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10 साल से काम कर रहे संविदा कर्मियों को नियमित नहीं करने पर मांगा जवाब - राजस्थान हाईकोर्ट

10 साल से रेडियोग्राफर, फार्मासिस्ट और हेल्पर सहित अन्य कामों में संविदा पर लगे कार्मिकों को नियमित नहीं करने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने संबंधित विभागों से जवाब मांगा है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 2, 2024, 8:51 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने चिकित्सा विभाग में 10 साल से ज्यादा समय से संविदा पर काम कर रहे रेडियोग्राफर, फार्मासिस्ट और हेल्पर सहित अन्य को सेवा में नियमित नहीं करने और तय वेतन रोकने पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अदालत ने प्रमुख चिकित्सा सचिव और स्वास्थ्य निदेशक सहित बूंदी सीएमएचओ से पूछा है कि याचिकाकर्ताओं को नियमित क्यों नहीं किया गया और उनका तय वेतन क्यों रोका गया. जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश फिरदौस व रामकन्या सहित अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता योगेश टेलर ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता सीएचसी इंदरगढ़, बूंदी में सफाई कर्मचारी, कनिष्ठ लिपिक, रेडियोग्राफर, फार्मासिस्ट और हेल्पर पद पर वर्ष 2012 से संविदा पर कार्यरत हैं. इसके बावजूद भी चिकित्सा विभाग की ओर से 10 साल की सेवा के बाद भी उन्हें नियमित नहीं किया जा रहा है. इसके अलावा उन्हें जो वेतन दिया जा रहा था, उसे भी रोक लिया गया है. वहीं अब उन्हें सेवा से हटाने की तैयारी की जा रही है.

पढ़ें: लंबे समय से कार्यरत संविदा कर्मी को नियमित नहीं करने पर मांगा जवाब

याचिकाकर्ताओं ने सेवा में नियमित करने और तय वेतन देने के लिए विभाग में कई प्रतिवेदन दिए, लेकिन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की. याचिका में यह भी कहा गया कि उन्हें हटाकर दूसरे संविदाकर्मियों को नियुक्ति किया जा रहा है. जबकि संविदाकर्मी को हटाकर दूसरे संविदाकर्मी की नियुक्ति नहीं की जा सकती. याचिका में गुहार की गई की उनका रोका हुआ वेतन दिलाया जाए और उन्हें सेवा में नियमित किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने चिकित्सा विभाग में 10 साल से ज्यादा समय से संविदा पर काम कर रहे रेडियोग्राफर, फार्मासिस्ट और हेल्पर सहित अन्य को सेवा में नियमित नहीं करने और तय वेतन रोकने पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अदालत ने प्रमुख चिकित्सा सचिव और स्वास्थ्य निदेशक सहित बूंदी सीएमएचओ से पूछा है कि याचिकाकर्ताओं को नियमित क्यों नहीं किया गया और उनका तय वेतन क्यों रोका गया. जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश फिरदौस व रामकन्या सहित अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता योगेश टेलर ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता सीएचसी इंदरगढ़, बूंदी में सफाई कर्मचारी, कनिष्ठ लिपिक, रेडियोग्राफर, फार्मासिस्ट और हेल्पर पद पर वर्ष 2012 से संविदा पर कार्यरत हैं. इसके बावजूद भी चिकित्सा विभाग की ओर से 10 साल की सेवा के बाद भी उन्हें नियमित नहीं किया जा रहा है. इसके अलावा उन्हें जो वेतन दिया जा रहा था, उसे भी रोक लिया गया है. वहीं अब उन्हें सेवा से हटाने की तैयारी की जा रही है.

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याचिकाकर्ताओं ने सेवा में नियमित करने और तय वेतन देने के लिए विभाग में कई प्रतिवेदन दिए, लेकिन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की. याचिका में यह भी कहा गया कि उन्हें हटाकर दूसरे संविदाकर्मियों को नियुक्ति किया जा रहा है. जबकि संविदाकर्मी को हटाकर दूसरे संविदाकर्मी की नियुक्ति नहीं की जा सकती. याचिका में गुहार की गई की उनका रोका हुआ वेतन दिलाया जाए और उन्हें सेवा में नियमित किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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