पंचकूला: हरियाणा में निकाय चुनाव अब दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद होंगे. ये बड़ी अपडेट राज्य चुनाव आयुक्त धनपत सिंह ने दी है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि हरियाणा में सभी निकायों के चुनाव दो चरणों में बजाय एक चरण में ही होंगे.
28 जनवरी तक मतदाता सूची तैयार: राज्य चुनाव आयुक्त ने मीडिया से बातचीत में कहा कि "28 जनवरी तक सभी निकायों में मतदाता सूचियों का काम पूरा हो जाएगा. दो चरणों में चुनाव करवाने में कम से कम दो महीने का समय लगता है और विभिन्न प्रकार के कार्य भी प्रभावित होते हैं. आचार संहिता के कारण कामकाज रूक जाते हैं. इसी कारण एक चरण में ही चुनाव करवाने का फैसला लिया गया है. प्रदेश में 34 नगर निगम, नगर परिषदों और नगरपालिकाओं में से 27 में मतदाता सूचियां फाइनल हो चुकी हैं."
15 जनवरी तक मतदाता सूची तैयार: राज्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि हिसार और रोहतक नगर निगम की वार्डबंदी का काम देरी से पूरा होने के कारण यहां 15 जनवरी तक मतदाता सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा. जबकि करनाल और यमुनानगर में 28 जनवरी तक मतदाता सूची तैयार होगी. राज्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि इसके बाद चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी. उन्होंने बताया कि चुनाव प्रक्रिया को पूरा करने में करीब 25 दिन का समय लगता है. नतीजतन हरियाणा में निकाय चुनाव दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद ही होंगे.
वार्डबंदी, वोट रिवीजन और हाईकोर्ट के आदेश: राज्य चुनाव आयुक्त धनपत सिंह ने बताया कि पानीपत नगर निगम के लिए अभी चुनाव नहीं होंगे. उन्होंने बताया कि जिला सिरसा के अंतर्गत कालांवाली नगरपालिका में वार्डबंदी का काम अभी पूरा नहीं हो सका है. वहीं, अंबाला, थानेसर, पटौदी और सिरसा में वोट रिवीजन का काम भी जारी है, जबकि गुरुग्राम की सोहना नगर परिषद में हाईकोर्ट के आदेश के बाद अध्यक्ष को हटा दिया गया है.
इन कार्यों के लिए सरकार ने मांगा समय: सोहना में प्रधान और अंबाला और सोनीपत में मेयर पद के लिए उपचुनाव होने हैं. जबकि पानीपत का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन होने के कारण यहां वार्डबंदी का काम पूरा नहीं हुआ है. इसके लिए सरकार द्वारा अतिरिक्त समय मांगा गया है. यहां पानीपत निगम चुनाव अगले चरण में होने की उम्मीद जताई गई है.
अक्टूबर 2024 में विधानसभा चुनाव: गौरतलब है कि अक्टूबर 2024 में हरियाणा के विधानसभा चुनाव में इतिहास रचा गया. प्रदेश के गठन के बाद पहली बार भाजपा ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाई. विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 48 सीटें मिली, जबकि कांग्रेस को 37 सीटें ही मिल सकी.