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राज्यसभा में हसदेव अरण्य का मुद्दा, आप सांसद के सवाल पर केंद्रीय मंत्री का जवाब- 2 लाख पेड़ और काटेंगे - Hasdeo Aranya

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 27, 2024, 7:15 AM IST

Hasdeo Aranya issue in Rajya Sabha राज्यसभा में शुक्रवार को हसदेव अरण्य का मुद्दा गूंजा. आप सासंद ने सवाल पूछा कि हसदेव अरण्य में पेड़ों को काटने के लिए क्या कोई सिफारिश नहीं की गई है. इसके साथ ये भी पूछा कि कितने पेड़ काटे गए और कितने पेड़ लगाए गए. साथ ही कितने पेड़ और काटे जाएंगे. सांसद के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 2 लाख 70 हजार से ज्यादा पेड़ और काटे जाएंगे.

Hasdeo Aranya issue in Rajya Sabha
राज्यसभा में हसदेव अरण्य का मुद्दा (ETV Bharat GFX)

कोरबा: संसद के उच्च सदन राज्यसभा में छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य का मुद्दा एक बार फिर गूंजा. पंजाब से आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संदीप कुमार पाठक ने सवाल दागे. उन्होंने पूछा की कोयला उत्खनन के लिए हसदेव के जंगल में कितने पेड़ काटे गए? जो पेड़ काटे गए हैं, उनकी भरपाई के लिए कितने नए पेड़ लगाए गए और जो पेड़ लगाए गए हैं. उनमें से कितने जिंदा बचे हैं. इसके जवाब में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने जानकारी साझा की और कहा कि कोयला उत्खनन के लिए हस्सेव अरण्य के 94 हजार 460 पेड़ काटे जा चुके हैं.

ये हैं संदीप के सवाल :आप के राज्यसभा सांसद संदीप कुमार पाठक राज्यसभा में सवाल पूछा कि क्या भारतीय वन्यजीव संस्थान में हसदेव पर कोई अध्ययन कराया है? यदि अध्ययन हुआ है, तो क्या हसदेव में खनन कार्यों पर रोक लगाने की भी कोई सिफारिश है? 2023 तक हसदेव जंगल में कुल कितने पेड़ों की कटाई हुई है और इनकी भरपाई के लिए कितने पेड़ लगाए गए हैं. जो पेड़ लगाए गए हैं उनमें से कितने पेड़ वहां अब भी बचे हैं. संदीप में ये भी पूछा कि आने वाले दिनों में हसदेव अरण्य क्षेत्र में और कितने पेड़ों की कटाई प्रस्तावित है.

राज्य सरकार की रिपोर्ट में खनन रोकने की कोई सिफारिश नहीं: इन प्रश्नों के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने राज्यसभा में बताया "छत्तीसगढ़ सरकार ने भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद, देहरादून को हसदेव अरण्य कोयला क्षेत्र में जैव विविवधता आकलन संबंधी अययन का कार्य सौंपा था. जिसके सहयोग से राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को 14 जून 2021 को प्रस्तुत किया है. इस रिपोर्ट में हसदेव अरण्य क्षेत्र में खनन संबंधी कार्यों पर किसी भी तरह का प्रतिबंध लगाने की सिफारिश नहीं की गई है."

2 लाख 73 हजार पेड़ और काटेंगे, 53 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए गए : केंद्रीय मंत्री ने राज्यसभा में अपने जवाब में पेड़ों की कटाई और उनके बदले में लगाए गए नए पेड़ों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि "आने वाले सालों में 2 लाख 73 हजार 757 पेड़ और काटे जाएंगे. जबकि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार परसा ईस्ट केते बासेन माइन(पीईकेबी) में 94,460 पेड़ काटे जा चुके हैं. इस नुकसान की भरपाई कुल 53,40,586 पेड़ लगाए गए हैं. नए लगाए गए पेड़ों में से 40,93,395 पेड़ बचे हैं."

दिल्ली से भी बड़ा है हसदेव अरण्य : छत्तीसगढ़ के सरगुजा और कोरबा जिले में हसदेव अरण्य 1,70,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है. जिसका क्षेत्रफल देश की राजधानी दिल्ली से भी बड़ा है. हसदेव के घने जंगलों में हो रहे कोयला खनन का विरोध वहां के आदिवासी और एक्टिविस्ट लंबे समय से कर रहे हैं. यहां से फिलहाल राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को कोयला आपूर्ति की जा रही है.जिसके पावर प्लांट की कुल कोयला आवश्यकता साल में लगभग 200 लाख टन है. जिसकी पूर्ति एक चालू खदान परसा ईस्ट केते बासन के सालाना 210 लाख टन कोयला उत्पादन से हो जा रही है. छत्तीसगढ़ के एक्टिविस्ट, जो इस दिशा में काम कर रहे हैं उनके अनुसार पर्याप्त कोयला आपूर्ति के बाद भी राजस्थान सरकार परसा और केते एक्सटेंशन में नई कोयला खदानें खोलना चाहती है.

जन-सुनवाई 2 अगस्त को : आगामी 2 अगस्त को केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक की पर्यावरण जनसुनवाई है. लंबे समय से खनन परियोजनाओं का विरोध कर रहे हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े आदिवासी और अन्य लोग इस जनसुनवाई के विरोध में है. सरगुजा में आयोजित इस जनसुनवाई के पुरजोर विरोध की भी संभावना है.

हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई पर सियासी नूरा कुश्ती, छत्तीसगढ़ को रेगिस्तान बनाने के लग रहे आरोप - Cutting of trees in Hasdeo Aranya
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कोरबा: संसद के उच्च सदन राज्यसभा में छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य का मुद्दा एक बार फिर गूंजा. पंजाब से आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संदीप कुमार पाठक ने सवाल दागे. उन्होंने पूछा की कोयला उत्खनन के लिए हसदेव के जंगल में कितने पेड़ काटे गए? जो पेड़ काटे गए हैं, उनकी भरपाई के लिए कितने नए पेड़ लगाए गए और जो पेड़ लगाए गए हैं. उनमें से कितने जिंदा बचे हैं. इसके जवाब में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने जानकारी साझा की और कहा कि कोयला उत्खनन के लिए हस्सेव अरण्य के 94 हजार 460 पेड़ काटे जा चुके हैं.

ये हैं संदीप के सवाल :आप के राज्यसभा सांसद संदीप कुमार पाठक राज्यसभा में सवाल पूछा कि क्या भारतीय वन्यजीव संस्थान में हसदेव पर कोई अध्ययन कराया है? यदि अध्ययन हुआ है, तो क्या हसदेव में खनन कार्यों पर रोक लगाने की भी कोई सिफारिश है? 2023 तक हसदेव जंगल में कुल कितने पेड़ों की कटाई हुई है और इनकी भरपाई के लिए कितने पेड़ लगाए गए हैं. जो पेड़ लगाए गए हैं उनमें से कितने पेड़ वहां अब भी बचे हैं. संदीप में ये भी पूछा कि आने वाले दिनों में हसदेव अरण्य क्षेत्र में और कितने पेड़ों की कटाई प्रस्तावित है.

राज्य सरकार की रिपोर्ट में खनन रोकने की कोई सिफारिश नहीं: इन प्रश्नों के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने राज्यसभा में बताया "छत्तीसगढ़ सरकार ने भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद, देहरादून को हसदेव अरण्य कोयला क्षेत्र में जैव विविवधता आकलन संबंधी अययन का कार्य सौंपा था. जिसके सहयोग से राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को 14 जून 2021 को प्रस्तुत किया है. इस रिपोर्ट में हसदेव अरण्य क्षेत्र में खनन संबंधी कार्यों पर किसी भी तरह का प्रतिबंध लगाने की सिफारिश नहीं की गई है."

2 लाख 73 हजार पेड़ और काटेंगे, 53 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए गए : केंद्रीय मंत्री ने राज्यसभा में अपने जवाब में पेड़ों की कटाई और उनके बदले में लगाए गए नए पेड़ों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि "आने वाले सालों में 2 लाख 73 हजार 757 पेड़ और काटे जाएंगे. जबकि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार परसा ईस्ट केते बासेन माइन(पीईकेबी) में 94,460 पेड़ काटे जा चुके हैं. इस नुकसान की भरपाई कुल 53,40,586 पेड़ लगाए गए हैं. नए लगाए गए पेड़ों में से 40,93,395 पेड़ बचे हैं."

दिल्ली से भी बड़ा है हसदेव अरण्य : छत्तीसगढ़ के सरगुजा और कोरबा जिले में हसदेव अरण्य 1,70,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है. जिसका क्षेत्रफल देश की राजधानी दिल्ली से भी बड़ा है. हसदेव के घने जंगलों में हो रहे कोयला खनन का विरोध वहां के आदिवासी और एक्टिविस्ट लंबे समय से कर रहे हैं. यहां से फिलहाल राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को कोयला आपूर्ति की जा रही है.जिसके पावर प्लांट की कुल कोयला आवश्यकता साल में लगभग 200 लाख टन है. जिसकी पूर्ति एक चालू खदान परसा ईस्ट केते बासन के सालाना 210 लाख टन कोयला उत्पादन से हो जा रही है. छत्तीसगढ़ के एक्टिविस्ट, जो इस दिशा में काम कर रहे हैं उनके अनुसार पर्याप्त कोयला आपूर्ति के बाद भी राजस्थान सरकार परसा और केते एक्सटेंशन में नई कोयला खदानें खोलना चाहती है.

जन-सुनवाई 2 अगस्त को : आगामी 2 अगस्त को केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक की पर्यावरण जनसुनवाई है. लंबे समय से खनन परियोजनाओं का विरोध कर रहे हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े आदिवासी और अन्य लोग इस जनसुनवाई के विरोध में है. सरगुजा में आयोजित इस जनसुनवाई के पुरजोर विरोध की भी संभावना है.

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