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हाथरस सत्संग हादसा : आखिरी दम तक पोती पकड़े रही दादी का हाथ, भीड़ थमी तो छूट चुका था साथ - Hathras stampede

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 3, 2024, 2:20 PM IST

हाथरस सत्संग हादसे (Hathras Satsang Incident) में लखीमपुर खीरी की रहने वाली दादी और पोती की भी जान पर बन आई थी. हालांकि भगदड़ के बीच से पोती को तो किसी ने बचा लिया, लेकिन दादी को भीड़ ने रौंदा डाला.

HATHRAS SATSANG INCIDENT
HATHRAS SATSANG INCIDENT (Photo Credit-Etv Bharat)

लखीमपुर खीरी : 'हम दादी का हाथ पकड़े थे, एक दम से रेला आया और भीड़ हमको रौंदते हुए आगे बढ़ने लगी. पहले हम दादी को और दादी हमें बचाचती रही, लेकिन भगदड़ के बीच हमारा हाथ दादी के हाथ से छूट गया. इसके बाद किसी ने हमें बालों से घसीट ऊपर उठा लिया, लेकिन भीड़ दादी को रौंदती रही और जब भीड़ का आतंक थमा तो दादी के पाण पखेरू उड़ चुके थे.


यूपी के हाथरस में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में फंसी लखीमपुर खीरी के गोला तहसील के मोहम्मदी कोतवाली इलाके के बहादुरगंज गांव प्रीति (12) यह बात कहते ही फफक कर रो पड़ती है. प्रीति अपनी दादी यशोदा देवी (65) के साथ प्रवचन सुनन गई थी. बताते हैं कि यशोदा पिछले 12 साल से साकार हरि विश्व के हर सत्संग में जाया करती थीं. यशोदा देवी सोमवार को पोती प्रीति को लेकर सत्संग में गई थीं. गांव से करीब 15 महिला-पुरुष सत्संग में गए थे, बस की व्यवस्था भी थी. आसपास के गांवों के लोग भी बस में सवार होकर पहुंचे थे.

प्रीति के मुताबिक मंगलवार को सत्संग खत्म हो गया था, लेकिन लोग बाबा की चरण धूलि लेने के लिए उमड़ रहे थे. इसी दौरान भगदड़ मची गई. किसी को कुछ समझ नहीं आया और सभी उधर-उधर भागने लगे. भीड़ में खोने के डर से यशोदा और प्रीति ने एक दूसरे का हाथ कसकर पकड़ रखा था, लेकिन बेकाबू भीड़ दोनों को रौंदते हुए निकलनी लगी. इसी बीच किसी ने मुझे बाल पकड़ कर उठा लिया, लेकिन दादी का हाथ छूट चुका था. भगदड़ थमने के बाद दादी बेसुध हालात में मिलीं तो कुछ लोगों ने अलीगढ़ अस्पताल पहुंचाया. जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. बेहजम ब्लाॅक के मुड़िया गांव के संतोष, उत्तम और रामू भी सत्संग गए थे, वे सब ठीक हैं. रामू बताते हैं कि महिलाएं ही आगे थीं. भगदड़ के बाद महिलाओं को मौक सबसे ज्यादा हुई है.

यशोदा के बेटे संजय ने बताया कि अम्मा कोई सत्संग नहीं छोड़ती थीं. बाबा का सत्संग हाथरस में था तो गांव से जा रही बस से अम्मा भी गई थीं. सब बढ़िया था. इस बार अकेली न जाकर अम्मा हमारी बेटी प्रीती को भी साथ ले गई थीं. संजय बताते हैं कि मंगलवार को 5:30 बजे परिचित का फोन आया कि हादसा हो गया है, अलीगढ़ चले आओ. रात 11:30 बजे अलीगढ़ पहुंचे तो पोस्टमार्टम हाउस पर कई लाशें पड़ी थीं. यह देखकर दिल बैठ गया, 38 शव एक साथ देख कर रूह कांप गई. उसी में अम्मा को भी पहचाना. संजय बताते हैं कि बिटिया प्रीति की गंभीर रूप से लहूलुहान हो गई है. ईश्वर का शुक्र है कि जान बच गई. संजय बताते हैं कि लखीमपुर खीरी जिले में भी साकार विश्व हरि के बहुत भक्त हैं. सुन्दरवल और गोला में बाबा के आश्रम हैं.

यह भी पढ़ें : हाथरस सत्संग भगदड़; आगरा में हाथरस से भी बड़े दो सत्संग होने थे, प्रशासन ने दोनों आयोजन की अनुमति निरस्त की - Hathras Satsang Stampede

यह भी पढ़ें : हाथरस सत्संग हादसा: अपनों को खोजते नजर आए लोग, नहीं थम रहे आंसू - hathras satsang stampede update

लखीमपुर खीरी : 'हम दादी का हाथ पकड़े थे, एक दम से रेला आया और भीड़ हमको रौंदते हुए आगे बढ़ने लगी. पहले हम दादी को और दादी हमें बचाचती रही, लेकिन भगदड़ के बीच हमारा हाथ दादी के हाथ से छूट गया. इसके बाद किसी ने हमें बालों से घसीट ऊपर उठा लिया, लेकिन भीड़ दादी को रौंदती रही और जब भीड़ का आतंक थमा तो दादी के पाण पखेरू उड़ चुके थे.


यूपी के हाथरस में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में फंसी लखीमपुर खीरी के गोला तहसील के मोहम्मदी कोतवाली इलाके के बहादुरगंज गांव प्रीति (12) यह बात कहते ही फफक कर रो पड़ती है. प्रीति अपनी दादी यशोदा देवी (65) के साथ प्रवचन सुनन गई थी. बताते हैं कि यशोदा पिछले 12 साल से साकार हरि विश्व के हर सत्संग में जाया करती थीं. यशोदा देवी सोमवार को पोती प्रीति को लेकर सत्संग में गई थीं. गांव से करीब 15 महिला-पुरुष सत्संग में गए थे, बस की व्यवस्था भी थी. आसपास के गांवों के लोग भी बस में सवार होकर पहुंचे थे.

प्रीति के मुताबिक मंगलवार को सत्संग खत्म हो गया था, लेकिन लोग बाबा की चरण धूलि लेने के लिए उमड़ रहे थे. इसी दौरान भगदड़ मची गई. किसी को कुछ समझ नहीं आया और सभी उधर-उधर भागने लगे. भीड़ में खोने के डर से यशोदा और प्रीति ने एक दूसरे का हाथ कसकर पकड़ रखा था, लेकिन बेकाबू भीड़ दोनों को रौंदते हुए निकलनी लगी. इसी बीच किसी ने मुझे बाल पकड़ कर उठा लिया, लेकिन दादी का हाथ छूट चुका था. भगदड़ थमने के बाद दादी बेसुध हालात में मिलीं तो कुछ लोगों ने अलीगढ़ अस्पताल पहुंचाया. जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. बेहजम ब्लाॅक के मुड़िया गांव के संतोष, उत्तम और रामू भी सत्संग गए थे, वे सब ठीक हैं. रामू बताते हैं कि महिलाएं ही आगे थीं. भगदड़ के बाद महिलाओं को मौक सबसे ज्यादा हुई है.

यशोदा के बेटे संजय ने बताया कि अम्मा कोई सत्संग नहीं छोड़ती थीं. बाबा का सत्संग हाथरस में था तो गांव से जा रही बस से अम्मा भी गई थीं. सब बढ़िया था. इस बार अकेली न जाकर अम्मा हमारी बेटी प्रीती को भी साथ ले गई थीं. संजय बताते हैं कि मंगलवार को 5:30 बजे परिचित का फोन आया कि हादसा हो गया है, अलीगढ़ चले आओ. रात 11:30 बजे अलीगढ़ पहुंचे तो पोस्टमार्टम हाउस पर कई लाशें पड़ी थीं. यह देखकर दिल बैठ गया, 38 शव एक साथ देख कर रूह कांप गई. उसी में अम्मा को भी पहचाना. संजय बताते हैं कि बिटिया प्रीति की गंभीर रूप से लहूलुहान हो गई है. ईश्वर का शुक्र है कि जान बच गई. संजय बताते हैं कि लखीमपुर खीरी जिले में भी साकार विश्व हरि के बहुत भक्त हैं. सुन्दरवल और गोला में बाबा के आश्रम हैं.

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