जोधपुर: अपने ही आश्रम की नाबालिग के साथ यौन दुराचार के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम व अन्य सहयोगियों की अपील पर राजस्थान हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई नहीं हो पाई. न्यायाधीश डॉक्टर पुष्पेंद्र सिंह भाटी की खंडपीठ के समक्ष अपील पर सुनवाई होनी थी, लेकिन सरकार की ओर से फौजदारी प्रकरणों में नए अतिरिक्त महाधिवक्ताओं की नियुक्ति की गई है. ऐसे में नए अति महाधिवक्ता नीरज गुर्जर ने कोर्ट में जाकर फाइल पढ़ने के लिए समय मांगा. जिस पर राजस्थान हाई कोर्ट ने उसे मंजूर करते हुए आगामी 17 सितंबर की तारीख को सुनवाई मुकर्रर की है.
2018 में जब से आसाराम के मामले में अधीनस्थ अदालत की ओर से आजीवन कारावास की सजा के आदेश दिए गए हैं, तब से राजस्थान हाईकोर्ट में उनकी सजा के खिलाफ अपील विचाराधीन है. पिछले करीब 6 साल से सुनवाई हो रही है. राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि इस मामले में अब जल्द से जल्द सुनवाई पूरी की जानी आवश्यक है. क्योंकि लंबे समय से अपील पेंडिंग है. जिसका निस्तारण भी आवश्यक है. ऐसे में आम तौर पर आसाराम की अधिवक्ताओं की ओर से समय चाहा गया था, लेकिन इस बार सरकार की ओर से नए अधिवक्ता होने की वजह से समय मांगा गया, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया.
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आसाराम को अधीनस्थ अदालत ने जीवन पर्यंत आजीवन कारावास की सजा के आदेश दे रखी है, जो की 25 अप्रैल 2018 को आसाराम को सुनाया गया था. इसके खिलाफ अपील पेश की गई. साथ ही सजा स्थगन का आवेदन भी किया गया. लेकिन आज दिन तक आसाराम की सजा को स्थगित नहीं किया गया है. ऐसे में बार-बार आसाराम की ओर से उपचार के लिए भी पैरोल की मांग की गई. हालांकि पहली बार राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम को इलाज के लिए आकस्मिक पैरोल भी स्वीकृत कर दी है. लेकिन अभी तक आसाराम सेंट्रल जेल से महाराष्ट्र के माधव बाग में उपचार के लिए नहीं जा पाए हैं. उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं होने की वजह से फिलहाल उन्होंने पैरोल की शर्तों का अनुबंध भी नहीं भरा है.