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कांस्टेबल धर्म सुख नेगी बर्खास्त मामला: HC में पुलिस विभाग का जवाब, महकमे के अधिकारियों पर नहीं बनता कोई केस - DHARM SUKH NEGI DISMISSAL CASE

कांस्टेबल धर्म सुख नेगी बर्खास्त मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. पुलिस विभाग ने बताया प्रार्थियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई आपराधिक मामला नहीं बनता.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 4, 2024, 10:26 PM IST

शिमला: कांस्टेबल धर्म सुख नेगी के कथित तौर पर उत्पीड़न कर नौकरी से निकालने के मामले में आरोपी बनाए गए प्रार्थी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता. प्रार्थी पुलिस अधीक्षक अंजुम आरा व दो अन्य पुलिस अधिकारियों द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने को लेकर दायर याचिका के जवाब में पुलिस विभाग ने यह बात कही.

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट को सौंपे जवाब में पुलिस विभाग की ओर से बताया गया कि प्रार्थियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई आपराधिक मामला नहीं बनता. कोर्ट को यह भी बताया गया है कि इस मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए 23 अक्टूबर को फाइनल कैंसिलेशन रिपोर्ट तैयार की गई है.

इस पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने मामले की सुनवाई 2 दिसंबर को निर्धारित करने का आदेश पारित किया. मामले के अनुसार, बर्खास्त पुलिस कांस्टेबल धर्म सुख नेगी की पत्नी ने पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, दो रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर्स, 3 एसपी समेत 10 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है.

पूर्व डीजीपी संजय कुंडू और प्रार्थियों समेत 10 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एक्ट की धारा-3 (1)(P), एससी-एसटी एक्ट 1989 के तहत मामला रजिस्टर हुआ है.

नौकरी से निकाले गए कांस्टेबल धर्म सुख नेगी की पत्नी मीना नेगी ने पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, पूर्व आईपीएस समेत अन्य पुलिस अधिकारियों पर पति के उत्पीड़न का आरोप लगाया है. कांस्टेबल और उसकी पत्नी जनजातीय जिला किन्नौर के रहने वाले हैं.

महिला ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज शिकायत में बताया कि पुलिस के उच्च अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए उसके पति धर्म सुख नेगी को नौकरी से निकाला है. महिला ने बताया है कि पुलिस अधिकारियों ने पहले उसके पति पर झूठे व मनगढ़ंत आरोप लगाए और फिर विभागीय जांच बैठा कर 9 जुलाई 2020 को जबरन बेइज्जत करके नौकरी से निकाल दिया, जबकि कांस्टेबल के तौर पर उसके पति का 8 वर्षों का सेवाकाल बचा हुआ था.

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि पूर्व डीजीपी और अन्य पुलिस अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए उसके पति व परिवार को सामाजिक, आर्थिक व मानसिक तौर पर पीड़ा पहुंचाई है.

महिला द्वारा पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, रिटायर आईपीएस हिमांशु मिश्रा, अरविंद शारदा, एसपी शालिनी अग्निहोत्री, दिवाकर दत्त शर्मा, अंजुम आरा खान, भगत सिंह ठाकुर, पंकज शर्मा, मीनाक्षी और डीएसपी बलदेव दत्त के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई है. प्रार्थी अंजुम आरा, पंकज शर्मा और बलदेव दत्त ने उनके खिलाफ लगाए आरोपों को निराधार बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्राथमिकी को रद्द करने की गुहार लगाई है.

ये भी पढ़ें: 'सरकारी कर्मचारियों को महीने में दो बार मिली सैलरी, ऐसा करने वाला हिमाचल पहला राज्य'

शिमला: कांस्टेबल धर्म सुख नेगी के कथित तौर पर उत्पीड़न कर नौकरी से निकालने के मामले में आरोपी बनाए गए प्रार्थी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता. प्रार्थी पुलिस अधीक्षक अंजुम आरा व दो अन्य पुलिस अधिकारियों द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने को लेकर दायर याचिका के जवाब में पुलिस विभाग ने यह बात कही.

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट को सौंपे जवाब में पुलिस विभाग की ओर से बताया गया कि प्रार्थियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई आपराधिक मामला नहीं बनता. कोर्ट को यह भी बताया गया है कि इस मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए 23 अक्टूबर को फाइनल कैंसिलेशन रिपोर्ट तैयार की गई है.

इस पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने मामले की सुनवाई 2 दिसंबर को निर्धारित करने का आदेश पारित किया. मामले के अनुसार, बर्खास्त पुलिस कांस्टेबल धर्म सुख नेगी की पत्नी ने पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, दो रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर्स, 3 एसपी समेत 10 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है.

पूर्व डीजीपी संजय कुंडू और प्रार्थियों समेत 10 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एक्ट की धारा-3 (1)(P), एससी-एसटी एक्ट 1989 के तहत मामला रजिस्टर हुआ है.

नौकरी से निकाले गए कांस्टेबल धर्म सुख नेगी की पत्नी मीना नेगी ने पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, पूर्व आईपीएस समेत अन्य पुलिस अधिकारियों पर पति के उत्पीड़न का आरोप लगाया है. कांस्टेबल और उसकी पत्नी जनजातीय जिला किन्नौर के रहने वाले हैं.

महिला ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज शिकायत में बताया कि पुलिस के उच्च अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए उसके पति धर्म सुख नेगी को नौकरी से निकाला है. महिला ने बताया है कि पुलिस अधिकारियों ने पहले उसके पति पर झूठे व मनगढ़ंत आरोप लगाए और फिर विभागीय जांच बैठा कर 9 जुलाई 2020 को जबरन बेइज्जत करके नौकरी से निकाल दिया, जबकि कांस्टेबल के तौर पर उसके पति का 8 वर्षों का सेवाकाल बचा हुआ था.

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि पूर्व डीजीपी और अन्य पुलिस अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए उसके पति व परिवार को सामाजिक, आर्थिक व मानसिक तौर पर पीड़ा पहुंचाई है.

महिला द्वारा पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, रिटायर आईपीएस हिमांशु मिश्रा, अरविंद शारदा, एसपी शालिनी अग्निहोत्री, दिवाकर दत्त शर्मा, अंजुम आरा खान, भगत सिंह ठाकुर, पंकज शर्मा, मीनाक्षी और डीएसपी बलदेव दत्त के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई है. प्रार्थी अंजुम आरा, पंकज शर्मा और बलदेव दत्त ने उनके खिलाफ लगाए आरोपों को निराधार बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्राथमिकी को रद्द करने की गुहार लगाई है.

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