चंडीगढ़: हरियाणा लोक सभा चुनाव के किस्सों में आज बात हो रही है हरियाणा के सबसे हॉट और हाई प्रोफाइल मुकाबले की. ये साल था 2004. लोक सभा सीट थी भिवानी. जिला भिवानी कांग्रेस के कद्दावर नेता बंसी लाल की कर्मभूमि या सियासी लहजे में कहें तो गढ़ माना जाता रहा है. 1977 में अस्तित्व में आने के बाद से ही भिवानी सीट पर बंसीलाल या उनके परिवार का कब्जा रहा है. लेकिन 1999 का चुनाव आते-आते समय ने करवट बदली.
ये वो दौर था जब केंद्र में लगातार सरकार बदल रही थी और मध्यावधि चुनाव हो रहे थे. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 13 दिन और 13 महीने रहकर दो बार गिर चुकी थी. 1996 से लेकर 2000 के बीच तीन चुनाव हो चुके थे. 1996, 1998 और 1999. इसी दौरान पहली बार हुआ जब देवीलाल और बंसीलाल का परिवार एक सीट पर आमने-सामने था. और उसके बाद वो चुनाव भी आया जब तीनों लालों का परिवार भी एक ही सीट पर भिड़ गया.
देवीलाल-बंसीलाल घराना पहली बार आमने-सामने:
परिसीमन के बाद 1977 में भिवानी सीट अस्तित्व में आई. 1998 तक भिवानी सीट पर बंसीलाल परिवार का कब्जा रहा. 1998 का लोक सभा चुनाव पहला मौका था जब भिवानी सीट पर दो बंसीलाल और देवीलाल परिवार आमने सामने हुए थे. 1998 में बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र ने ओपी चौटाला के बेटे और देवीलाल के पोते अजय चौटाला को पहली बार हराया था. राज्य में बंसीलाल मुख्यमंत्री थे.
देवीलाल-बंसीलाल घराने का दूसरा मुकाबला:
केंद्र में मुश्किल से 13 महीने बाद वाजपेयी सरकार फिर गिर गई. जिसके बाद 1999 में लोकसभा का चुनाव हुआ. 1999 के लोकसभा चुनाव में भी बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र फिर मैदान में उतरे. गौर करने वाली बात ये है कि इस समय तक बंसीलाल कांग्रेस छोड़कर अपना अलग दल हरियाणा विकास पार्टी बना चुके थे. राज्य के मुख्यमंत्री बंसीलाल थे, इसलिए भिवानी सीट से हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर उनके बेटे सुरेंद्र अजय चौटाला के खिलाफ मैदान में उतरे. बीजेपी और इनेलो का गठबंधन होने के चलते अजय चौटाला ने सुरेंद्र को हरा दिया. इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार धर्मबीर दूसरे और बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र तीसरे नंबर पर रहे.
भिवानी लोक सभा सीट का चुनावी इतिहास |
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तीन परिवारों का सबसे हॉट मुकाबला:
देवीलाल और बंसीलाल परिवार की जंग के बाद आया 2004 का लोकसभा चुनाव. भिवानी सीट पर इससे पहले देवीलाल और बंसीलाल घराने के बीच दो मुकाबला हो चुका था. पहली बार 1998 में बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह जीते और दूसरी बार 1999 में देवीलाल के पोते अजय चौटाला. लेकिन तीसरी लड़ाई यानि 2004 लोकसभा चुनाव की जंग में हरियाणा के तीसरे सबसे कद्दावर सियासी परिवार भजनलाल की एंट्री होती है. कांग्रेस भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई को टिकट देकर मैदान में उतार दिया. हरियाणा विकास पार्टी से बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र और इनेलो के टिकट पर देवीलाल के पोते और ओपी चौटाला के बेटे अजय चौटाला तीसरी बार मैदान में थे.
हॉट मुकाबले में कुलदीप बिश्नोई रहे विजयी
2004 लोकसभा चुनाव में हरियाणा की भिवानी सीट पूरे देश में सबसे हाई प्रोफाइल सीट बन गई. पूरे देश की नजर भिवानी सीट के नतीजों पर टिकी थी. उसकी वजह थी तीन दिग्गज परिवारों की हैसियत और प्रतिष्ठा दांव पर थी. हरियाणा के चर्चित तीनों लालों के लाल आमने-सामने थे. बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र, देवीलाल के पोते अजय चौटाला और भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई. नतीजा आया तो भजन लाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने बाजी मारी. कांग्रेस उम्मीदवार कुलदीप बिश्नोई ने बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र को 24 हजार 404 वोटों से हरा दिया. इनेलो उम्मीदवार और देवीलाल के पोते अजय चौटाला तीसरे नंबर पर रहे. ये आखिरी चुनाव था जब तीनों लालों के परिवार एक साथ आमने-सामने रहे हों.