.

लेकिन सीनियर लीडर होने के बावजूद नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच जिस तरह का चेक विवाद चला था, दरअसल उसके पीछे राजनीति थी. नीतीश को लगा कि अगर वह गुजरात सरकार से पैसा ले लेंगे तो राजद मजाक उड़ाएगा. अब नीतीश विशेष राज्य की लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन उनकी यह हसरत पूरी नहीं होगी. संभव है कि उनका बदला रंग फिर देखने को मिले. कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि मुसीबत की घड़ी में दोनों राज्यों के युवा सीएम ने राजनीति का गुड जेस्चर प्रस्तुत किया है. इससे सभी को सीख लेनी चाहिए.

नीतीश ने क्यों ठुकराई थी मोदी की पेशकश

हेल्दी राजनीति के इस चैप्टर ने 2010 में बिहार में बाढ़ से मची त्रासदी की याद ताजा कर दी है. तब पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे. उन्होंने सहायता राशि के तौर पर पांच करोड़ रुपए की पेशकश की थी. चेक भी भिजवाया था. लेकिन नीतीश कुमार ने सहयोग राशि लेने से इनकार कर दिया था. तब यह बात सामने आई थी कि नीतीश कुमार इस बात से नाराज हो गये थे कि बाढ़ पर गुजरात की ओर से आर्थिक सहायता दिए जाने के लिए नरेंद्र मोदी का शुक्रिया करते हुए विज्ञापन छपवाया गया था. तब नीतीश ने यहां तक कहा था कि आपदा के समय दी गई मदद को इस तरह जताना भारतीय संस्कृति और नैतिकता के खिलाफ है. ये विज्ञापन बिना मेरी अनुमति के छापा गया है. यह कहकर उन्होंने चेक वापस करवा दिया था. लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद नीतीश कुमार के एनडीए से हटने फिर जुड़ने, फिर हटने और फिर जुड़ने की घटनाओं की चर्चा अक्सर होती रहती है.

हेमंत और हिमंता ने पेश की हेल्दी राजनीति की मिसाल

खास बात है कि झारखंड के सीएम और असम के सीएम ने असम में आई त्रासदी पर ओछी राजनीति का लेप नहीं चढ़ने दिया. सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने ही एक कदम आगे आकर सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने असम के सीएम आपदा कोष में दो करोड़ रुपए बतौर सहायता राशि देने की पेशकश की है. उनकी इस दरियादिली के लिए असम की जनता की तरफ से झारखंड के सीएम के प्रति आभार व्यक्त करता हूं. खास बात है कि असम के सीएम का यह पोस्ट सोशल मीडिया पर आते ही झारखंड के सीएम हेमंत ने हिमंता बिस्वा सरमा को कोट करते हुए जवाब में लिखा कि आपदा की घड़ी में झारखंड देश के राज्यों के साथ हमेशा संवेदनशीलता के साथ खड़ा रहा है. मां कामाख्या से विनती है कि असम वासी बाढ़ की इस विभीषिका से उबर कर जल्द सामान्य जीवन यापन शुरू करेंगे.

झारखंड सरकार को घेरने से नहीं चूकते हैं सीएम हिमंता

इसकी वजह भी है. सीएम हिमंता बिस्वा सरमा को भाजपा ने झारखंड का चुनाव सह प्रभारी बनाया है. वह आए दिन झारखंड का दौरा कर रहे हैं. पिछले दिनों उनकी सिक्यूरिटी पर हो रहे खर्च को लेकर अच्छी खासी राजनीति देखने को मिली. झामुमो ने सवाल उठाया तो सीएम हिमंता ने कह दिया कि उनको राज्य सरकार की सुरक्षा की जरुरत नहीं है. अगले ही दिन असम के एडीजी ने झारखंड के डीजीपी को पत्र लिखकर स्पष्ट कर दिया कि सीएम हिमंता को एमएचए ने जेड प्लस सिक्योरिटी दी है. चुनाव सह प्रभारी के नेता उनका झारखंड आना जाना लगा रहेगा. इसलिए उनकी सुरक्षा पर जो भी अतिरिक्त राशि खर्च होगी, उसका बिल मिलने पर असम सरकार भुगतान करेगी.

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सीएम हिमंत बिस्वा सरमा के झारखंड दौरे पर सुरक्षा खर्च का भुगतान करेगी असम सरकार, क्या है मामला - CM Himanta Biswa Sarma

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हेल्दी राजनीति की यह तस्वीर ऐसे समय में देखने को मिल रही है, जब झारखंड भाजपा के चुनाव सह प्रभारी के नाते सीएम हिमंता लगातार यहां की सरकार को कटघरे में खड़े कर रहे हैं. वहीं झामुमो भी उनकी सुरक्षा पर हो रहे खर्च को लेकर सवाल खड़े कर चुकी है. इस पॉलिटिकल जेस्चर की तुलना 2010 के बिहार और गुजरात प्रकरण से की जा रही है. तब नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे. उन्होंने बिहार में आई बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए पांच करोड़ का चेक भेजा था, जिसे सीएम नीतीश कुमार ने वापस कर दिया था.

इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार मधुकर का कहना है कि राजनीति में गुड जेस्चर खत्म हो रही है. सीएम हेमंत ने जो पैसे असम के सीएम हिमंता को दिए वो पैसे ना हेमंत के हैं और ना हिमंता के. वह टैक्स का पैसा है. झारखंडियों का पैसा है. लेकिन मुसीबत में मदद करना अच्छी बात है. यह हमारी एकजुटता को दिखाता है. सीएम हेमंत ने यह दिखाया कि असम के लोग भी हमारे लोग हैं. असम के चाय बागानों में बड़ी संख्या में झारखंडी भी हैं. लिहाजा, हेमंत ने मैसेज दिया है कि हम मिलजुलकर समस्याओं से लड़ेंगे. राजनीति अपनी जगह है. यह तारीफ योग्य है.

लेकिन सीनियर लीडर होने के बावजूद नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच जिस तरह का चेक विवाद चला था, दरअसल उसके पीछे राजनीति थी. नीतीश को लगा कि अगर वह गुजरात सरकार से पैसा ले लेंगे तो राजद मजाक उड़ाएगा. अब नीतीश विशेष राज्य की लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन उनकी यह हसरत पूरी नहीं होगी. संभव है कि उनका बदला रंग फिर देखने को मिले. कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि मुसीबत की घड़ी में दोनों राज्यों के युवा सीएम ने राजनीति का गुड जेस्चर प्रस्तुत किया है. इससे सभी को सीख लेनी चाहिए.

नीतीश ने क्यों ठुकराई थी मोदी की पेशकश

हेल्दी राजनीति के इस चैप्टर ने 2010 में बिहार में बाढ़ से मची त्रासदी की याद ताजा कर दी है. तब पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे. उन्होंने सहायता राशि के तौर पर पांच करोड़ रुपए की पेशकश की थी. चेक भी भिजवाया था. लेकिन नीतीश कुमार ने सहयोग राशि लेने से इनकार कर दिया था. तब यह बात सामने आई थी कि नीतीश कुमार इस बात से नाराज हो गये थे कि बाढ़ पर गुजरात की ओर से आर्थिक सहायता दिए जाने के लिए नरेंद्र मोदी का शुक्रिया करते हुए विज्ञापन छपवाया गया था. तब नीतीश ने यहां तक कहा था कि आपदा के समय दी गई मदद को इस तरह जताना भारतीय संस्कृति और नैतिकता के खिलाफ है. ये विज्ञापन बिना मेरी अनुमति के छापा गया है. यह कहकर उन्होंने चेक वापस करवा दिया था. लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद नीतीश कुमार के एनडीए से हटने फिर जुड़ने, फिर हटने और फिर जुड़ने की घटनाओं की चर्चा अक्सर होती रहती है.

हेमंत और हिमंता ने पेश की हेल्दी राजनीति की मिसाल

खास बात है कि झारखंड के सीएम और असम के सीएम ने असम में आई त्रासदी पर ओछी राजनीति का लेप नहीं चढ़ने दिया. सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने ही एक कदम आगे आकर सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने असम के सीएम आपदा कोष में दो करोड़ रुपए बतौर सहायता राशि देने की पेशकश की है. उनकी इस दरियादिली के लिए असम की जनता की तरफ से झारखंड के सीएम के प्रति आभार व्यक्त करता हूं. खास बात है कि असम के सीएम का यह पोस्ट सोशल मीडिया पर आते ही झारखंड के सीएम हेमंत ने हिमंता बिस्वा सरमा को कोट करते हुए जवाब में लिखा कि आपदा की घड़ी में झारखंड देश के राज्यों के साथ हमेशा संवेदनशीलता के साथ खड़ा रहा है. मां कामाख्या से विनती है कि असम वासी बाढ़ की इस विभीषिका से उबर कर जल्द सामान्य जीवन यापन शुरू करेंगे.

झारखंड सरकार को घेरने से नहीं चूकते हैं सीएम हिमंता

इसकी वजह भी है. सीएम हिमंता बिस्वा सरमा को भाजपा ने झारखंड का चुनाव सह प्रभारी बनाया है. वह आए दिन झारखंड का दौरा कर रहे हैं. पिछले दिनों उनकी सिक्यूरिटी पर हो रहे खर्च को लेकर अच्छी खासी राजनीति देखने को मिली. झामुमो ने सवाल उठाया तो सीएम हिमंता ने कह दिया कि उनको राज्य सरकार की सुरक्षा की जरुरत नहीं है. अगले ही दिन असम के एडीजी ने झारखंड के डीजीपी को पत्र लिखकर स्पष्ट कर दिया कि सीएम हिमंता को एमएचए ने जेड प्लस सिक्योरिटी दी है. चुनाव सह प्रभारी के नेता उनका झारखंड आना जाना लगा रहेगा. इसलिए उनकी सुरक्षा पर जो भी अतिरिक्त राशि खर्च होगी, उसका बिल मिलने पर असम सरकार भुगतान करेगी.

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