जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस दिनेश मेहता व जस्टिस विनीत कुमार माथुर की विशेष खंडपीठ ने यौन उत्पीड़न के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद राहत दी है. आसाराम की ओर से प्रार्थना पत्र पेश किया गया कि निजी आयुर्वेद अस्पताल में उपचार के दौरान आसाराम की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों का शुल्क जमा करवाना आवश्यक है. ऐसे में आसाराम उस स्थिति में नहीं है कि पुलिसकर्मियों के शुल्क का भुगतान कर सके. पूर्व में आसाराम सुरक्षा के लिए शुल्क का भुगतान कर चुका है, लेकिन आगे ऐसी स्थिति नहीं है कि वो शुल्क अदा कर सके.
उसकी उम्र को देखते हुए आयुर्वेद उपचार की उसको लगातार आवश्यकता पड़ेगी. आसाराम की ओर से अधिवक्ता आरएस सलूजा, अधिवक्ता यशपालसिंह राजपुरोहित व अधिवक्ता ललित सैन ने पैरवी की. अधिवक्ताओं ने कहा कि आसाराम की स्थिति को देखते हुए उनको बार-बार आरोग्यम केन्द्र जाना पड़ेगा और वो शुल्क वहन नहीं कर सकता है. कोर्ट ने आसाराम के उपचार के लिए पूर्व में दिए आदेश 21 मार्च, 2024 में आंशिक संशोधन करते हुए आसाराम को अब सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों का शुल्क नहीं देने की राहत दी है. लेकिन कोर्ट ने पूर्व के भुगतान को वापस नहीं देने का भी आदेश दिया है.
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इसके साथ आसाराम की ओर से जेल में एलोपैथिक चिकित्सक डॉ सचित भोला को उपचार करने की अनुमति भी मांगी. एलोपैथिक चिकित्सक डॉ सचित भोला आवेदक का नियमित रूप से इलाज कर रहे हैं. उनको जेल में मिलने की अनुमति दी जाए. राज्य सरकार की ओर से एएजी अनिल जोशी ने इस प्रार्थना का विरोध नहीं किया. कोर्ट ने परिस्थितियों को देखते हुए आवेदन स्वीकार करते हुए डॉ सचित भोला को आसाराम का जेल में उपचार करने की अनुमति प्रदान कर दी. कोर्ट ने कहा कि जेल प्रशासन अपनी ओर से जांच के बाद ही उनको जेल में मिलने की अनुमति देंगे.