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कांग्रेस क्यों कर रही सरकार को फ्लोर टेस्ट की जगह बर्खास्त करने की मांग, विपक्ष ने राज्यपाल से की मुलाकात, क्या है सियासी मायने? - Haryana Congress Meets Governor

Haryana Congress Meets Governor: हरियाणा सरकार के अल्पमत में होने के मुद्दे पर कांग्रेस लगातार हमलावर है. सरकार को फ्लोर टेस्ट की चुनौती देने वाली कांग्रेस अब प्रदेश सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रही है. इसके लिए कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को महामहिम राज्यपाल से भी मुलाकात कर चुका है. हालांकि इससे पहले भी कांग्रेस ने इस मामले में राज्यपाल को ज्ञापन दिया था. लेकिन उस वक्त कांग्रेस के निर्दलीय समर्थक विधायकों के समर्थन पत्र को लेकर सवाल खड़े हुए थे.

Haryana Congress Meets Governor
Haryana Congress Meets Governor (ईटीवी भारत चंडीगढ़ डेस्क)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jun 22, 2024, 7:25 AM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में कांग्रेस ने एक बार फिर सरकार के अल्पमत में होने के मुद्दे पर राज्यपाल से मुलाकात की. कांग्रेस नेताओं ने राज्यपाल को सरकार भंग करके राष्ट्रपति शासन लागू करने को लेकर ज्ञापन सौंपा. कांग्रेस के विधायक आफताब अहमद के मुताबिक मौजूदा समय में नायब सैनी सरकार के पास 43 विधायकों का समर्थन है. हालांकि सदन में कुल 87 सदस्यों की संख्या है. इसलिए राज्यपाल अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए अल्पमत सरकार को तुरंत बर्खास्त करे.

क्या विपक्ष को फ्लोर टेस्ट में फेल होने का है डर!: हालांकि नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा कह चुके हैं कि वे फ्लोर टेस्ट नहीं करवाना चाहते. क्योंकि उन्हें ऐसा करने पर हॉर्स ट्रेडिंग होने की संभावना है. इससे यह बात भी साफ हो जाती है कि विपक्ष खुद के नंबर को लेकर आश्वस्त नहीं है. यानी फ्लोर टेस्ट में उसे फेल होने का डर है. शायद इसलिए विपक्ष फ्लोर टेस्ट की जगह सरकार को बर्खास्त कर, राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रहा है. हालांकि इससे पहले भी कांग्रेस ने 10 जून को राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा था.

राज्यपाल से बार-बार विपक्ष की मुलाकात पर उठ रहे सवाल?: कांग्रेस के लगातार सरकार के अल्पमत में होने को लेकर राज्यपाल से दो बार मुलाकात करने के बाद सवाल यह है कि कांग्रेस फ्लोर टेस्ट की जगह सरकार को बर्खास्त करने की मांग क्यों कर रही है? इसके पीछे कांग्रेस की राजनीतिक मंशा क्या है? क्या राज्यपाल कांग्रेस के कहने पर सरकार को बर्खास्त करेंगे?

क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ: इस मामले में राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि यह बात स्पष्ट है कि कांग्रेस सरकार को बर्खास्त कर खुद सरकार नहीं बनाना चाहती है. इसलिए वह सरकार बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रही है और वैसे भी हरियाणा में करीब तीन महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. वे कहते हैं कि फ्लोर टेस्ट करवाकर कांग्रेस खुद की हार भी नहीं करवाना चाहती है. क्योंकि उसे खुद के विधायकों पर तो शायद भरोसा है, लेकिन जेजेपी के विधायकों को लेकर वह आश्वस्त नहीं है. इसलिए भी वह फ्लोर टेस्ट से बचना चाह रही हैं.

'विपक्ष सुर्खियों में बने रहने की कर रहा कोशिश': वे कहते हैं कि कांग्रेस शायद इस बात को बार बार उठा कर विधानसभा चुनाव से पूर्व सुर्खियों में बने रहना चाहती है. इसमें राजनीतिक तौर पर कुछ गलत भी नहीं है. पार्टी इस मुद्दे को लगातार उठाकर खुद की प्रेजेंस बनाए रखना चाह रही है. वे कहते हैं कि कांग्रेस को यह पता है कि वैसे भी थोड़े वक्त के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. इसलिए इस मुद्दे को पार्टी ठंडे बस्ते में डालने की जगह इसको बार बार उठा रही है. इससे उसे पॉलिटिकल माइलेज भी मिल रही है. वे कहते हैं कि जहां तक राज्यपाल की बात है तो सरकार को बर्खास्त करना या न करना उनके विवेक पर निर्भर करता है. लेकिन जब तक विपक्ष नंबर गेम शो नहीं करता है तब तक कुछ होने की उम्मीद भी कम है.

'फ्लोर टेस्ट में खुद को बचाने का प्रयास करेगी सरकार': वहीं, इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि राजनीति में खुद को लोगों के बीच बनाए रखने के लिए कांग्रेस का यह मूव दिखाई देता है. अगर कांग्रेस फ्लोर टेस्ट की बात करेगी और अगर फ्लोर टेस्ट हुआ तो सरकार खुद को किसी न किसी तरह बचा लेगी. इसलिए शायद कांग्रेस सरकार को बर्खास्त करने की मांग कर रही है. कांग्रेस जानती है कि अब सरकार गिराने से उसे कुछ खास हासिल नहीं होगा. जितना इस मुद्दे को सुर्खियों में बनाए रखने से उसे फायदा मिलेगा.

'कांग्रेस को इसलिए सूट कर रहा सियासी हंगामा': वे कहते हैं कि राजनीतिक तौर पर पार्टी का यह मूव सही भी दिखता है. इससे पार्टी लगातार सुर्खियों में बनी हुई है. वे कहते हैं कि जहां तक बात राज्यपाल के इस मुद्दे पर कोई फैसला करने की है तो उसकी संभावना न के बराबर दिखाई देती है. क्योंकि कांग्रेस सिर्फ उस आंकड़े की बात कर रही है जो दिखाई दे रहा है. लेकिन पूरे विपक्ष के नंबर के साथ राजभवन नहीं जा रही है. क्योंकि उसे भी पता है कि विपक्ष के सभी दल के विधायक एक साथ नहीं है. इसलिए इस मुद्दे पर सियासी हंगामा कांग्रेस को सूट कर रहा है.

ये भी पढ़ें: बीजेपी में शामिल होने के बाद कांग्रेस पर हमलावर हुईं किरण चौधरी, उदयभान को बोला- अपने गिरेबान में झांकें - KIRAN CHAUDHARY on uday bhan

ये भी पढ़ें: हरियाणा में कांग्रेस पर बरसे सीएम नायब सैनी, बोले- 'बीजेपी नहीं, कांग्रेस खुद अल्पमत में है' - CM Naib Saini on Congress

चंडीगढ़: हरियाणा में कांग्रेस ने एक बार फिर सरकार के अल्पमत में होने के मुद्दे पर राज्यपाल से मुलाकात की. कांग्रेस नेताओं ने राज्यपाल को सरकार भंग करके राष्ट्रपति शासन लागू करने को लेकर ज्ञापन सौंपा. कांग्रेस के विधायक आफताब अहमद के मुताबिक मौजूदा समय में नायब सैनी सरकार के पास 43 विधायकों का समर्थन है. हालांकि सदन में कुल 87 सदस्यों की संख्या है. इसलिए राज्यपाल अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए अल्पमत सरकार को तुरंत बर्खास्त करे.

क्या विपक्ष को फ्लोर टेस्ट में फेल होने का है डर!: हालांकि नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा कह चुके हैं कि वे फ्लोर टेस्ट नहीं करवाना चाहते. क्योंकि उन्हें ऐसा करने पर हॉर्स ट्रेडिंग होने की संभावना है. इससे यह बात भी साफ हो जाती है कि विपक्ष खुद के नंबर को लेकर आश्वस्त नहीं है. यानी फ्लोर टेस्ट में उसे फेल होने का डर है. शायद इसलिए विपक्ष फ्लोर टेस्ट की जगह सरकार को बर्खास्त कर, राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रहा है. हालांकि इससे पहले भी कांग्रेस ने 10 जून को राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा था.

राज्यपाल से बार-बार विपक्ष की मुलाकात पर उठ रहे सवाल?: कांग्रेस के लगातार सरकार के अल्पमत में होने को लेकर राज्यपाल से दो बार मुलाकात करने के बाद सवाल यह है कि कांग्रेस फ्लोर टेस्ट की जगह सरकार को बर्खास्त करने की मांग क्यों कर रही है? इसके पीछे कांग्रेस की राजनीतिक मंशा क्या है? क्या राज्यपाल कांग्रेस के कहने पर सरकार को बर्खास्त करेंगे?

क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ: इस मामले में राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि यह बात स्पष्ट है कि कांग्रेस सरकार को बर्खास्त कर खुद सरकार नहीं बनाना चाहती है. इसलिए वह सरकार बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रही है और वैसे भी हरियाणा में करीब तीन महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. वे कहते हैं कि फ्लोर टेस्ट करवाकर कांग्रेस खुद की हार भी नहीं करवाना चाहती है. क्योंकि उसे खुद के विधायकों पर तो शायद भरोसा है, लेकिन जेजेपी के विधायकों को लेकर वह आश्वस्त नहीं है. इसलिए भी वह फ्लोर टेस्ट से बचना चाह रही हैं.

'विपक्ष सुर्खियों में बने रहने की कर रहा कोशिश': वे कहते हैं कि कांग्रेस शायद इस बात को बार बार उठा कर विधानसभा चुनाव से पूर्व सुर्खियों में बने रहना चाहती है. इसमें राजनीतिक तौर पर कुछ गलत भी नहीं है. पार्टी इस मुद्दे को लगातार उठाकर खुद की प्रेजेंस बनाए रखना चाह रही है. वे कहते हैं कि कांग्रेस को यह पता है कि वैसे भी थोड़े वक्त के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. इसलिए इस मुद्दे को पार्टी ठंडे बस्ते में डालने की जगह इसको बार बार उठा रही है. इससे उसे पॉलिटिकल माइलेज भी मिल रही है. वे कहते हैं कि जहां तक राज्यपाल की बात है तो सरकार को बर्खास्त करना या न करना उनके विवेक पर निर्भर करता है. लेकिन जब तक विपक्ष नंबर गेम शो नहीं करता है तब तक कुछ होने की उम्मीद भी कम है.

'फ्लोर टेस्ट में खुद को बचाने का प्रयास करेगी सरकार': वहीं, इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि राजनीति में खुद को लोगों के बीच बनाए रखने के लिए कांग्रेस का यह मूव दिखाई देता है. अगर कांग्रेस फ्लोर टेस्ट की बात करेगी और अगर फ्लोर टेस्ट हुआ तो सरकार खुद को किसी न किसी तरह बचा लेगी. इसलिए शायद कांग्रेस सरकार को बर्खास्त करने की मांग कर रही है. कांग्रेस जानती है कि अब सरकार गिराने से उसे कुछ खास हासिल नहीं होगा. जितना इस मुद्दे को सुर्खियों में बनाए रखने से उसे फायदा मिलेगा.

'कांग्रेस को इसलिए सूट कर रहा सियासी हंगामा': वे कहते हैं कि राजनीतिक तौर पर पार्टी का यह मूव सही भी दिखता है. इससे पार्टी लगातार सुर्खियों में बनी हुई है. वे कहते हैं कि जहां तक बात राज्यपाल के इस मुद्दे पर कोई फैसला करने की है तो उसकी संभावना न के बराबर दिखाई देती है. क्योंकि कांग्रेस सिर्फ उस आंकड़े की बात कर रही है जो दिखाई दे रहा है. लेकिन पूरे विपक्ष के नंबर के साथ राजभवन नहीं जा रही है. क्योंकि उसे भी पता है कि विपक्ष के सभी दल के विधायक एक साथ नहीं है. इसलिए इस मुद्दे पर सियासी हंगामा कांग्रेस को सूट कर रहा है.

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