फरीदाबाद: हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर वोटिंग हो गई है. अब सबको इंतजार है 8 तारीख को आने वाले रिजल्ट का. इस बार कयास लगाए जा रहे हैं कि एक बार फिर बदलाव होगा. यही वजह है कि लगभग सभी एग्जिट पोल में कांग्रेस को बढ़त मिलती हुई नजर आई. ऐसे में फरीदाबाद और पलवल जिले की बात करें तो इन दोनों जिलों में खास तौर पर बीजेपी का दबदबा रहता आया है, लेकिन इस बार माहौल कुछ अलग नजर आ रहा है.
इस बार फरीदाबाद जिले में 55.9 फीसदी मतदान हुआ है, वहीं पलवल जिले में 73.25 फीसदी मतदान हुआ है. बात की जाए फरीदाबाद की सभी 6 सीटों की तो इन सभी सीटों में कई सीट ऐसी हैं, जहां मुकाबला कड़ा देखने को मिला है. मतदान प्रतिशत की बात करें तो पृथला विधानसभा सीट पर 70.6%, एनआईटी विधानसभा सीट पर 60.01%, बल्लभगढ़ विधानसभा सीट पर 48.01%, फरीदाबाद विधानसभा सीट पर 53.7%, और तिगांव विधानसभा सीट पर 53.5% मतदान हुआ है. मतदान के बाद ईवीएम मशीनों को पूरी सुरक्षा में स्ट्रांग रूम में रखवा दिया गया है, जिसकी निगरानी 24 घंटे सीसीटीवी कैमरे और थ्री लेयर की सुरक्षा से की जा रही है.
कहीं बराबरी का टक्कर तो कहीं त्रिकोणीय मुकाबला : फरीदाबाद जिले में 6 विधानसभा सीटों में सबसे ज्यादा तीन सीटों पर कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है.
तिगांव में नागर vs नागर: जिसमें से पहली सीट है तिगांव विधानसभा, जहां बीजेपी से प्रत्याशी विधायक राजेश नागर और निर्दलीय उम्मीदवार ललित नागर के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. कांग्रेस से टिकट कटने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ललित नागर मैदान में कूद गए तो वहीं बीजेपी ने अपना भरोसा जताते हुए मौजूदा विधायक राजेश नागर को दोबारा मौका दिया है.
फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र : वहीं, फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां पर भी सीधा मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार विपुल गोयल और कांग्रेस के उम्मीदवार लखन सिंघला के बीच देखने को मिल रहा है. बीजेपी ने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर पूर्व मंत्री विपुल गोयल को टिकट दिया तो वहीं कांग्रेस ने लखन सिंगला को अपना उम्मीदवार बनाया. हालांकि यहां पर निर्दलीय और अन्य पाटिल के उम्मीदवारों का दबदबा नहीं है, लेकिन इस विधानसभा सीट पर कांटे की टक्कर भाजपा प्रत्याशी और कांग्रेस प्रत्याशी के बीच देखने को मिल रही है.
बड़खल विधानसभा क्षेत्र : बात की जाए बड़खल विधानसभा क्षेत्र की, तो यहां पर मंत्री सीमा त्रिखा का टिकट काटते हुए भाजपा ने धनेश अदलखा को अपना उम्मीदवार बनाया तो वहीं कांग्रेस ने पूर्व मंत्री के बेटे और कांग्रेस के दिग्गज नेता विजय प्रताप को अपना उम्मीदवार बनाया. यहां पर भी सीधी टक्कर कांग्रेस और बीजेपी के उम्मीदवार के बीच देखने को मिल रही है. जहां कांग्रेस प्रत्याशी का परिवार कई दशकों से राजनीति में सक्रिय है तो वहीं धनेश अदलखा पार्षद रह चुके हैं. इसके अलावा फार्मेसी काउंसलिंग के अध्यक्ष भी रहे हैं. हालांकि धनेश अदलखा पर अध्यक्ष रहते हुए गड़बड़ी के आरोप भी लगे और उन पर FIR भी दर्ज हुई, लेकिन इसके बावजूद भाजपा ने उन्हें यहां से टिकट दिया.
एनआईटी विधानसभा क्षेत्र : एनआईटी विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है, जहां कांग्रेस ने विधायक नीरज शर्मा पर भरोसा जताते हुए फिर से उन्हें उम्मीदवार बनाया है तो वहीं बीजेपी ने सतीश फागना को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं बीजेपी से टिकट मांग रहे नागेंद्र भड़ाना को जब बीजेपी ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने पहले तो निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया, लेकिन बाद में उन्होंने अपने घर वापसी करते हुए इनेलो का दामन थाम लिया और इनेलो और बसपा गठबंधन से चुनाव मैदान में कूद पड़े. 2014 विधानसभा चुनाव में इनेलो से नागेंद्र भड़ाना विधायक बने और उन्होंने अपना समर्थन बीजेपी को दे दिया था. हालांकि यही वजह है कि उन्हें 2019 में बीजेपी ने अपना कैंडिडेट घोषित किया, लेकिन वह चुनाव हार गए. इसके बाद अब यानी 2024 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उनका टिकट काटकर सतीश फागना को दे दिया है और यही वजह है कि इस विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है.
बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र : बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र में जहां एक तरफ बीजेपी के प्रत्याशी और मंत्री मूलचंद शर्मा है तो वहीं दूसरी ओर निर्दलीय प्रत्याशी शारदा राठौर के बीच में टक्कर देखने को मिल रही है. हालांकि शारदा राठौर कांग्रेस सरकार में विधायक और सीपीएस रह चुकी है और उन्हें उम्मीद थी कि कांग्रेस उन्हें अब टिकट देगी, लेकिन कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया और पूर्व विधायक की बेटी पराग शर्मा को अपना प्रत्याशी घोषित किया और यही वजह है कि शारदा राठौर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में कूद गईं. इसीलिए सीधी टक्कर भाजपा और निर्दलीय प्रत्याशी शारदा राठौर के बीच देखा जा रहा है.
पृथला विधानसभा क्षेत्र : पृथला विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. 2019 विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी नायनपाल रावत ने यहां से चुनाव जीता था, जिसके बाद उन्होंने भाजपा को अपना समर्थन दे दिया और उन्हें उम्मीद थी कि भाजपा उन्हें इस बार अपना उम्मीदवार घोषित करेगी लेकिन बीजेपी ने अपना उम्मीदवार पूर्व विधायक टेकचंद शर्मा को बनाया. यही वजह है कि नयनपाल रावत फिर से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में कूद गए तो वहीं कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार रघुवीर तेवतिया को बनाया और तीनों उम्मीदवार अपना एक अलग वोट बैंक रखते हैं. यही वजह है कि यहां एक बार फिर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है.
वहीं, बात की जाए पलवल जिले की तो यहां 73.89 फीसदी वोटिंग हुई है. चुनाव आयोग के जारी आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा वोटिंग 77.87 फीसदी हथीन में हुई है तो सबसे कम 71.70 फीसदी पलवल सीट हुई है. वहीं होडल सीट पर 72.02 फीसदी मतदान हुआ है.
पलवल विधानसभा सीट : बीजेपी ने मौजूदा विधायक का टिकट काटते हुए युवा चेहरा गौरव गौतम को मौका दिया. गौरव गौतम भाजपा युवा मोर्चा के बड़े नेता के तौर पर जाने जाते हैं और यही वजह है कि उनको बीजेपी ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया है तो वहीं दूसरी ओर है कांग्रेस से पूर्व कैबिनेट मंत्री करण दलाल. करण दलाल का एक राजनीतिक का लंबा अनुभव है. वो कई बार विधायक भी रह चुके हैं और यही वजह है कि इस बार सीधी टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच में देखने को मिल रही है. हालांकि इस सीट पर जेजेपी, बसपा-इनेलो गठबंधन के साथ-साथ निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में है.
होडल विधानसभा क्षेत्र : होडल विधानसभा क्षेत्र एक रिजर्व सीट है. यहां से कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को चुनावी मैदान में उतारा है. उदयभान 2019 के चुनाव में कुछ ही वोटों से हार गए थे और यहां पर बीजेपी का कब्जा हो गया था, लेकिन इस बार फिर से कांग्रेस ने होडल सीट से अपने प्रदेश अध्यक्ष उदय भान को टिकट दिया है तो वहीं भाजपा ने हरिंदर सिंह रामरतन को अपना उम्मीदवार बनाया है. हालांकि इस सीट से पूर्व विधायक जगदीश नायर बीजेपी से टिकट मांग रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिली. वहीं जेजेपी-आसपा गठबंधन ने सतवीर तंवर को टिकट दिया है, लेकिन इस बार सीधी टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच मानी जा रही है.
हथीन विधानसभा क्षेत्र : वैसे तो ज्यादातर हथीन विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का ही कब्जा रहा है और इस बार भी माना जा रहा है यह सीट कांग्रेस के खाते में जा सकती है, लेकिन यहां त्रिकोणीय मुकाबला बन रहा है. जहां कांग्रेस ने मोहम्मद इसराइल को अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर मनोज रावत को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि इनेलो बसपा गठबंधन से पूर्व विधायक तैयब हुसैन चुनाव मैदान में हैं. ऐसे में इस बार हथीन विधानसभा में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है.
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