आगरा : जिले में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीमें डोर टू डोर कुष्ठ रोगियों की तलाश कर रही है. 15 दिन तक जिले में स्पर्श कुष्ठ जागरुकता अभियान चलेगा. जिसमें जिले की समस्त स्वास्थ्य इकाइयां मिलकर लोगों को कुष्ठ रोग के प्रति जागरुक करेंगी. इसके साथ ही इस अभियान के चलते कुष्ठ आश्रम में कुष्ठ रोगियों को एमसीआर चप्पल, कॉटन, गौज, सेल्फ केयर किट और दवाइयां वितरित की गई हैं.
आगरा डीएम अरविंद मलप्पा बंगारी ने बताया कि जिले में कुष्ठ रोग को लेकर लोगों को जागरुक करना है. जिले को कुष्ठ रोग से मुक्त बनाना है. इसके लिए नई रणनीति के तहत कार्य किया जाएगा. इसके लिए ग्राम पंचायत और ग्राम सभा में जगह–जगह पर नुक्कड़ नाटक किए जाएंगे. लोगों को कुष्ठ रोग से ठीक हुए व्यक्ति भी सम्मानित किए जाएंगे. ये जागरूकता अभियान स्कूल तक पहुंचाया जाएगा, जिससे बच्चे भी कुष्ठ के बारे में जान सकेंगे.
कुष्ठ रोग के लक्षण |
• शरीर पर ऐसा दाग या धब्बा जो सुन्न हो, जिसमें खुजली ना हो और पसीना न आए. |
• शरीर की संवेदना वाहक नसों में मोटापन व दर्दीलापन होना भी कुष्ठ रोग का लक्षण है. |
• कान की पाली का मोटा होना व कान पर गांठें होना. |
• हथेली और तलवों पर सुन्नपन होना भी कुष्ठ रोग का लक्षण है. |
हर कुष्ठ रोगी अभियान में खोजने का लक्ष्य : आगरा सीएमओ डॉ. अरूण श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में स्पर्श कुष्ठ जागरुकता अभियान शुरू किया है. इस अभियान की थीम आइए मिलकर जागरूकता फैलाएं, भ्रातियों को दूर भगाएं, कुष्ठ प्रभावित कोई पीछे छूट न जाएं, है. जागरूकता अभियान में जिले के हर ब्लॉक में जागरुकता कार्यक्रम किए जाएंगे. इस अभियान में ग्राम प्रधान भी शामिल किए गए हैं जो जनता में जाकर कुष्ठ रोग के बारे में संदेश लोगों को पढ़कर सुनाएंगे. ग्राम प्रधान से जागरूकता की अपील की जाएगी.
आगरा में एक साल में मिले 106 नए कुष्ठ रोगी : आगरा सीएमओ ने बताया कि कुष्ठ रोगी के परिजन और आस-पास के 10 घरों की कॉन्टेक्टस स्क्रीनिंग की जाती है. कुष्ठ रोग से सुरक्षित रखने के लिए रिफामपसिन दवा की सिगल सुपरवाइज्ड डोज दी जाएगी. इस रिफामपसिन दवा की मात्र सिगल डोज से बैक्टीरिया 99.99 प्रतिशत खत्म हो जाता है. इस दवा का व्यक्ति पर कोई दुष्प्रभाव भी नहीं है. आगरा की बात करें तो अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 तक 106 नये कुष्ठ मरीज खोजे गए हैं, जिनका इलाज किया जा रहा है.
कुष्ठ रोग की पहचान बेहद आसान : जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ. जितेन्द्र कुमार लवानिया बताते हैं कि कुष्ठ रोग माइक्रो वेक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु से होता है. ये आनुवांशिक एवं छुआछूत रोग नहीं है. समय से जांच और उपचार कराने से दिव्यांगता से भी बचा जा सकता है. कुष्ठ रोग की दवा सभी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध होती है. कुष्ठ रोग की पहचान बेहद आसान है. ये असाध्य रोग नहीं है. कुष्ठ रोगियों को जल्दी खोजकर उनका उपचार शुरू करके ठीक किया जा सकता है. कुष्ठ रोगियों से किसी को कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए.