नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली सरकार से कहा कि वह दिव्यांग व्यक्तियों के लिए राज्य आयुक्त का पद भरने के लिए कदम उठाए. दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आयुक्त (एससीपीडी) अदालत नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पिछले साल के आदेश का अनुपालन न करने का आरोप लगाया गया था. इसमें अधिकारियों को दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आरक्षित विभिन्न पदों में रिक्तियों के बैकलॉग को एक तय समय में भरने के लिए एक विशेष भर्ती अभियान चलाने का निर्देश दिया गया था.
संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एसके रूंगटा ने कहा कि भर्ती अभियान के संबंध में अभी कार्रवाई नहीं की गई है और राज्य आयुक्त की अनुपस्थिति में मामले को मुख्य आयुक्त को भेजा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि क्योंकि एससीपीडी वहां नहीं है इसलिए इसे मुख्य आयुक्त के पास भेजा जाए. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया और दिल्ली सरकार को अपना जवाब दाखिल करने को कहा.
अदालत ने कहा कि प्रतिवादी दिल्ली सरकार को सुनवाई की अगली तारीख से पहले दिल्ली के लिए दिव्यांग व्यक्तियों के लिए राज्य आयुक्त के पद को भरने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है. 6 मार्च 2023 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दिल्ली सरकार को दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आरक्षित विभिन्न पदों पर रिक्तियों के बैकलॉग को समयबद्ध तरीके से भरने के लिए एक विशेष भर्ती अभियान चलाने का निर्देश दिया था.
इसमें दिव्यांग व्यक्तियों के संबंध में पदोन्नति के लिए आरक्षण के खिलाफ विभिन्न विभागों द्वारा रिपोर्ट की गई रिक्तियों को भरने का निर्देश दिया था और कहा था कि इसके द्वारा निर्धारित समय-सारिणी से कोई भी विचलन गैर अनुपालन के लिए अवमानना कार्रवाई को आमंत्रित करेगा. अदालत ने एससीपीडी को अभियान की निगरानी करने के लिए कहा था और स्पष्ट किया था कि एक बार प्रक्रिया समाप्त हो जाने के बाद आयुक्त उन 33 विभागों से रिक्ति-वार रोस्टर की जांच करने और किसी भी बैकलॉग को संबोधित करने के लिए स्वतंत्र होंगे. जिन्होंने शून्य रिक्तियों की सूचना दी है.
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याचिकाकर्ता संगठन ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों के बावजूद रिक्तियां नहीं भरे जाने पर उसने 2017 में याचिका दायर की थी. मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी.
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