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आतिशी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि केस में अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को - BJP Defamation Case on Atishi - BJP DEFAMATION CASE ON ATISHI

राऊज एवेन्यू कोर्ट में बीजेपी नेता प्रवीण शंकर कपूर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में सुनवाई की तिथि में बदलाव किया गया है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 7, 2024, 3:25 PM IST

नई दिल्ली: राऊज एवेन्यू कोर्ट में बीजेपी नेता प्रवीण शंकर कपूर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में सुनवाई टाल गई. सोमवार को सेशंस कोर्ट के स्पेशल जज विशाल गोगने ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 24 अक्टूबर निर्धारित की. इस मामले में मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना ने मजिस्ट्रेट कोर्ट की ओर से जारी समन को चुनौती दी.

मामला उस समय का है जब एडिशनल चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट तान्या बामनियाल ने आतिशी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था. 30 सितंबर को सेशंस कोर्ट ने आतिशी की याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रवीण शंकर कपूर को नोटिस जारी किया था. मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इसी मामले में 23 जुलाई को आतिशी को 20,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत भी दी थी.

कपूर ने इस मामले में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आतिशी मार्लेना के खिलाफ मानहानि याचिका दायर की है. उनका आरोप है कि दोनों नेताओं ने बीजेपी के खिलाफ झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाए कि पार्टी के नेता करोड़ों रुपये लेकर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. कपूर का कहना है कि इस आरोप में कोई सच्चाई नहीं है और ना ही आरोपियों ने इसके समर्थन में कोई साक्ष्य पेश किए हैं.

आम आदमी पार्टी का दावा निराधारः कपूर के वकील ने कहा कि आम आदमी पार्टी का ये दावा न केवल निराधार है, बल्कि उनका उद्देश्य दिल्ली आबकारी घोटाले के मामले से लोगों का ध्यान भटकाना है. याचिका में 27 जनवरी को केजरीवाल के ट्विटर पोस्ट का जिक्र किया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बीजेपी ने 7 आप विधायकों को 25 करोड़ रुपये का ऑफर दिया था ताकि दिल्ली की सरकार को गिराया जा सके.

यह भी पढ़ें- मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित

प्रवीण शंकर कपूर ने यह भी बताया कि आरोपी नेताओं ने अपने आरोपों के लिए जो साक्ष्य प्रस्तुत करने का दायित्व उठाया है, उसमें वे विफल रहे हैं. उनका मानना है कि ये आरोप बेतुके हैं और महज राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा हैं.

आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का यह प्रकरण दिल्ली की राजनीतिक स्थिति को और अधिक जटिल बनाता है. राजनीतिक दलों के बीच इस तरह के मामले अक्सर देखने को मिलते हैं, लेकिन मानहानि केस का उठता मुद्दा अक्सर अदालतों में लंबी सुनवाई और सक्रिय राजनीतिक बयानबाजी का कारण बन जाता है. आगे की सुनवाई में अब देखना होगा कि सीएम आतिशी की पृष्ठभूमि में उठी ये चुनौतियां किस दिशा में आगे बढ़ती हैं और इस मामले का अंत क्या होता है.

यह भी पढ़ें- 7 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में रहेंगे अमानतुल्लाह खान, 25 सितंबर को होगी अगली सुनवाई.

नई दिल्ली: राऊज एवेन्यू कोर्ट में बीजेपी नेता प्रवीण शंकर कपूर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में सुनवाई टाल गई. सोमवार को सेशंस कोर्ट के स्पेशल जज विशाल गोगने ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 24 अक्टूबर निर्धारित की. इस मामले में मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना ने मजिस्ट्रेट कोर्ट की ओर से जारी समन को चुनौती दी.

मामला उस समय का है जब एडिशनल चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट तान्या बामनियाल ने आतिशी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था. 30 सितंबर को सेशंस कोर्ट ने आतिशी की याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रवीण शंकर कपूर को नोटिस जारी किया था. मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इसी मामले में 23 जुलाई को आतिशी को 20,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत भी दी थी.

कपूर ने इस मामले में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आतिशी मार्लेना के खिलाफ मानहानि याचिका दायर की है. उनका आरोप है कि दोनों नेताओं ने बीजेपी के खिलाफ झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाए कि पार्टी के नेता करोड़ों रुपये लेकर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. कपूर का कहना है कि इस आरोप में कोई सच्चाई नहीं है और ना ही आरोपियों ने इसके समर्थन में कोई साक्ष्य पेश किए हैं.

आम आदमी पार्टी का दावा निराधारः कपूर के वकील ने कहा कि आम आदमी पार्टी का ये दावा न केवल निराधार है, बल्कि उनका उद्देश्य दिल्ली आबकारी घोटाले के मामले से लोगों का ध्यान भटकाना है. याचिका में 27 जनवरी को केजरीवाल के ट्विटर पोस्ट का जिक्र किया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बीजेपी ने 7 आप विधायकों को 25 करोड़ रुपये का ऑफर दिया था ताकि दिल्ली की सरकार को गिराया जा सके.

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प्रवीण शंकर कपूर ने यह भी बताया कि आरोपी नेताओं ने अपने आरोपों के लिए जो साक्ष्य प्रस्तुत करने का दायित्व उठाया है, उसमें वे विफल रहे हैं. उनका मानना है कि ये आरोप बेतुके हैं और महज राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा हैं.

आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का यह प्रकरण दिल्ली की राजनीतिक स्थिति को और अधिक जटिल बनाता है. राजनीतिक दलों के बीच इस तरह के मामले अक्सर देखने को मिलते हैं, लेकिन मानहानि केस का उठता मुद्दा अक्सर अदालतों में लंबी सुनवाई और सक्रिय राजनीतिक बयानबाजी का कारण बन जाता है. आगे की सुनवाई में अब देखना होगा कि सीएम आतिशी की पृष्ठभूमि में उठी ये चुनौतियां किस दिशा में आगे बढ़ती हैं और इस मामले का अंत क्या होता है.

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