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ब्लैक लिस्ट होने के बाद सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में जाना पड़ा महंगा, HC ने सरकारी ठेकेदार पर लगाया जुर्माना - Hearing in Patna High Court - HEARING IN PATNA HIGH COURT

Patna High Court :ब्लैक लिस्ट होने के बाद ठेकेदार को सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट जाना महंगा पड़ गया. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए एक ठेकेदार मनोज कुमार झा को न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के लिए पांच हजार रुपए का हर्जाना लगाया.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 19, 2024, 10:38 PM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट ने सरकारी ठेकेदार मनोज कुमार झा को न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के लिए पांच हजार रुपए का हर्जाना लगाया. शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन एवं हरीश कुमार की खंडपीठ ने मनोज की रिट याचिका को वापस लेने की अनुमति देने के साथ उसपर उक्त हर्जाना लगाया है. जिसे बिहार विधिक सेवा प्राधिकार के दफ्तर में जमा करने का निर्देश दिया गया.

हाईकोर्ट ने ठेकेदार पर लगाया जुर्माना: दरअसल, याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि शिक्षा विभाग की एक टेंडर में भाग लेने के बाद उसे अचानक बिना कोई कारण बताए ही अगले 10 वर्षों के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया. वहीं गलत/जाली कार्य प्रमाणपत्र दायर करने वाले ठेकेदार काली सूची में दर्ज किया गया था. वहीं दूसरे पक्ष ने बिहार राज्य शिक्षा आधारभूत संरचना विकास निगम ने जवाबी हलफनामा देकर कोर्ट को बताया कि मनोज ने बतौर सरकारी ठेकेदार का कार्य अनुभव का प्रमाण पत्र एवं वार्षिक टर्न ओवर से जुड़े दस्तावेज जमा किया था. वह वेरिफिकेशन में जाली पाया गया.

तथ्यों को छुपाकर दायर की याचिका: वहीं निगम ने याचिकाकर्ता ठेकेदार को उसके ई मेल पर कारण बतायो नोटिस भी भेजा गया. जिसपर वो चुप्पी साधे रहे. यहीं नहीं उसके कार्य प्रमाण पत्र को जाली ठहराने वाली चार्टर्ड एकाउंटेंट की चिट्ठी की प्रति भी मनोज को दी गई थी. उचित जवाब नहीं मिलने के कारण उसे निगम ने ब्लैक लिस्ट किया. इन सभी तथ्यों को याचिकाकर्ता ने कोर्ट से छुपा कर रिट याचिका दायर किया था.

निगम पर लगाया झूठा आरोप: याचिकाकर्ता के वकील प्रभात रंजन मुकदम को वापस लेने की गुहार लगाया तो पटना हाईकोर्ट ने विपक्षी से पूछा कि उन्हें को आपत्ति तो नहीं. विपक्षी निगम के वकील गिरिजेश कुमार ने कोर्ट से आग्रह किया कि याचिकाकर्ता ने पहले निगम पर झूठा आरोप लगाया की बगैर नोटिस के ही उसे सजा दी गई. अब जब निगम याचिकाकर्ता द्वारा जमा की गई जाली प्रमाणपत्र और उस बाबत उसको दी गई कारण बतायो नोटिस बारे कोर्ट को असलियत बता रही है. तब वो मुकदमा वापस ले रहा है.

पटना: पटना हाईकोर्ट ने सरकारी ठेकेदार मनोज कुमार झा को न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के लिए पांच हजार रुपए का हर्जाना लगाया. शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन एवं हरीश कुमार की खंडपीठ ने मनोज की रिट याचिका को वापस लेने की अनुमति देने के साथ उसपर उक्त हर्जाना लगाया है. जिसे बिहार विधिक सेवा प्राधिकार के दफ्तर में जमा करने का निर्देश दिया गया.

हाईकोर्ट ने ठेकेदार पर लगाया जुर्माना: दरअसल, याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि शिक्षा विभाग की एक टेंडर में भाग लेने के बाद उसे अचानक बिना कोई कारण बताए ही अगले 10 वर्षों के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया. वहीं गलत/जाली कार्य प्रमाणपत्र दायर करने वाले ठेकेदार काली सूची में दर्ज किया गया था. वहीं दूसरे पक्ष ने बिहार राज्य शिक्षा आधारभूत संरचना विकास निगम ने जवाबी हलफनामा देकर कोर्ट को बताया कि मनोज ने बतौर सरकारी ठेकेदार का कार्य अनुभव का प्रमाण पत्र एवं वार्षिक टर्न ओवर से जुड़े दस्तावेज जमा किया था. वह वेरिफिकेशन में जाली पाया गया.

तथ्यों को छुपाकर दायर की याचिका: वहीं निगम ने याचिकाकर्ता ठेकेदार को उसके ई मेल पर कारण बतायो नोटिस भी भेजा गया. जिसपर वो चुप्पी साधे रहे. यहीं नहीं उसके कार्य प्रमाण पत्र को जाली ठहराने वाली चार्टर्ड एकाउंटेंट की चिट्ठी की प्रति भी मनोज को दी गई थी. उचित जवाब नहीं मिलने के कारण उसे निगम ने ब्लैक लिस्ट किया. इन सभी तथ्यों को याचिकाकर्ता ने कोर्ट से छुपा कर रिट याचिका दायर किया था.

निगम पर लगाया झूठा आरोप: याचिकाकर्ता के वकील प्रभात रंजन मुकदम को वापस लेने की गुहार लगाया तो पटना हाईकोर्ट ने विपक्षी से पूछा कि उन्हें को आपत्ति तो नहीं. विपक्षी निगम के वकील गिरिजेश कुमार ने कोर्ट से आग्रह किया कि याचिकाकर्ता ने पहले निगम पर झूठा आरोप लगाया की बगैर नोटिस के ही उसे सजा दी गई. अब जब निगम याचिकाकर्ता द्वारा जमा की गई जाली प्रमाणपत्र और उस बाबत उसको दी गई कारण बतायो नोटिस बारे कोर्ट को असलियत बता रही है. तब वो मुकदमा वापस ले रहा है.

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