नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश के वन रावत और वन राजि जनजाति समुदाय का अस्तित्व खतरे में होने को लेकर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ में आज समाज कल्याण विभाग के निदेशक कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए. सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ती राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने राज्य सरकार ,केंद्र सरकार व राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश हैं कि वे दो सप्ताह के भीतर राज्य व केंद्र सरकार के द्वारा योजित इनके उत्थान के लिए जारी केंद्र व राज्य की योजनाओं का विवरण पेश करें.
आज सुनवाई में निदेशक ने कहा इनके विकास के लिए कई योजनायें चलाई गई हैं. कई योजनाओं को लागू करने का ड्राफ्ट केंद्र ,राज्य व सबंधीत विभाग को भेजा गया है. जिस पर विभाग का अनुमोदन आना बाकी है. लिहाजा उन्हें जवाब देने का मौका दिया जाये.
मामले के अनुसार प्रदेश में वन रावत व वन राजी जनजाति का अस्तित्व खतरे में है,और इस जनजाति की जनसंख्या लगातार घटती जा रही है. जिसकी वर्तमान जनसंख्या सिमट कर अब लगभग 900 रह गयी है. इस जनजाति के लोगों के पास बुनियादी सुविधायें तक अब नहीं रही हैं. इनके स्वास्थ्य, शिक्षा और रहने खाने के लिये कोई उचित प्रबंध नहीं हैं. इनकी शिक्षा के लिये कोई प्रबंध नहीं है.
यह जनजाति विलुप्ति के कगार पर पहुंच गयी है. सरकार इस जनजाति के वजूद को बनाये रखने के लिये कोई ठोस योजना नहीं बना रही है. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई कि सरकार उनके अस्तित्व को बचाये रखने के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं. सुनवाई पर सरकार की ओर से कहा गया बुनियादी सुविधायें मुहैया करा रही है.
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