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झारखंड बार काउंसिल ने हेमंत सरकार के फैसले पर उठाया सवाल, जानिए वजह - decision Hemant Government

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 7, 2024, 8:12 PM IST

Updated : Sep 8, 2024, 9:04 AM IST

Jharkhand Advocate surprise by Hemant Government. हेमंत सोरेन ने झारखंड में अधिवक्ताओं के लिए स्वास्थ्य बीमा और तीन साल तक स्टाइपेंड देने की घोषणा की थी. अब झारखंड सरकार के इस फैसले पर सवाल उठने लगे हैं. स्टेट बार काउंसिल ने कैबिनेट के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए इस फैसले के जमीन पर उतरने पर संशय व्यक्त किया है.

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राजेंद्र कृष्ण, स्टेट बार कॉउंसिल अध्यक्ष (ईटीवी भारत)

रांची: हेमंत सरकार द्वारा अधिवक्ताओं के लिए स्वास्थ्य बीमा, पेंशन एवं स्टाइपेंड को लेकर लिए गए फैसले पर सवाल उठने लगे हैं. स्टेट बार काउंसिल ने कैबिनेट के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए इस फैसले के जमीन पर उतरने पर संशय व्यक्त किया है. स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने शनिवार को मीडियाकर्मियों से बात करते हुए नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से वैसे अधिवक्ताओं को लाभ मिलेगा जो ट्रस्टी कमिटी के सदस्य हैं. इनकी संख्या महज 15 हजार है जबकि राज्य में 35 हजार स्टेट बार कॉउंसिल से निबंधित अधिवक्ता हैं. ऐसे में शेष बचे अधिवक्ताओं का क्या होगा?

प्रेस वार्ता करते हुए स्टेट बार कॉउंसिल अध्यक्ष (ईटीवी भारत)



सरकार के फैसले के बाद उठने लगे हैं सवाल

स्टेट बार काउंसिल ने उन्होंने नए अधिवक्ता को तीन साल तक स्टाइपेंड देने की जहां सराहना की तो वहीं पांच हजार के स्टाइपेंड राशि में पचास फीसदी ही देने की आलोचना की. स्टेट बार काउंसिल अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने कहा कि वर्तमान में स्टेट बार के द्वारा नए अधिवक्ता को प्रति माह एक हजार रुपया दिया जाता है. उसमें भी आर्थिक कमी सामने आती रहती है. अगर पांच हजार स्टाइपेंड दिया जाएगा तो सरकार सिर्फ 2500 ही देगी. शेष ढाई हजार स्टेट बार को वहन करना पड़ेगा. सरकार को चाहिए था कि यह फैसला लेते समय पहले स्टेट बार के साथ भी बातचीत करती. मगर ऐसा नहीं हुआ और स्टाइपेंड बढ़ाने का निर्णय ले लिया गया.

स्टेट बार काउंसिल अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने कहा कि हमारी मांग है कि अगर स्टाइपेंड देना है तो सरकार पूर्ण रूप से वहन करें. जिससे कोई परेशानी ना हो. इसी तरह वैसे लाइसेंस प्रत्यर्पित करने वाले 65 साल से अधिक उम्र के अधिवक्ताओं को अधिवक्ता कल्याण निधि न्यास द्वारा पेंशन मद पर भी सवाल उठे. 65 साल से अधिक उम्र के अधिवक्ताओं को 7000 रुपया के अतिरिक्त 7000 रुपया सरकार के द्वारा दिए जाने का निर्णय पर सवाल उठने लगे हैं.

राजेंद्र कृष्णा ने कहा कि यह उसी तरह हो जाएगा जिस तरह इससे पहले आयुष्मान से अधिवक्ताओं के स्वास्थ्य बीमा योजना को जोड़ने पर सरकार ने पहल की थी. लेकिन बाद में वह लागू नहीं हो पाया. एक दो महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में सरकार को चाहिए कि इस संदर्भ में त्रिपक्षीय वार्ता हो और इसमें जो भी कमियां हैं, उसे दूर कर इसे जमीन पर उतारा जाए.

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सरकार के फैसले के बाद उठने लगे हैं सवाल

स्टेट बार काउंसिल ने उन्होंने नए अधिवक्ता को तीन साल तक स्टाइपेंड देने की जहां सराहना की तो वहीं पांच हजार के स्टाइपेंड राशि में पचास फीसदी ही देने की आलोचना की. स्टेट बार काउंसिल अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने कहा कि वर्तमान में स्टेट बार के द्वारा नए अधिवक्ता को प्रति माह एक हजार रुपया दिया जाता है. उसमें भी आर्थिक कमी सामने आती रहती है. अगर पांच हजार स्टाइपेंड दिया जाएगा तो सरकार सिर्फ 2500 ही देगी. शेष ढाई हजार स्टेट बार को वहन करना पड़ेगा. सरकार को चाहिए था कि यह फैसला लेते समय पहले स्टेट बार के साथ भी बातचीत करती. मगर ऐसा नहीं हुआ और स्टाइपेंड बढ़ाने का निर्णय ले लिया गया.

स्टेट बार काउंसिल अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने कहा कि हमारी मांग है कि अगर स्टाइपेंड देना है तो सरकार पूर्ण रूप से वहन करें. जिससे कोई परेशानी ना हो. इसी तरह वैसे लाइसेंस प्रत्यर्पित करने वाले 65 साल से अधिक उम्र के अधिवक्ताओं को अधिवक्ता कल्याण निधि न्यास द्वारा पेंशन मद पर भी सवाल उठे. 65 साल से अधिक उम्र के अधिवक्ताओं को 7000 रुपया के अतिरिक्त 7000 रुपया सरकार के द्वारा दिए जाने का निर्णय पर सवाल उठने लगे हैं.

राजेंद्र कृष्णा ने कहा कि यह उसी तरह हो जाएगा जिस तरह इससे पहले आयुष्मान से अधिवक्ताओं के स्वास्थ्य बीमा योजना को जोड़ने पर सरकार ने पहल की थी. लेकिन बाद में वह लागू नहीं हो पाया. एक दो महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में सरकार को चाहिए कि इस संदर्भ में त्रिपक्षीय वार्ता हो और इसमें जो भी कमियां हैं, उसे दूर कर इसे जमीन पर उतारा जाए.

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Last Updated : Sep 8, 2024, 9:04 AM IST
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