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फर्जी दस्तावेजों से नियुक्ति पाए शिक्षकों के मामले में HC में हुई सुनवाई, 57 फेक टीचर सस्पेंड, 2 महीने में मांगी पूरी रिपोर्ट - FAKE DOCUMENT TEACHERS

Hearing on teachers with fake documents In Nainital High Court उत्तराखंड हाईकोर्ट नैनीताल में फर्जी दस्तावेज से शिक्षक बनने के मामले में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता का आरोप है कि करीब साढ़े तीन हजार शिक्षकों ने फर्जी दस्तावेजों से नौकरी पाई है. इस पर सरकार ने कहा कि राज्य के 33 हजार में से बड़ी संख्या में शिक्षकों के दस्तावेज जांचे जा चुके हैं. इनमें फर्जी पाए गए 69 में से 57 शिक्षक सस्पेंड कर दिए गए हैं. हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से 2 महीने के अंदर पूरी रिपोर्ट देने को कहा है.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट समाचार
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 2, 2024, 9:15 AM IST

Updated : May 2, 2024, 9:22 AM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने प्राइमरी और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पाए करीब साढ़े तीन हजार शिक्षकों की नियुक्ति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि दो माह के भीतर सभी शिक्षकों के दस्तावेजों का निरीक्षण कर करके रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें.

फर्जी दस्तावेज वाले शिक्षकों पर सुनवाई: सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि प्रदेश के 75 प्रतिशत शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों का निरीक्षण किया जा चुका है. इनमें से कुछ लोगों के शैक्षणिक दस्तावेज अवैध पाए गए हैं. उनकी याचिकाएं उच्च न्यायालय में लंबित हैं. सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि दो माह के भीतर सभी शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों का मूल्यांकन कर रिपोर्ट पेश करें. ऐसे कितने केस कोर्ट में दायर हुए हैं, उनकी लिस्ट भी कोर्ट को दें. ये भी रिपोर्ट दें कि अभी तक कितने शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच की गई है. कितने फर्जी शिक्षक अभी तक सस्पेंड किये हैं.

हजारों शिक्षकों के दस्तावेज हो चुके चेक: सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि 33 हजार शिक्षकों में से बड़ी संख्या में शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच हो चुकी है. बाकी बचे शिक्षकों की जांच की प्रक्रिया जारी है. सरकार का तथ्य सुनते हुए कोर्ट ने कहा कि मामला अति गम्भीर है, इसलिए जो जांच विचाराधीन है उसको शीघ्र पूरा किया जाए. सरकार के जवाब में कोर्ट के सामने यह भी तथ्य लाया गया कि 33 हजार शिक्षकों में से 69 शिक्षकों के फर्जी फस्तावेज पाए गए हैं, जिनमें से 57 शिक्षकों को सरकार ने सस्पेंड कर दिया है.

इन्होंने दायर की है जनहित याचिका: मामले के अनुसार स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी हल्द्वानी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य के प्राइमरी और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में करीब साढ़े तीन हजार अध्यापक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी तरीके से नियुक्त किये गए हैं. जिनमें से कुछ अध्यापकों की एसआईटी जांच की गई, जिसमें तीन के नाम सामने आए. परन्तु विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के कारण इनको क्लीन चिट दी गयी और ये अभी भी कार्यरत हैं. संस्था ने इस प्रकरण की एसआईटी से जांच करने को कहा है. पूर्व में राज्य सरकार ने अपना शपथ पत्र पेश कर कहा था कि इस मामले की एसआईटी जांच चल रही है. अभी तक 84 अध्यापक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी पाए गए हैं. उन पर विभागीय कार्रवाई चल रही.
ये भी पढ़ें: HC ने की फर्जी शिक्षकों के मामले पर सुनवाई, सरकार से मांगा कार्रवाई का ब्योरा

नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने प्राइमरी और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पाए करीब साढ़े तीन हजार शिक्षकों की नियुक्ति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि दो माह के भीतर सभी शिक्षकों के दस्तावेजों का निरीक्षण कर करके रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें.

फर्जी दस्तावेज वाले शिक्षकों पर सुनवाई: सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि प्रदेश के 75 प्रतिशत शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों का निरीक्षण किया जा चुका है. इनमें से कुछ लोगों के शैक्षणिक दस्तावेज अवैध पाए गए हैं. उनकी याचिकाएं उच्च न्यायालय में लंबित हैं. सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि दो माह के भीतर सभी शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों का मूल्यांकन कर रिपोर्ट पेश करें. ऐसे कितने केस कोर्ट में दायर हुए हैं, उनकी लिस्ट भी कोर्ट को दें. ये भी रिपोर्ट दें कि अभी तक कितने शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच की गई है. कितने फर्जी शिक्षक अभी तक सस्पेंड किये हैं.

हजारों शिक्षकों के दस्तावेज हो चुके चेक: सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि 33 हजार शिक्षकों में से बड़ी संख्या में शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच हो चुकी है. बाकी बचे शिक्षकों की जांच की प्रक्रिया जारी है. सरकार का तथ्य सुनते हुए कोर्ट ने कहा कि मामला अति गम्भीर है, इसलिए जो जांच विचाराधीन है उसको शीघ्र पूरा किया जाए. सरकार के जवाब में कोर्ट के सामने यह भी तथ्य लाया गया कि 33 हजार शिक्षकों में से 69 शिक्षकों के फर्जी फस्तावेज पाए गए हैं, जिनमें से 57 शिक्षकों को सरकार ने सस्पेंड कर दिया है.

इन्होंने दायर की है जनहित याचिका: मामले के अनुसार स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी हल्द्वानी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य के प्राइमरी और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में करीब साढ़े तीन हजार अध्यापक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी तरीके से नियुक्त किये गए हैं. जिनमें से कुछ अध्यापकों की एसआईटी जांच की गई, जिसमें तीन के नाम सामने आए. परन्तु विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के कारण इनको क्लीन चिट दी गयी और ये अभी भी कार्यरत हैं. संस्था ने इस प्रकरण की एसआईटी से जांच करने को कहा है. पूर्व में राज्य सरकार ने अपना शपथ पत्र पेश कर कहा था कि इस मामले की एसआईटी जांच चल रही है. अभी तक 84 अध्यापक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी पाए गए हैं. उन पर विभागीय कार्रवाई चल रही.
ये भी पढ़ें: HC ने की फर्जी शिक्षकों के मामले पर सुनवाई, सरकार से मांगा कार्रवाई का ब्योरा

Last Updated : May 2, 2024, 9:22 AM IST
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