नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जोशीमठ में हो रहे लगातार भू-धंसाव को लेकर उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी की जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 28 अगस्त की तारीख निर्धारित की है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई.
पूर्व में खंडपीठ ने याचिकाकर्ता राज्य सरकार व एनटीपीसी से कहा था कि इस मामले का समाधान करने के लिए नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के सामने अपना पक्ष रखें. उस निर्णय पर राज्य सरकार निर्णय ले. एनडीएमए की रिपोर्ट पर राज्य सरकार ने बैठक की, लेकिन कोई निर्णय नहीं निकला, क्योंकि एनटीपीसी जोशीमठ में टनल के निर्माण हेतु ब्लास्ट की अनुमति चाह रहा है. सुनवाई के बाद राज्य सरकार ने इस मामले के समाधान करने हेतु कोर्ट से अतिरिक्त समय मांगा है.
पूर्व में एनटीपीसी की तरफ से प्रार्थनापत्र देकर कहा गया कि उन्हें जोशीमठ में निर्माण कार्य व ब्लास्ट करने की अनुमति दी जाए, क्योंकि उनकी परियोजना जोशीमठ से 15 किलोमीटर दूर है. इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि इनकी परियोजना 1. 5 किलोमीटर दूरी पर है, इसलिए इन्हें ब्लास्ट की अनुमति नहीं दी जा सकती. जिस पर कोर्ट ने दोनों से एनडीएमए के पास जाने को कहा था. एनडीएमए ने कोर्ट को बताया कि उसने अंतिम सिफारिश तैयार कर ली है और राज्य को निर्णय लेने के लिए भेज दिया है.
मामले के अनुसार अल्मोड़ा निवासी उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी व चिपको आंदोलन के सदस्य पीसी तिवारी ने 2021 में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार के पास आपदा से निपटने की सभी तैयारियां अधूरी हैं और सरकार के पास अब तक कोई ऐसा सिस्टम नहीं है, जो आपदा आने से पहले उसकी सूचना दें. वहींं, उत्तराखंड में 5600 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाले यंत्र नहीं लगे हैं.
उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रिमोट सेंसिंग इंस्टीट्यूट अभी तक काम नहीं कर रहे हैं, जिस वजह से बादल फटने जैसी घटनाओं की जानकारी नहीं मिल पाती. हाइड्रो प्रोजेक्ट टीम के कर्मचारियों के सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है. कर्मचारियों को केवल सुरक्षा के नाम पर हेलमेट दिए हैं और कर्मचारियों को आपदा से लड़ने के लिए कोई ट्रेनिंग तक नहीं दी गई और ना ही कर्मचारियों के पास कोई उपकरण मौजूद हैं.
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