चंडीगढ़ : हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा सरकार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े किए हैं. पूर्व सीएम ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने सरकारी शिक्षा तंत्र का बंटाधार कर दिया है. उनका आरोप है कि सरकार की नीतियों की वजह से राज्य में लगातार शिक्षा निजी हाथों में जा रही है. वहीं सरकार की नीतियों की वजह से सरकारी शिक्षण संस्थानों से विद्यार्थियों की संख्या घट रही है
सरकारी स्कूलों में कम दाखिले हुए : पूर्व सीएम ने कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पिछले साल के मुकाबले इस बार भी 27,000 कम दाखिले हुए हैं. जबकि अगर सरकार की शिक्षा नीति बेहतर होती तो इन दाखिलों में इजाफा होना चाहिए था. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश के 28 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी विद्यार्थी नहीं है. 262 ऐसे स्कूल हैं, जहां सिर्फ 1 से लेकर 10 तक ही विद्यार्थी हैं. 520 ऐसे स्कूल हैं, जहां 11 से लेकर 20 तक ही विद्यार्थी हैं. 8 मिडिल स्कूल ऐसे हैं, जहां विद्यार्थियों की संख्या शून्य है. 12 स्कूल ऐसे हैं जहां विद्यार्थियों की संख्या 1 से 10 है और 73 ऐसे हैं जहां संख्या मात्र 11 से 20 है. एक हाई स्कूल भी ऐसा है, जहां एक भी विद्यार्थी नहीं है. ये आंकड़े चीख-चीखकर बीजेपी सरकार की शिक्षा नीति की पोल खोल रहे हैं.
सरकारी स्कूलों से उठता भरोसा : हुड्डा ने आरोप लगाया कि बीजेपी नीतिगत तरीके से दलित, पिछड़े वर्ग, गरीब और किसान वर्ग के बच्चों को हर एक सुविधा और शिक्षा से वंचित करना चाहती है. इसीलिए नए स्कूल बनाना तो दूर, बीजेपी सरकार पहले से स्थापित स्कूलों में बिजली, पानी, टॉयलेट और बैठने के लिए बेंच तक मुहैया नहीं करवा रही है. यही वजह है कि अभिभावकों का सरकारी स्कूलों से भरोसा उठता जा रहा है. सरकार शिक्षा तंत्र को धीरे-धीरे प्लानिंग के तहत निजी हाथों में सौंप रही है.
50 हजार पद खाली : उन्होंने आरोप लगाया कि 10 साल से सत्ता में होने के बावजूद बीजेपी ने स्कूलों की हालत सुधारने के लिए क्या किया?. बीजेपी ने सत्ता में आते ही टीचर्स और खासकर जेबीटी टीचर्स की भर्तियां क्यों बंद कर दी?. कई साल से शिक्षा विभाग में करीब 50 हजार पद खाली पड़े हुए हैं. स्कूलों में जो टीचर्स नियुक्त हैं, उनसे भी सरकार पढ़ाई का काम छुड़वाकर कभी मंडी और मेलों में ड्यूटी करवाती है तो कभी परिवार पहचान पत्र बनाने जैसे कामों में भेज देती है.
शिक्षा पर महज 2 प्रतिशत खर्च : हुड्डा का कहना है कि स्कूल ही नहीं, प्रदेश कॉलेज और विश्वविद्यालयों की स्थिति भी बेहद चिंतनीय बनी हुई है. प्रदेश में शिक्षण संस्थाओं की हालत पर आई रिपोर्ट में पता चलता है कि प्रदेश के स्कूलों में 26000 से ज्यादा टीचर्स, कॉलेज में 4738 सहायक प्रोफेसर्स के पद खाली पड़े हुए हैं. कॉलेजों में भी करीब 1 लाख यूजी तो 19,000 पीजी की सीटें खाली पड़ी हुई हैं. उनका कहना है कि प्रदेश सरकार शिक्षा पर जीडीपी का महज 2% खर्च करती है, जबकि नई शिक्षा नीति 6% खर्च करने की सिफारिश करती है.
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