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राज्य आंदोलनकारी क्षैतिज आरक्षण मामला, हाईकोर्ट ने मांगा एक्ट का आधार, डेटा, सरकार को 6 हफ्ते का समय दिया - Uttarakhand Horizontal Reservation - UTTARAKHAND HORIZONTAL RESERVATION

Uttarakhand Horizontal Reservation, nainital high court राज्य आंदोलनकारियों को 10 फीसदी झैतिज आरक्षण का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. इस मामले में आज कोर्ट में सुनवाई है. जिसमें हाईकोर्ट ने सरकार से इस एक्ट का आधार, डेटा मांगा है. इसके लिए सरकार को 6 हफ्ते का समय दिया गया है.

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राज्य आंदोलनकारी क्षैतिज आरक्षण मामला (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 19, 2024, 5:08 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य आंदोलनकारियों के 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने सम्बंधित एक्ट को चुनौती देती जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 6 हफ्तों के भीतर जवाब पेश करने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने आरक्षण तय करने का आधार भी पूछा है. इसका डेटा कोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिये गये हैं.

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा है कि इस आदेश की प्रति लोक सेवा आयोग को भी भेजें, ताकि कोई कार्रवाई आगे ना हो सके. आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तत्काल इस एक्ट पर रोक लगाने से इंकार कर दिया. सुनवाई पर याचिकाकर्ता ने कहा पूर्व में इस मामले पर कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए कहा था कि राज्य सरकार राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण नहीं दे सकती, क्योंकि राज्य के सभी नागरिक राज्य आंदोलनकारी थे. इस आदेश को राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायलय में चुनौती तक नहीं दी. अब सरकार आरक्षण देने के लिए 18 अगस्त 2024 को कानून बना दिया, जो उच्च न्यायलय के आदेश के खिलाफ है. इसका विरोध करते हुए राज्य के महाअधिवक्ता ने कहा राज्य को इसमें कानून बनाने की पावर है. अभी सर्वोच्च न्यायलय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए नई आरक्षण नीति तय करने का आदेश दिया. वर्तमान में राज्य की परिस्थितियां बदल गयी हैं. उसी को आधार मानते हुए राज्य सरकार ने 18 अगस्त 2024 को आरक्षण सम्बन्धी कानून बनाया है. इसी के आधार पर लोक सेवा ने पद सृजित किए हैं.

मामले के अनुसार देहरादून के भुवन सिंह समेत अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इस नए एक्ट को असंवैधानिक बताते हुए इसको निरस्त करने की मांग की है. जनहित याचिका में उन्होंने कहा 2004 में राज्य आन्दोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया गया, इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती मिली. हाईकोर्ट ने इस सरकारी आदेश को 2017 में असंवैधानिक करार दे दिया. इसके बाद उत्तराखंड सरकार 18 अगस्त 2024 को इस आदेश के खिलाफ एक्ट लेकर आई. राज्य आन्दोनकारियों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय ले लिया. उनके द्वारा इस एक्ट को निरस्त करने की मांग की गई है. एक्ट को असंवैधानिक बताया है. पूर्व में भी कोर्ट ने इसे दिये जाने के मामले को रद्द किया था.

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नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य आंदोलनकारियों के 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने सम्बंधित एक्ट को चुनौती देती जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 6 हफ्तों के भीतर जवाब पेश करने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने आरक्षण तय करने का आधार भी पूछा है. इसका डेटा कोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिये गये हैं.

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा है कि इस आदेश की प्रति लोक सेवा आयोग को भी भेजें, ताकि कोई कार्रवाई आगे ना हो सके. आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तत्काल इस एक्ट पर रोक लगाने से इंकार कर दिया. सुनवाई पर याचिकाकर्ता ने कहा पूर्व में इस मामले पर कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए कहा था कि राज्य सरकार राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण नहीं दे सकती, क्योंकि राज्य के सभी नागरिक राज्य आंदोलनकारी थे. इस आदेश को राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायलय में चुनौती तक नहीं दी. अब सरकार आरक्षण देने के लिए 18 अगस्त 2024 को कानून बना दिया, जो उच्च न्यायलय के आदेश के खिलाफ है. इसका विरोध करते हुए राज्य के महाअधिवक्ता ने कहा राज्य को इसमें कानून बनाने की पावर है. अभी सर्वोच्च न्यायलय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए नई आरक्षण नीति तय करने का आदेश दिया. वर्तमान में राज्य की परिस्थितियां बदल गयी हैं. उसी को आधार मानते हुए राज्य सरकार ने 18 अगस्त 2024 को आरक्षण सम्बन्धी कानून बनाया है. इसी के आधार पर लोक सेवा ने पद सृजित किए हैं.

मामले के अनुसार देहरादून के भुवन सिंह समेत अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इस नए एक्ट को असंवैधानिक बताते हुए इसको निरस्त करने की मांग की है. जनहित याचिका में उन्होंने कहा 2004 में राज्य आन्दोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया गया, इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती मिली. हाईकोर्ट ने इस सरकारी आदेश को 2017 में असंवैधानिक करार दे दिया. इसके बाद उत्तराखंड सरकार 18 अगस्त 2024 को इस आदेश के खिलाफ एक्ट लेकर आई. राज्य आन्दोनकारियों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय ले लिया. उनके द्वारा इस एक्ट को निरस्त करने की मांग की गई है. एक्ट को असंवैधानिक बताया है. पूर्व में भी कोर्ट ने इसे दिये जाने के मामले को रद्द किया था.

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