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याचिकाकर्ता के शोषण और प्रताड़ना मामले पर सुनवाई, राज्य सरकार एक सप्ताह में जवाब करेगी पेश - Nainital High Court

Nainital High Court नैनीताल हाईकोर्ट में आज याचिकाकर्ता के शोषण और प्रताड़ना मामले पर सुनवाई हुई. इसी बीच कोर्ट ने राज्य सरकार से एक सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. पढ़ें पूरी खबर..

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 23, 2024, 7:56 PM IST

Updated : Aug 23, 2024, 8:31 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी की चोरगलिया पुलिस द्वारा साल 2020 में याचिकाकर्ता को प्रताड़ित करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की एकलपीठ ने राज्य सरकार से एक सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. याचिकाकर्ता द्वारा अपनी याचिका में राज्य के गृह सचिव, कमिश्नर कुमायूं, डीजीपी, तत्कालीन एसएसपी नैनीताल, तत्कालीन डीएम, तत्कालीन एसडीएम हल्द्वानी विवेक रॉय, तत्कालीन एसएचओ चोरगलिया संजय जोशी, राज्य मानवाधिकार आयोग सहित इस प्रकरण में शामिल अन्य लोगों को पक्षकार बनाया गया है.

मामले के अनुसार समाजसेवी चोरगलिया निवासी बीसी पोखरिया ने याचिका दायर कर कहा कि साल 2020 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने सभी मानकों को नजर अंदाज करके रिहायशी क्षेत्र में स्टोन क्रशर लगाने व भंडारण की अनुमति दे दी, जिसका विरोध उनके और क्षेत्रवासियों द्वारा किया गया. इस विरोध के चलते डीएम व पुलिस द्वारा उनके खिलाफ पहले आईपीसी की धारा 107 व 116 शांति भंग करने का मुकदमा दर्ज किया गया.

बाद में उनका लाइसेंसी शस्त्र भी जब्त कर लिया और उनको जिला बदर कर दिया. इन केसों में उन्हें निचली अदालत ने बरी कर दिया, लेकिन उनके द्वारा अपनी आत्म सम्मान को बनाये रखने के लिये राज्यमानव अधिकार को कार्रवाई करने हेतु 2020 में प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन अभी तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जब कार्रवाई नहीं हुई, तो उनके द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई.

उच्च न्यायालय ने आयोग से इस प्रकरण को शीघ्र निस्तारण करने को कहा. अयोग ने आनन-फानन में उनके प्रार्थनापत्र को निस्तारित करते हुए कहा कि इनके पास अनुतोष का लाभ पाने के लिए कई अन्य विकल्प हैं, लेकिन आयोग ने दोषी अधिकरियों के खिलाफ कोई उचित कार्रवाई करने का निर्णय नहीं लिया, जिसकी वजह से उन्हें पुनः न्यायालय की शरण लेनी पड़ी.

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नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी की चोरगलिया पुलिस द्वारा साल 2020 में याचिकाकर्ता को प्रताड़ित करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की एकलपीठ ने राज्य सरकार से एक सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. याचिकाकर्ता द्वारा अपनी याचिका में राज्य के गृह सचिव, कमिश्नर कुमायूं, डीजीपी, तत्कालीन एसएसपी नैनीताल, तत्कालीन डीएम, तत्कालीन एसडीएम हल्द्वानी विवेक रॉय, तत्कालीन एसएचओ चोरगलिया संजय जोशी, राज्य मानवाधिकार आयोग सहित इस प्रकरण में शामिल अन्य लोगों को पक्षकार बनाया गया है.

मामले के अनुसार समाजसेवी चोरगलिया निवासी बीसी पोखरिया ने याचिका दायर कर कहा कि साल 2020 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने सभी मानकों को नजर अंदाज करके रिहायशी क्षेत्र में स्टोन क्रशर लगाने व भंडारण की अनुमति दे दी, जिसका विरोध उनके और क्षेत्रवासियों द्वारा किया गया. इस विरोध के चलते डीएम व पुलिस द्वारा उनके खिलाफ पहले आईपीसी की धारा 107 व 116 शांति भंग करने का मुकदमा दर्ज किया गया.

बाद में उनका लाइसेंसी शस्त्र भी जब्त कर लिया और उनको जिला बदर कर दिया. इन केसों में उन्हें निचली अदालत ने बरी कर दिया, लेकिन उनके द्वारा अपनी आत्म सम्मान को बनाये रखने के लिये राज्यमानव अधिकार को कार्रवाई करने हेतु 2020 में प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन अभी तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जब कार्रवाई नहीं हुई, तो उनके द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई.

उच्च न्यायालय ने आयोग से इस प्रकरण को शीघ्र निस्तारण करने को कहा. अयोग ने आनन-फानन में उनके प्रार्थनापत्र को निस्तारित करते हुए कहा कि इनके पास अनुतोष का लाभ पाने के लिए कई अन्य विकल्प हैं, लेकिन आयोग ने दोषी अधिकरियों के खिलाफ कोई उचित कार्रवाई करने का निर्णय नहीं लिया, जिसकी वजह से उन्हें पुनः न्यायालय की शरण लेनी पड़ी.

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Last Updated : Aug 23, 2024, 8:31 PM IST
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