नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के पूर्व जिलाधिकारी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न स्टोन क्रशरों का अवैध खनन एवं भंडारण पर लगाए गए करीब 50 करोड़ जुर्माने को माफ करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने अगली सुनवाई की तारीख 27 अगस्त ( मंगलवार) निर्धारित की है.
मामले के अनुसार सामाजिक कार्यकर्ता चोरलगिया निवासी भुवन पोखरिया ने याचिका दायर कर कहा कि वर्ष 2016 -17 में नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा कई स्टोन क्रशरों का अवैध खनन व भंडारण का जुर्माना करीब 50 करोड़ रुपए माफ कर दिया गया, जबकि राज्यपाल महोदय ने इस प्रकरण को जांच करके रिपोर्ट देने को कहा था, लेकिन अभी तक कोई जवाब उन्हें नहीं दिया गया.
अधिकारी ने उन स्टोन क्रशरों का जुर्माना माफ किया, जिन पर जुर्माना करोड़ों में था और जिनका जुर्माना कम था, उनका माफ नहीं किया. इसकी शिकायत मुख्य सचिव और सचिव खनन से की गई, लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, जबकि कहा गया कि यह जिलाधिकारी का विशेषाधिकार है. जब याचिकाकर्ता द्वारा शासन से इसका लिखित रूप में जवाब मांगा गया, तो आज की तिथि तक उन्हें, इसका लिखित जवाब नहीं दिया गया.
इसके बाद याचिकाकर्ता ने, जिलाधिकारी को किस नियमावली के तहत अवैध खनन व भंडारण पर लगे जुर्माने को माफ करने का अधिकार प्राप्त है. आरटीआई के माध्यम से अवगत कराने की मांग उठाई. जिसके उत्तर में लोक सूचना अधिकारी औद्योगिक विभाग उत्तराखंड द्वारा कहा गया कि लोक प्राधिकार के अंतर्गत यह धारित नहीं है.
जनहित याचिका में कहा गया कि जब लोक प्राधिकार में उक्त नियम धारित नही हैं, तो जिलाधिकारी द्वारा कैसे स्टोन क्रशरों पर लगे 50 करोड़ रुपये का जुर्माना माफ कर दिया गया, जबकि औद्योगिक विभाग द्वारा 21 अक्टूबर 2020 को इस पर आख्या प्रस्तुत करने को कहा था, जो प्रस्तुत नहीं किया गया. जनहित याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि इस पर कार्रवाई की जाए, क्योंकि यह प्रदेश राजस्व की हानि है.
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