नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सितारगंज किसान सहकारी चीनी मिल और उसकी 86 एकड़ भूमि को 100 रुपये के स्टांप पर निजी हाथों में सौंपने के मामले में प्रदेश सरकार और अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा है. दरअसल सितारगंज के गन्ना उत्पादक राजेन्द्र सिंह और अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में आज सुनवाई हुई.
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि अस्सी के दशक में सहकारी समिति अधिनियम, 1965 के तहत सितारगंज, बरेली और पीलीभीत के किसानों की ओर सितारगंज किसान सहकारी समिति का गठन किया गया और उसके तहत सितारगंज चीनी मिल का संचालन किया जाने लगा. साल 2017 में प्रदेश के गन्ना विकास सचिव की ओर से मनमाना कदम उठाते हुए चीनी मिल को बंद करने के आदेश जारी किए गए. सरकार की ओर से इसके लिये किसान सहकारी समिति की अनुमति नहीं ली गई.
साल 2020 में सरकार ने सितारगंज की उप जिलाधिकारी मुक्ता मिश्रा को चीनी मिल में लिक्विडेटर नियुक्त करते हुए चीनी मिल को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी. इसके लिये समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी करते हुए निजी क्षेत्र से प्रस्ताव मांगे गए. पिछले वर्ष सरकार ने 19 अप्रैल, 2023 को उत्तराखंड को-आपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन लिमिटेड की ओर से चीनी मिल को जेएनएन शुगर्स और बायो फ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड को 30 वर्ष के लिये लीज पर सौंप दिया गया. साथ ही चीनी मिल की 86 एकड़ भूमि को भी 100 रूपये के स्टांप पर कंपनी को सौंप दी गई. याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत से सरकार के इस मनमाने कदम पर रोक लगाने की मांग की गई है.
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