पटना: स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि टीबी की जांच को बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अगले दो वर्षों का रोडमैप तैयार कर लिया है. राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2024-25 के लिए 1500 और 2025-26 के लिए 2000 जांच प्रति लाख आबादी पर लक्ष्य निर्धारित किया गया है. टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए टीबी संभावितों की अधिकतम जांच पर विशेष बल दिया जा रहा है.
वर्ष 2024-25 में प्रति लाख 1500 जांच का लक्ष्य: मंगल पांडेय ने बताया कि राज्य के सभी जिलों के विभिन्न संस्थानों में टीबी जांच की गुणवत्ता पर जोर दिया जा रहा है. इसके लिए पूर्व से 82 सीबी नेट मशीन तथा 37 ट्रू नेट (ड्यूओ) एवं 170 ट्रू नेट (क्वाट्रो) मशीन क्रियाशील हैं. इसके अलावे बीएमएसआईसीएल के माध्यम से 232 ट्रू नेट (क्वाट्रो) का क्रय कर अधिष्ठापन विभिन्न जिलों में किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसके अलावे 24 जिलों में चलाए जा रहे पब्लिक प्राइवेट सपोर्ट एजेंसी के माध्यम से उपचार करा रहे रोगियों का ड्रग ससेप्टिविलिटि जांच निःशुल्क की जा रही है.
कैसे होती है टीबी जांच?: स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य में उपलब्ध सीबी नेट और ट्रू नेट मशीनों का उनकी क्षमता के अनुसार उपयोग करने के लिए जिलों के सिविल सर्जन को निर्देशित किया गया है. इसके लिए प्रत्येक मशीन से प्रतिदिन होने वाले टीबी जांच की सूचना और जांच के लिए आवश्यक चीप या किट की समीक्षा जिला एवं राज्य स्तर पर प्रतिदिन किए जाएंगे.
टीबी बीमारी क्या है?: टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस यानी क्षय रोग एक संक्रामक रोग है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नाम के जीवाणु द्वारा इंसान के शरीर में फैलता है. वहीं, हवा के जरिये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है. खांसने और छींकने पर बीमार व्यक्ति से दूसरे में फैलता है. यह घातक रोग है, जो व्यक्ति के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी जैसी जगहों तक को भी संक्रमित कर सकता है.
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