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हाथरस सत्संग हादसा; 24 साल पहले बेटी को जिंदा करने की कोशिश की थी, तभी से शुरू हुई सूरजपाल से भोले बाबा बनने की कहानी - Hathras Satsang Stampede

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 3, 2024, 6:57 PM IST

हाथरस सत्संग हादसे का जिम्मेदार नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा ने कभी मरी हुई अपनी बेटी को चमत्कार से जिंदा करने की कोशिश की थी. हालांकि तब जेल जाना पड़ा था, लेकिन प्रसिद्धि का सिलसिला यहीं से शुरू हुआ था.

आगरा में भोले बाबा की कुटिया.
आगरा में भोले बाबा की कुटिया. (Photo Credit; Etv Bharat)

हाथरस हादसे का जिम्मेदार भोले बाबा 24 साल पहले आगरा में रहता था. (Video Credit; Etv Bharat)

आगरा: हाथरस के सिकंद्रराऊ में आयोजित सत्संग में मची भगदड़ में 121 से ज्यादा की मौत हो गई. जिससे नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा सुर्खियों में हैं. सूटबूट वाले वाला नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का आगरा से गहरा नाता है. ईटीवी भारत की टीम उस जगह पहुंची, जहां से सूरज पाल सिंह के नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा बनने की शुरूआत हुई थी. कासगंज की पटियाली तहसील के गांव बहादुरनगर निवासी सिपाही थी. शाहगंज थाना के केदार नगर में उस समय सूटबूट वाले बाबा उर्फ परिवार के साथ रहते थे. जिस जगह पर बाबा रहते थे, उसे अब अनुयायी बाबा की कुटिया कहते हैं. मगर, ये बाबा का सेफ हाउस है. आगरा से ही भोले बाबा ने भोले वाले अनुयायी को जोड़कर अपना साम्राज्य खड़ा किया था.


24 साल पहले जेल गया था बाबा
भोले बाबा के अनुयायियों की मानें तो उनके कोई संतान नहीं है. भोले बाबा ने अपनी भतीजी को गोद लिया था. जिसका नाम स्नेहलता था. स्नेहलता को लाइलाज बीमारी थी. जिसकी वजह से उसकी तबियत लगातार बिगड़ रही थी. कुछ अनुयायी कहते हैं कि इसलिए स्नेहलता को कैंसर था. 17 मार्च 2000 को बीमारी के चलते स्नेहलता की मौत हो गई. तब भोले बाबा के अनुयायियों ने दावा किया कि वह अपने चमत्कार से बच्ची को जिंदा कर करेगें. अनुयायी अपने साथ स्नेहलता का शव लेकर मल्ल का चबूतरा लेकर पहुंचे. जहां पर अनुयायियों ने खूब हंगामा किया. बाबा के चमत्कार से जिंदा होगी. जबकि भोले बाबा ने अंतिम संस्कार के लिए बोला था, मगर ऐसा नहीं हुआ. आक्रोशित अनुयायियों ने जब हंगामा किया तो कई थानों के पूरे मौके पर पहुंची. पुलिस ने उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए समझाइश की. लेकिन बात नहीं बनी. इसके बाद पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा था. शाहगंज थाना पुलिस ने 18 मार्च 2000 को अपनी तरफ से थाना में सूरजपाल उर्फ भोले बाबा समेत 7 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था.

साक्ष्य के अभाव में कोर्ट से हुए बरी
शाहगंज थाना पुलिस ने भोले बाबा उर्फ एसपी सिंह के साथ ही कुंवर पाल, मेवाराम, प्रेमवती, श्रीमती वचन सांवरे, श्रीमती कमलेश सिंह और मीना को गिरफ्तार करके जेल भेजा था. शाहगंज थाना में तब सभी आरोपियों के खिलाफ 224/2000 मुकदमा दर्ज किया था. आरोप था कि आरोपी ने मरी हुई स्नेहलता को चमत्कारिक शक्ति से जिंदा करने का षड्यंत्र किया था. जिसके चलते ही आरोपियों के खिलाफ 2 (ग) 7 औषधि और चमत्कारिक उपचार के साथ ही आईपीसी की धारा में मुकदमा लिखा गया था. इस मामले में पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट पेश की. लेकिन साक्ष्य के अभाव में आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया था.

सुबह-शाम नमन और सत्संग करते लोग
भोले बाबा का आगरा के केदार नगर में दो कमरे का मकान है. यहीं से ही भोले बाबा ने अपने साम्राज्य की शुरुआत की थी. आज कई राज्यों में भोले बाबा के अनुयायी हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि भोले बाबा पुलिस में नौकरी करते थे तो यहीं पर रहते थे, तब ये मकान पूरा भी नहीं बना था. इसी मकान के आसपास पहले बाबा के अनुयायी बनना शुरू हुए. देखते ही देखते मकान पर सत्संग सुनने के लिए भीड़ आने लगी. भोले बाबा के अनुयायी में अशिक्षित व कम पढ़े-लिखे ज्यादा हैं, जो लोग प्रवचन सुनने आते हैं. लोगों ने बताया कि घर के बाहर लगे हैड पंप का पानी पिलाकर लोगों को ठीक करने का दावा भी बाबा ने शुरुआत में किया था. सुबह और शाम इस मकान के बाहर आसपास के साथ ही दूसरे जिलों से लोग आते हैं. यहां पर नमन करते हैं. भजन और सत्संग करते हैं. साफ सफाई करते हैं. यहां पर अपनी साड़ी के पल्लू या अन्य कपड़े से कुटिया का साफ करते हैं.

इसे भी पढ़ें-हाथरस सत्संग भगदड़; CM Yogi बोले- ये साजिश है या हादसा, रिटायर्ड जज करेंगे जांच, कमांडो की धक्का-मुक्की के बाद मचा था हाहाकार

हाथरस हादसे का जिम्मेदार भोले बाबा 24 साल पहले आगरा में रहता था. (Video Credit; Etv Bharat)

आगरा: हाथरस के सिकंद्रराऊ में आयोजित सत्संग में मची भगदड़ में 121 से ज्यादा की मौत हो गई. जिससे नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा सुर्खियों में हैं. सूटबूट वाले वाला नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का आगरा से गहरा नाता है. ईटीवी भारत की टीम उस जगह पहुंची, जहां से सूरज पाल सिंह के नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा बनने की शुरूआत हुई थी. कासगंज की पटियाली तहसील के गांव बहादुरनगर निवासी सिपाही थी. शाहगंज थाना के केदार नगर में उस समय सूटबूट वाले बाबा उर्फ परिवार के साथ रहते थे. जिस जगह पर बाबा रहते थे, उसे अब अनुयायी बाबा की कुटिया कहते हैं. मगर, ये बाबा का सेफ हाउस है. आगरा से ही भोले बाबा ने भोले वाले अनुयायी को जोड़कर अपना साम्राज्य खड़ा किया था.


24 साल पहले जेल गया था बाबा
भोले बाबा के अनुयायियों की मानें तो उनके कोई संतान नहीं है. भोले बाबा ने अपनी भतीजी को गोद लिया था. जिसका नाम स्नेहलता था. स्नेहलता को लाइलाज बीमारी थी. जिसकी वजह से उसकी तबियत लगातार बिगड़ रही थी. कुछ अनुयायी कहते हैं कि इसलिए स्नेहलता को कैंसर था. 17 मार्च 2000 को बीमारी के चलते स्नेहलता की मौत हो गई. तब भोले बाबा के अनुयायियों ने दावा किया कि वह अपने चमत्कार से बच्ची को जिंदा कर करेगें. अनुयायी अपने साथ स्नेहलता का शव लेकर मल्ल का चबूतरा लेकर पहुंचे. जहां पर अनुयायियों ने खूब हंगामा किया. बाबा के चमत्कार से जिंदा होगी. जबकि भोले बाबा ने अंतिम संस्कार के लिए बोला था, मगर ऐसा नहीं हुआ. आक्रोशित अनुयायियों ने जब हंगामा किया तो कई थानों के पूरे मौके पर पहुंची. पुलिस ने उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए समझाइश की. लेकिन बात नहीं बनी. इसके बाद पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा था. शाहगंज थाना पुलिस ने 18 मार्च 2000 को अपनी तरफ से थाना में सूरजपाल उर्फ भोले बाबा समेत 7 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था.

साक्ष्य के अभाव में कोर्ट से हुए बरी
शाहगंज थाना पुलिस ने भोले बाबा उर्फ एसपी सिंह के साथ ही कुंवर पाल, मेवाराम, प्रेमवती, श्रीमती वचन सांवरे, श्रीमती कमलेश सिंह और मीना को गिरफ्तार करके जेल भेजा था. शाहगंज थाना में तब सभी आरोपियों के खिलाफ 224/2000 मुकदमा दर्ज किया था. आरोप था कि आरोपी ने मरी हुई स्नेहलता को चमत्कारिक शक्ति से जिंदा करने का षड्यंत्र किया था. जिसके चलते ही आरोपियों के खिलाफ 2 (ग) 7 औषधि और चमत्कारिक उपचार के साथ ही आईपीसी की धारा में मुकदमा लिखा गया था. इस मामले में पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट पेश की. लेकिन साक्ष्य के अभाव में आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया था.

सुबह-शाम नमन और सत्संग करते लोग
भोले बाबा का आगरा के केदार नगर में दो कमरे का मकान है. यहीं से ही भोले बाबा ने अपने साम्राज्य की शुरुआत की थी. आज कई राज्यों में भोले बाबा के अनुयायी हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि भोले बाबा पुलिस में नौकरी करते थे तो यहीं पर रहते थे, तब ये मकान पूरा भी नहीं बना था. इसी मकान के आसपास पहले बाबा के अनुयायी बनना शुरू हुए. देखते ही देखते मकान पर सत्संग सुनने के लिए भीड़ आने लगी. भोले बाबा के अनुयायी में अशिक्षित व कम पढ़े-लिखे ज्यादा हैं, जो लोग प्रवचन सुनने आते हैं. लोगों ने बताया कि घर के बाहर लगे हैड पंप का पानी पिलाकर लोगों को ठीक करने का दावा भी बाबा ने शुरुआत में किया था. सुबह और शाम इस मकान के बाहर आसपास के साथ ही दूसरे जिलों से लोग आते हैं. यहां पर नमन करते हैं. भजन और सत्संग करते हैं. साफ सफाई करते हैं. यहां पर अपनी साड़ी के पल्लू या अन्य कपड़े से कुटिया का साफ करते हैं.

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