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पति के रहते हुए गैर मर्द के साथ संबंध बनाना मानसिक क्रूरता : बिलासपुर हाईकोर्ट - bilaspur highcourt - BILASPUR HIGHCOURT

Having sex with stranger बिलासपुर में तीन बच्चों की मां को ब्वॉयफ्रेंड के घर बच्चों समेत रहने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.हाईकोर्ट ने इस मामले में पति के होते हुए गैर मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाने को मानसिक क्रूरता की श्रेणी में रखा.साथ ही साथ पति के तलाक की अर्जी को स्वीकार किया. bilaspur highcourt

Having sex with stranger
गैर मर्द के साथ संबंध बनाना मानसिक क्रूरता (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 6, 2024, 7:28 PM IST

बिलासपुर : बिलासपुर हाईकोर्ट ने पति पत्नी के संबंधों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने माना कि पति के रहते हुए गैर मर्द के साथ शारीरिक संबंध रखना पति के लिए किसी मानसिक क्रूरता से कम नहीं है.इसे आधार मानते हुए हाईकोर्ट ने पति को पत्नी से अलग होने की आजादी देते हुए तलाक की अर्जी को स्वीकार कर लियाय

क्या है मामला ?:रायगढ़ जिले के रहने वाले अपीलकर्ता की शादी 1 मई 2007 को हिंदू रीति रिवाज से हुई थी. विवाह के बाद तीन संताने हुई. पति एक दिन काम से कहीं बाहर गया था. इसी बीच वापस लौटने पर उसने देखा कि उसकी पत्नी गैर मर्द के साथ आपत्तिजनक हालत में थी. इस पर पति ने शोर मचाया.जिससे परिवार के लोग भी वहां पहुंचे और पत्नी के साथ रंगरेलिया मनाने वाले शख्स को पुलिस के हवाले किया. इसके बाद पुलिस ने शांति से रहने की समझाइश देकर दोनों पक्षों को भेज दिया. 2017 में पत्नी बच्चों को लेकर अपने आशिक के साथ रहने चले गई. पति जब उसे लेने गया,तो उसने साथ चलने से इनकार कर दिया. इस पर पति ने कुटुंब न्यायालय में तलाक की अर्जी दी.लेकिन अर्जी खारिज हो गई.जिसके बाद पति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

हाईकोर्ट ने पति को दी बड़ी राहत : अपील में जस्टिस गौतम भादुड़ी एवं जस्टिस राधा किशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. डबल बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपने आदेश में कहा की पत्नी ने वह व्यभीचारीकृत किया है. जो क्रूरता के समान है. वैवाहिक बंधन में गंभीरता की आवश्यकता होती है. विवाह में मानवीय भावना भी शामिल होती है और भावना यदि सूख जाए तो शायद ही जीवन में आने की कोई संभावना बचती है. दोनों वर्ष 2017 से अलग-अलग रह रहे थे. विवाह विघटित हो चुका है. इसे किसी भी परिस्थिति में पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता. विवाह तलाक का आधार नहीं है लेकिन पत्नी का ये काम पति के लिए मानसिक क्रूरता है. इस कारण से यह तलाक की डिग्री पाने का हकदार है. हाई कोर्ट ने पति की अपील को स्वीकार कर लिया है.

आपको बता दें कि इस केस में पत्नी ने स्वीकार किया था कि जिस व्यक्ति के साथ वो रह रही है वो उसका कॉलेज के जमाने से ब्वॉयफ्रेंड है.दोनों की जातियां अलग होने के कारण शादी नहीं हो सकी थी.लेकिन शादी के बाद भी उसका लगाव कम नहीं हुआ.इसलिए वो अपने पति नहीं बल्कि ब्वॉयफ्रेंड के साथ रहना चाहती है.

हाईकोर्ट ने कहा- लिव इन रिलेशनशिप 'टाइमपास', सुरक्षा की मांग करने वाली याचिका खारिज

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बिलासपुर : बिलासपुर हाईकोर्ट ने पति पत्नी के संबंधों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने माना कि पति के रहते हुए गैर मर्द के साथ शारीरिक संबंध रखना पति के लिए किसी मानसिक क्रूरता से कम नहीं है.इसे आधार मानते हुए हाईकोर्ट ने पति को पत्नी से अलग होने की आजादी देते हुए तलाक की अर्जी को स्वीकार कर लियाय

क्या है मामला ?:रायगढ़ जिले के रहने वाले अपीलकर्ता की शादी 1 मई 2007 को हिंदू रीति रिवाज से हुई थी. विवाह के बाद तीन संताने हुई. पति एक दिन काम से कहीं बाहर गया था. इसी बीच वापस लौटने पर उसने देखा कि उसकी पत्नी गैर मर्द के साथ आपत्तिजनक हालत में थी. इस पर पति ने शोर मचाया.जिससे परिवार के लोग भी वहां पहुंचे और पत्नी के साथ रंगरेलिया मनाने वाले शख्स को पुलिस के हवाले किया. इसके बाद पुलिस ने शांति से रहने की समझाइश देकर दोनों पक्षों को भेज दिया. 2017 में पत्नी बच्चों को लेकर अपने आशिक के साथ रहने चले गई. पति जब उसे लेने गया,तो उसने साथ चलने से इनकार कर दिया. इस पर पति ने कुटुंब न्यायालय में तलाक की अर्जी दी.लेकिन अर्जी खारिज हो गई.जिसके बाद पति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

हाईकोर्ट ने पति को दी बड़ी राहत : अपील में जस्टिस गौतम भादुड़ी एवं जस्टिस राधा किशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. डबल बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपने आदेश में कहा की पत्नी ने वह व्यभीचारीकृत किया है. जो क्रूरता के समान है. वैवाहिक बंधन में गंभीरता की आवश्यकता होती है. विवाह में मानवीय भावना भी शामिल होती है और भावना यदि सूख जाए तो शायद ही जीवन में आने की कोई संभावना बचती है. दोनों वर्ष 2017 से अलग-अलग रह रहे थे. विवाह विघटित हो चुका है. इसे किसी भी परिस्थिति में पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता. विवाह तलाक का आधार नहीं है लेकिन पत्नी का ये काम पति के लिए मानसिक क्रूरता है. इस कारण से यह तलाक की डिग्री पाने का हकदार है. हाई कोर्ट ने पति की अपील को स्वीकार कर लिया है.

आपको बता दें कि इस केस में पत्नी ने स्वीकार किया था कि जिस व्यक्ति के साथ वो रह रही है वो उसका कॉलेज के जमाने से ब्वॉयफ्रेंड है.दोनों की जातियां अलग होने के कारण शादी नहीं हो सकी थी.लेकिन शादी के बाद भी उसका लगाव कम नहीं हुआ.इसलिए वो अपने पति नहीं बल्कि ब्वॉयफ्रेंड के साथ रहना चाहती है.

हाईकोर्ट ने कहा- लिव इन रिलेशनशिप 'टाइमपास', सुरक्षा की मांग करने वाली याचिका खारिज

72 साल की इस एक्ट्रेस ने दी लिव-इन में रहने की सलाह, बोलीं- कपल शादी से पहले जरूर करें ये काम

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