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कांग्रेस ने बदली चाल! SRK गुट के नेताओं को दी चार कमेटियों में जगह, जानें क्या है राजनीतिक मायने

Congress Committee Srk Group: हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी पर रोक लगाने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने लोकसभा चुनाव को लेकर बनी कमेटियों में कई नए नाम जोड़े हैं. 4 कमेटियों में 51 नए सदस्यों को जोड़ा गया है. जानें क्या है इसके राजनीतिक मायने.

Congress Committee Srk Group
Congress Committee Srk Group
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 11, 2024, 8:35 AM IST

चंडीगढ़: एसआरके गुट की कांग्रेस संदेश यात्रा हाईकमान पर दबाव बनाने में क्या सफल हुई है? क्या कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी की तिकड़ी अपने मकसद में कामयाब हो गई है? ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि एसआरके के गुट की कांग्रेस संदेश यात्रा से पहले पार्टी किनारा कर रही थी, लेकिन अब कुछ ऐसा हुआ है जिससे ये लग रहा है कि पार्टी ने इस यात्रा में जुटी भीड़ को देख लिया है और उसके बाद ही इन नेताओं को तरजीह देने का पार्टी ने मन बना लिया.

चार कमेटियों में मिली एसआरके गुट के नेताओं को जगह: दरअसल हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है. ऐसे में अब कांग्रेस आलाकमान ने गुटबाजी पर रोक लगाने के लिए हरियाणा कांग्रेस इलेक्शन कमेटी, पॉलिटिकल अफेयर कमेटी, मेनिफेस्टो कमेटी और डिसीप्लिनरी एक्शन कमेटी की सूची जारी की है. इस सूची में एसआरके गुट को भी तरजीह दी गई है. इस सूची में कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी गुट के नेताओं को जगह मिली है. जबकि पहली लिस्ट में भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट का दबदबा रहा. वहीं इस नई लिस्ट में एसआरके गुट के नेताओं को जगह दी गई है. माना जा रहा है कि हरियाणा में हुड्डा गुट, SRK गुट में सामंजस्य बैठाने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने दूसरी सूची जारी की है.

पार्टी की इस रणनीति के बाद उठ रहे कई सवाल? सवाल ये है कि क्या एसआरके गुट की यात्रा के दबाव के चलते आलाकमान दूसरी सूची जारी करने के लिए मजबूर हुआ है? या फिर पार्टी का गुटबाजी को चुनाव से पहले बैलेंस करने का ये प्रयास है? क्या कांग्रेस की ये कोशिश हरियाणा में पार्टी को बीजेपी से मुकाबला करने के लिए कर मजबूती दे पाएगी? कांग्रेस के इस कदम के क्या राजनीतिक मायने है?

क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार? इस मामले में राजनीतिक मामलों की जानकारी धीरेंद्र अवस्थी ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी गुटबाजी है. जहां तक बात एसआरके गुट की यात्रा का है, तो निश्चित तौर पर ही हरियाणा कांग्रेस संदेश यात्रा का भी असर कहीं ना कहीं पार्टी पर पड़ा होगा, लेकिन उससे बड़ी बात ये है कि हरियाणा में पार्टी को अगर बीजेपी से मुकाबला करना है, तो इन सभी गुटों का एक साथ आना जरूरी है. उन्होंने कहा कि नई सूची हुड्डा और एसआरके गुट को बैलेंस करने के एक प्रयोग के तौर पर देखा जा सकता है.

उन्होंने कहा कि इससे दोनों गुटों में निश्चित तौर पर बैलेंस बनेगा. ऐसा करना पार्टी के लिए जरूरी भी था. इससे भी ज्यादा जरूरी ये है कि ये दोनों धड़े एक साथ एक मंच पर खड़े नजर आए. अगर ये सभी नेता एक मंच पर एक साथ खड़े नजर आएंगे, तो उसका जनता पर प्रभाव भी अधिक होगा. ऐसे में कांग्रेस हरियाणा में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने में भी कामयाब होगी.

राजनीतिक मामलों के जानकार राजेश मोदगिल ने कहा कि हरियाणा में सभी जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी दो धड़ों में बंटी हुई है. पहले पार्टी एसआरके गुट की हरियाणा कांग्रेस संदेश यात्रा को पार्टी की यात्रा मानने को तैयार नहीं थी, लेकिन बाद में उसके रुख में बदलाव आ गया. अब जिस तरह से पार्टी में ने कमेटियों दूसरी सूची जारी की है. उसमें एसआरके गुट के नेताओं को भी जगह दी है, वो कहीं ना कहीं हरियाणा में दोनों धड़ों को बैलेंस करने का प्रयास है.

राजेश मोदगिल ने कहा कि कांग्रेस के लिए ज्यादा जरूरी है कि ये भी नेता एक साथ खड़े हो जाए.. अगर कांग्रेस पार्टी हरियाणा में अपनी गुटबाजी पर नियंत्रण पा लेती है, तो निश्चित तौर पर ऐसे में बीजेपी के लिए कांग्रेस सबसे बड़ी चुनौती होगी. अगर पार्टी में गुजबाजी ऐसे ही जारी रही तो इसका खामियाजा उन्हें चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा कांग्रेस में संतुलन साधने की कोशिश, हाईकमान ने चार कमेटियों में SRK गुट के लोगों को दी जगह

ये भी पढ़ें: कांग्रेस की जन आक्रोश रैली, भूपेंद्र हुड्डा का दावा- पूर्ण बहुमत के साथ हरियाणा में सरकार बनाएगी कांग्रेस

चंडीगढ़: एसआरके गुट की कांग्रेस संदेश यात्रा हाईकमान पर दबाव बनाने में क्या सफल हुई है? क्या कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी की तिकड़ी अपने मकसद में कामयाब हो गई है? ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि एसआरके के गुट की कांग्रेस संदेश यात्रा से पहले पार्टी किनारा कर रही थी, लेकिन अब कुछ ऐसा हुआ है जिससे ये लग रहा है कि पार्टी ने इस यात्रा में जुटी भीड़ को देख लिया है और उसके बाद ही इन नेताओं को तरजीह देने का पार्टी ने मन बना लिया.

चार कमेटियों में मिली एसआरके गुट के नेताओं को जगह: दरअसल हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है. ऐसे में अब कांग्रेस आलाकमान ने गुटबाजी पर रोक लगाने के लिए हरियाणा कांग्रेस इलेक्शन कमेटी, पॉलिटिकल अफेयर कमेटी, मेनिफेस्टो कमेटी और डिसीप्लिनरी एक्शन कमेटी की सूची जारी की है. इस सूची में एसआरके गुट को भी तरजीह दी गई है. इस सूची में कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी गुट के नेताओं को जगह मिली है. जबकि पहली लिस्ट में भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट का दबदबा रहा. वहीं इस नई लिस्ट में एसआरके गुट के नेताओं को जगह दी गई है. माना जा रहा है कि हरियाणा में हुड्डा गुट, SRK गुट में सामंजस्य बैठाने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने दूसरी सूची जारी की है.

पार्टी की इस रणनीति के बाद उठ रहे कई सवाल? सवाल ये है कि क्या एसआरके गुट की यात्रा के दबाव के चलते आलाकमान दूसरी सूची जारी करने के लिए मजबूर हुआ है? या फिर पार्टी का गुटबाजी को चुनाव से पहले बैलेंस करने का ये प्रयास है? क्या कांग्रेस की ये कोशिश हरियाणा में पार्टी को बीजेपी से मुकाबला करने के लिए कर मजबूती दे पाएगी? कांग्रेस के इस कदम के क्या राजनीतिक मायने है?

क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार? इस मामले में राजनीतिक मामलों की जानकारी धीरेंद्र अवस्थी ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी गुटबाजी है. जहां तक बात एसआरके गुट की यात्रा का है, तो निश्चित तौर पर ही हरियाणा कांग्रेस संदेश यात्रा का भी असर कहीं ना कहीं पार्टी पर पड़ा होगा, लेकिन उससे बड़ी बात ये है कि हरियाणा में पार्टी को अगर बीजेपी से मुकाबला करना है, तो इन सभी गुटों का एक साथ आना जरूरी है. उन्होंने कहा कि नई सूची हुड्डा और एसआरके गुट को बैलेंस करने के एक प्रयोग के तौर पर देखा जा सकता है.

उन्होंने कहा कि इससे दोनों गुटों में निश्चित तौर पर बैलेंस बनेगा. ऐसा करना पार्टी के लिए जरूरी भी था. इससे भी ज्यादा जरूरी ये है कि ये दोनों धड़े एक साथ एक मंच पर खड़े नजर आए. अगर ये सभी नेता एक मंच पर एक साथ खड़े नजर आएंगे, तो उसका जनता पर प्रभाव भी अधिक होगा. ऐसे में कांग्रेस हरियाणा में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने में भी कामयाब होगी.

राजनीतिक मामलों के जानकार राजेश मोदगिल ने कहा कि हरियाणा में सभी जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी दो धड़ों में बंटी हुई है. पहले पार्टी एसआरके गुट की हरियाणा कांग्रेस संदेश यात्रा को पार्टी की यात्रा मानने को तैयार नहीं थी, लेकिन बाद में उसके रुख में बदलाव आ गया. अब जिस तरह से पार्टी में ने कमेटियों दूसरी सूची जारी की है. उसमें एसआरके गुट के नेताओं को भी जगह दी है, वो कहीं ना कहीं हरियाणा में दोनों धड़ों को बैलेंस करने का प्रयास है.

राजेश मोदगिल ने कहा कि कांग्रेस के लिए ज्यादा जरूरी है कि ये भी नेता एक साथ खड़े हो जाए.. अगर कांग्रेस पार्टी हरियाणा में अपनी गुटबाजी पर नियंत्रण पा लेती है, तो निश्चित तौर पर ऐसे में बीजेपी के लिए कांग्रेस सबसे बड़ी चुनौती होगी. अगर पार्टी में गुजबाजी ऐसे ही जारी रही तो इसका खामियाजा उन्हें चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.

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