ETV Bharat / state

सजा काट चुके कैदियों को रिहा न करने के मामले में सुनवाई, HC ने राज्य सरकार से 2 सप्ताह में मांगा जवाब - Nainital High Court

Nainital High Court सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी कैदियों को रिहा न करने के मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आज सुनवाई की. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर मामले में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 23, 2024, 9:08 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश की जेलों में आजीवन की सजा काट चुके कैदियों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी रिहा नहीं करने के मामले में स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका में सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा कि दो सप्ताह के भीतर कोर्ट को बताएं कि कितने आजीवन की सजा पूरी कर चुके कैदियों को छोड़े जाने के अनुमति आपने राज्य को भेजी है.

आज राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि पूर्व के आदेश पर सजा काट चुके 8 कैदियों को जेल प्रसाशन ने रिहा कर दिया है, जबकि कई संगीन अपराध में लिप्त अपराधियों को नहीं छोड़ा गया. कुछ अपराधी ऐसे हैं, जिनको छोड़ने के लिए राज्य सरकार की और अनुमति लेनी आवश्यक है. अब मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.

मामले के अनुसार पिछले 17 मार्च को मुख्य न्यायाधीश ने हल्द्वानी की जिला जेल और सितारगंज की संपूर्णानंद ओपन जेल का निरीक्षण किया. वहां वे उन कैदियों से भी मिली, जिनकी सजा पूरी हो चुकी थी, लेकिन उन्हें आज तक रिहा नहीं किया गया. मुख्य न्यायाधीश ने कैदियों के अधिकारों को समझते हुए प्रदेश के सभी जेल प्रबंधकों से इसकी लिस्ट मांगी कि प्रदेश में ऐसे कितने कैदी हैं, जिन्होंने आजीवन कारावास का समय काट लिया है, लेकिन उन्हें अभी तक रिहा नहीं किया गया. जिसके बाद 167 कैदियों की लिस्ट मिली. मुख्य न्यायाधीश ने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना पाते हुए स्वतः संज्ञान लेकर गृह सचिव, सचिव न्याय को कोर्ट में तलब किया था. गृह सचिव द्वारा कहा गया कि उन्हें कल ही इस विभाग का कार्यभार संभाला है, उन्हें समय दिया जाए.

ये भी पढ़ें-

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश की जेलों में आजीवन की सजा काट चुके कैदियों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी रिहा नहीं करने के मामले में स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका में सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा कि दो सप्ताह के भीतर कोर्ट को बताएं कि कितने आजीवन की सजा पूरी कर चुके कैदियों को छोड़े जाने के अनुमति आपने राज्य को भेजी है.

आज राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि पूर्व के आदेश पर सजा काट चुके 8 कैदियों को जेल प्रसाशन ने रिहा कर दिया है, जबकि कई संगीन अपराध में लिप्त अपराधियों को नहीं छोड़ा गया. कुछ अपराधी ऐसे हैं, जिनको छोड़ने के लिए राज्य सरकार की और अनुमति लेनी आवश्यक है. अब मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.

मामले के अनुसार पिछले 17 मार्च को मुख्य न्यायाधीश ने हल्द्वानी की जिला जेल और सितारगंज की संपूर्णानंद ओपन जेल का निरीक्षण किया. वहां वे उन कैदियों से भी मिली, जिनकी सजा पूरी हो चुकी थी, लेकिन उन्हें आज तक रिहा नहीं किया गया. मुख्य न्यायाधीश ने कैदियों के अधिकारों को समझते हुए प्रदेश के सभी जेल प्रबंधकों से इसकी लिस्ट मांगी कि प्रदेश में ऐसे कितने कैदी हैं, जिन्होंने आजीवन कारावास का समय काट लिया है, लेकिन उन्हें अभी तक रिहा नहीं किया गया. जिसके बाद 167 कैदियों की लिस्ट मिली. मुख्य न्यायाधीश ने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना पाते हुए स्वतः संज्ञान लेकर गृह सचिव, सचिव न्याय को कोर्ट में तलब किया था. गृह सचिव द्वारा कहा गया कि उन्हें कल ही इस विभाग का कार्यभार संभाला है, उन्हें समय दिया जाए.

ये भी पढ़ें-

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.