कासगंजः हाथरस सत्संग हादसे का जिम्मेदार सूरजपाल उर्फ नारायाण साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा जिले के पटियाली तहसील क्षेत्र के गांव बहादुर नगर के रहने वाला है. यहां एक बड़ा आलीशान आश्रम है. पैतृक गांव में बने आश्रम के दरवाजे पर हल्के गुलाबी रंग की वर्दी पहने सेवादार हमेशा तैनात रहते हैं. भले ही बाबा यहां कभी न आता हो. यहां के एक ग्रामीण ने भोले बाबा को लेकर बड़ा खुलासा किया है. बहादुर नगर के एक ग्रामीण ने कहा कि पहले यहां पर भोले बाबा को जिस दूध से नहलाया जाता था, फिर उसी दूध से खीर बनाई जाती थी. इसके बाद इस खीर को भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता था. ग्रामीण ने कहा कि जब गांव के लोगों को इस बात की जानकारी हुई तो विरोध करते हुए बाबा से दूरी बना ली थी.
ग्रामीण बताते हैं कि आखिरी बार इस आश्रम में वर्ष 2014 सत्संग हुआ था. इसके बाद न सत्संग हुआ न ही बाबा आते हैं. पिछले 10 सालों में कभी-कभार ही भोले बाबा अपने गांव आए हैं. जबकि आज भी काफी संख्या में श्रद्धालु मंगलवार के दिन यहां पर जाकर माथा टेकते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि हादसे के बाद भोले बाबा को मृतकों और घायलों के परिजनों से मिलकर हालचाल पूछना चाहिए था.
बता दें कि हाथरस के सिंदराराऊ थाने के अंतर्गत फुलरई गांव में मंगलवार को नारायाण साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग का आयोजन हुआ था. जिसमें लाखों भक्त पहुंचे थे. सत्संग खत्म होने के बाद जैसे ही बाबा अपने काफिले का साथ रवाना हुआ तो भक्तों में चरण रज लेने की होड़ में भगदड़ मच गई. इस हादसे में अभी तक 123 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग अभी भी घायल हैं.