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दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई अब 9 अप्रैल को - delhi violence accused

कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर आंशिक दलीलें सुनी. एडिशनल सेशंस जज समीर बाजपेयी ने जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 9 अप्रैल को करने का आदेश दिया.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 4, 2024, 7:50 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर बुधवार को उमर खालिद की ओर से आंशिक दलीलें सुनी. एडिशनल सेशंस जज समीर बाजपेयी ने जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 9 अप्रैल को करने का आदेश दिया. उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदीप पेस ने आंशिक दलीलें रखी.

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील अनिरुद्ध मिश्रा ने कहा कि उनकी ओर से दलील रखने के लिए स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद उपलब्ध नहीं हैं. जिसेक बाद कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई 9 अप्रैल को करने का आदेश दिया. इसके पहले उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि इस मामले के दूसरे आरोपियों के खिलाफ हमसे गंभीर आरोप हैं और वे जमानत पर हैं और उन्हें तो दिल्ली पुलिस ने आरोपी भी नहीं बनाया था.

उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदीप पेस ने कहा था कि जिन तथ्यों के आधार पर तीन आरोपियों को जमानत दी गई, वही तथ्य उमर खालिद के साथ भी हैं. उन्होंने समानता के सिद्धांत की बात करते हुए उमर खालिद को जमानत देने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि उमर खालिद के खिलाफ कोई आतंकी कानून की धारा नहीं लगी है.

पेस ने कहा था कि उमर खालिद लगातार जेल में है. उन्होंने कहा था कि दिल्ली पुलिस ने 15 ऐसे वाकये बताए जिसमें उमर खालिद की संलिप्तता का जिक्र है लेकिन अधिकतर मामलों में कोई गवाह नहीं है. पेस ने कहा था कि दिल्ली पुलिस ने चार व्हाट्स ऐप ग्रुप का जिक्र किया है लेकिन उनमें से दो में उमर खालिद था ही नहीं. इन ग्रुप के कई सदस्यों को तो आरोपी तक नहीं बनाया गया. दो ग्रुप में से एक ग्रुप में तो उमर खालिद ने कभी कोई मैसेज नहीं भेजा. चौथे ग्रुप में उमर खालिद ने पांच मैसेज भेजे थे, जिसमें तीन गूगल मैप्स थे. एक मैसेज में उमर खालिद ने दिल्ली पुलिस के उस अपील का जिक्र किया है जिसमें प्रदर्शन को बंद करने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि उमर खालिद ने कभी भी हिंसा फैलाने की बात नहीं की. कोर्ट ने 28 फरवरी को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था.

ये भी पढ़ें : जेल से निकलकर पुराने तेवर में दिखे संजय सिंह, कहा- केजरीवाल इस्तीफा नहीं देंगे, हम डरने वाले नहीं..

बता दें कि उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले लिया था और कहा था कि अब वे ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर करेंगे. उमर खालिद को 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था. फिलहाल वो जेल मे है. इससे पहले 18 अक्टूबर 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दिया था.

हाईकोर्ट ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा दिसंबर 2019 और फरवरी 2020 के बीच हुई बैठकों का नतीजा था, जिनमें उमर खालिद भी शामिल हुआ था. हाईकोर्ट ने कहा था कि उमर खालिद का नाम साजिश की शुरुआत से लेकर दंगा होने तक आता रहा. उमर खालिद व्हाट्स ऐप ग्रुप डीपीएसजी और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू का सदस्य था. उमर खालिद ने कई बैठकों में हिस्सा लिया. हाईकोर्ट ने कहा कि अगर चार्जशीट पर भरोसा किया जाए तो ये साजिश की ओर साफ-साफ इशारा कर रहे हैं.

हाईकोर्ट ने कहा था कि विरोध प्रदर्शन लोकतंत्र में होने वाले आम राजनीतिक प्रदर्शन की तरह नहीं था, बल्कि ये एक खतरनाक था. जिसके गंभीर परिणाम हुए. पुलिसकर्मियों पर महिला प्रदर्शनकारियों पर हमला किया गया, जिससे इलाके में दंगा फैला जो निश्चित रूप से एक आतंकी कार्रवाई थी.

ये भी पढ़ें : दिल्ली जल बोर्ड घोटाला में AAP पर कसा शिकंजा, ED ने कुर्क की आरोपी इंजीनियरों की करोड़ों की संपत्ति

नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर बुधवार को उमर खालिद की ओर से आंशिक दलीलें सुनी. एडिशनल सेशंस जज समीर बाजपेयी ने जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 9 अप्रैल को करने का आदेश दिया. उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदीप पेस ने आंशिक दलीलें रखी.

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील अनिरुद्ध मिश्रा ने कहा कि उनकी ओर से दलील रखने के लिए स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद उपलब्ध नहीं हैं. जिसेक बाद कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई 9 अप्रैल को करने का आदेश दिया. इसके पहले उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि इस मामले के दूसरे आरोपियों के खिलाफ हमसे गंभीर आरोप हैं और वे जमानत पर हैं और उन्हें तो दिल्ली पुलिस ने आरोपी भी नहीं बनाया था.

उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदीप पेस ने कहा था कि जिन तथ्यों के आधार पर तीन आरोपियों को जमानत दी गई, वही तथ्य उमर खालिद के साथ भी हैं. उन्होंने समानता के सिद्धांत की बात करते हुए उमर खालिद को जमानत देने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि उमर खालिद के खिलाफ कोई आतंकी कानून की धारा नहीं लगी है.

पेस ने कहा था कि उमर खालिद लगातार जेल में है. उन्होंने कहा था कि दिल्ली पुलिस ने 15 ऐसे वाकये बताए जिसमें उमर खालिद की संलिप्तता का जिक्र है लेकिन अधिकतर मामलों में कोई गवाह नहीं है. पेस ने कहा था कि दिल्ली पुलिस ने चार व्हाट्स ऐप ग्रुप का जिक्र किया है लेकिन उनमें से दो में उमर खालिद था ही नहीं. इन ग्रुप के कई सदस्यों को तो आरोपी तक नहीं बनाया गया. दो ग्रुप में से एक ग्रुप में तो उमर खालिद ने कभी कोई मैसेज नहीं भेजा. चौथे ग्रुप में उमर खालिद ने पांच मैसेज भेजे थे, जिसमें तीन गूगल मैप्स थे. एक मैसेज में उमर खालिद ने दिल्ली पुलिस के उस अपील का जिक्र किया है जिसमें प्रदर्शन को बंद करने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि उमर खालिद ने कभी भी हिंसा फैलाने की बात नहीं की. कोर्ट ने 28 फरवरी को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था.

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बता दें कि उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले लिया था और कहा था कि अब वे ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर करेंगे. उमर खालिद को 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था. फिलहाल वो जेल मे है. इससे पहले 18 अक्टूबर 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दिया था.

हाईकोर्ट ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा दिसंबर 2019 और फरवरी 2020 के बीच हुई बैठकों का नतीजा था, जिनमें उमर खालिद भी शामिल हुआ था. हाईकोर्ट ने कहा था कि उमर खालिद का नाम साजिश की शुरुआत से लेकर दंगा होने तक आता रहा. उमर खालिद व्हाट्स ऐप ग्रुप डीपीएसजी और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू का सदस्य था. उमर खालिद ने कई बैठकों में हिस्सा लिया. हाईकोर्ट ने कहा कि अगर चार्जशीट पर भरोसा किया जाए तो ये साजिश की ओर साफ-साफ इशारा कर रहे हैं.

हाईकोर्ट ने कहा था कि विरोध प्रदर्शन लोकतंत्र में होने वाले आम राजनीतिक प्रदर्शन की तरह नहीं था, बल्कि ये एक खतरनाक था. जिसके गंभीर परिणाम हुए. पुलिसकर्मियों पर महिला प्रदर्शनकारियों पर हमला किया गया, जिससे इलाके में दंगा फैला जो निश्चित रूप से एक आतंकी कार्रवाई थी.

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