पटना: नीतीश सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के मामले को लेकर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई टल गई है. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 4 मार्च 2024 को होगी. दरअसल सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी, ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण दिये जाने के आदेश को गौरव कुमार व अन्य द्वारा याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी.
आरक्षण मामले में सुनवाई टली: मिली जानकारी के अनुसार, इन मामलों पर चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ गौरव कुमार के याचिका के साथ 4 मार्च 2024 को सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता गोपाल शंकराचार्य ने कोर्ट को बताया कि 'राज्य सरकार ने बहुत सी सरकारी नौकरियों के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया है. कोर्ट के अंतिम निर्णय का इन विज्ञापनों पर प्रभाव पड़ेगा.'
'राज्य सरकार का निर्णय संविधान के खिलाफ':बता दें कि इन याचिकाओं में राज्य सरकार द्वारा नवंबर 2023 को पारित कानून को चुनौती दी गई है. जिसमें एससी, एसटी, ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण दिया गया है. जबकि सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए मात्र 35 फीसदी ही पदों पर सरकारी सेवा में दी जा सकती है.
अधिवक्ता की दलील: इसको लेकर अधिवक्ता दीनू कुमार ने अपनी याचिका में बताया था कि 'सामान्य वर्ग में ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी आरक्षण रद्द करना भारतीय संविधान की धारा 14 और धारा 15(6)(b) के विरुद्ध है. कहा कि 'सरकार ने जातिगत सर्वेक्षण के बाद जातियों के अनुपातिक आधार पर आरक्षण का ये निर्णय लिया है, ना कि सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के आधार पर.'
सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित: उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा स्वाहने मामले में आरक्षण की सीमा पर 50 प्रतिशत का प्रतिबंध लगाया था. जातिगत सर्वेक्षण का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के फिलहाल लंबित है. इसमें ये सुप्रीम कोर्ट में इस आधार पर राज्य सरकार के उस निर्णय को चुनौती दी गई, जिसमें राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से बढ़ा कर 65 फीसदी कर दिया था.
के वी चंद्रन की खंडपीठ करेगी सुनवाई: बता दें कि इन याचिकाओं पर चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ के समक्ष रखा गया. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की तिथि 02 फरवरी 2024 को इसी मुद्दे पर गौरव कुमार की याचिका के साथ सुनवाई की जाएगी. पूर्व में गौरव कुमार की याचिका पर कोर्ट ने इस राज्य सरकार के निर्णय पर रोक लगाने से इंकार करते हुए राज्य सरकार को 12 जनवरी, 2024 तक जवाब देने का निर्देश दिया था. इन मामलों पर 04 मार्च,2024 को पुनः सुनवाई की जाएगी.