ETV Bharat / state

रोहिंग्याओं के खिलाफ हेट कंटेंट के विरुद्ध दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- फेसबुक से संपर्क करें याचिकाकर्ता

Hateful Content Against Rohingya: दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि फेसबुक के पास प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र मौजूद है, ऐसे में अलग से कोई दिशानिर्देश जारी करने की जरुरत नहीं है. याचिकाकर्ता फेसबुक के शिकायत निवारण तंत्र से संपर्क करें.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 1, 2024, 2:37 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ घृणास्पद और भड़काऊ कंटेंट को सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक पर प्रसारित करने से रोकने के लिए याचिकाकर्ता को फेसबुक के शिकायत निवारण तंत्र से संपर्क करने को कहा. चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि फेसबुक के पास प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र मौजूद है, ऐसे में अलग से कोई दिशानिर्देश जारी करने की जरुरत नहीं है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जब किसी कानून में शिकायत के निपटारे की मशीनरी हो तब संविधान की धारा 226 के तहत हाईकोर्ट का क्षेत्राधिकार का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

कोर्ट ने कहा कि याचिका में भी ऐसा कोई आरोप नहीं है कि फेसबुक ने आईटी रुल्स का पालन नहीं किया है. ऐसे में फेसबुक को कोई दिशानिर्देश नहीं दिया जा सकता है. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि ये सच है कि सोशल मीडिया पर काफी अपशब्द कहे जा रहे हैं लेकिन याचिकाकर्ता की ओर से सुझाया गया उपाय काफी ज्यादा हो सकता है. कोर्ट ने इस बात की आशंका जताई थी कि अगर याचिका में सरकार को प्रकाशन से पूर्व सेंसरशिप शक्ति प्रदान करने की मांग मंजूर की जाती हैं तो ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खतरनाक हो सकती है. कोर्ट ने कहा कि सरकार को ये शक्ति पसंद आएगा.

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस बात का संकेत दिया था कि वो याचिकाकर्ताओं को पहले अपनी शिकायत के साथ फेसबुक से संपर्क करने और आईटी रुल्स के रुल 3 के तहत शिकायत निवारण मेकानिज्म का पालन करने को कह सकता है। दरअसल म्यामांर में उत्पीड़न के शिकार दो रोहिंग्या शरणार्थियों ने याचिका दायर किया था. याचिकाकर्ताओं मोहम्मद हमीम जुलाई 2018 और कौसर मोहम्मद मार्च 2022 में म्यांमार से भारत आए थे.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने याचिका में फेसबुक को अल्पसंख्यक समुदायों खासकर रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ घृणास्पद पोस्ट और भाषणों को रोकने का दिशानिर्देश जारी करने की मांग की थी. याचिका में कहा गया था कि फेसबुक पर ऐसे पोस्ट और भाषण अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं. लेकिन फेसबुक इन पोस्ट और भाषणों के खिलाफ जानबूझ कर कार्रवाई नहीं कर रहा है. याचिका में कहा गया था कि म्यांमार में रोहिंग्या समुदाय के जीवन को अमानवीय बनाने में फेसबुक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ घृणास्पद और भड़काऊ कंटेंट को सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक पर प्रसारित करने से रोकने के लिए याचिकाकर्ता को फेसबुक के शिकायत निवारण तंत्र से संपर्क करने को कहा. चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि फेसबुक के पास प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र मौजूद है, ऐसे में अलग से कोई दिशानिर्देश जारी करने की जरुरत नहीं है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जब किसी कानून में शिकायत के निपटारे की मशीनरी हो तब संविधान की धारा 226 के तहत हाईकोर्ट का क्षेत्राधिकार का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

कोर्ट ने कहा कि याचिका में भी ऐसा कोई आरोप नहीं है कि फेसबुक ने आईटी रुल्स का पालन नहीं किया है. ऐसे में फेसबुक को कोई दिशानिर्देश नहीं दिया जा सकता है. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि ये सच है कि सोशल मीडिया पर काफी अपशब्द कहे जा रहे हैं लेकिन याचिकाकर्ता की ओर से सुझाया गया उपाय काफी ज्यादा हो सकता है. कोर्ट ने इस बात की आशंका जताई थी कि अगर याचिका में सरकार को प्रकाशन से पूर्व सेंसरशिप शक्ति प्रदान करने की मांग मंजूर की जाती हैं तो ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खतरनाक हो सकती है. कोर्ट ने कहा कि सरकार को ये शक्ति पसंद आएगा.

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस बात का संकेत दिया था कि वो याचिकाकर्ताओं को पहले अपनी शिकायत के साथ फेसबुक से संपर्क करने और आईटी रुल्स के रुल 3 के तहत शिकायत निवारण मेकानिज्म का पालन करने को कह सकता है। दरअसल म्यामांर में उत्पीड़न के शिकार दो रोहिंग्या शरणार्थियों ने याचिका दायर किया था. याचिकाकर्ताओं मोहम्मद हमीम जुलाई 2018 और कौसर मोहम्मद मार्च 2022 में म्यांमार से भारत आए थे.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने याचिका में फेसबुक को अल्पसंख्यक समुदायों खासकर रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ घृणास्पद पोस्ट और भाषणों को रोकने का दिशानिर्देश जारी करने की मांग की थी. याचिका में कहा गया था कि फेसबुक पर ऐसे पोस्ट और भाषण अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं. लेकिन फेसबुक इन पोस्ट और भाषणों के खिलाफ जानबूझ कर कार्रवाई नहीं कर रहा है. याचिका में कहा गया था कि म्यांमार में रोहिंग्या समुदाय के जीवन को अमानवीय बनाने में फेसबुक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.