कुरुक्षेत्र: भारतीय जनता पार्टी द्वारा विधानसभा चुनाव के चलते लगभग सभी प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर दी गई है. बीजेपी की पहली लिस्ट आने के बाद ही पार्टी में बगावत शुरू हो गई थी. जिनमें से कुछ नेता मान चुके हैं, जबकि कुछ अभी भी पार्टी से दूरी बनाए हुए हैं. वहीं, कुरुक्षेत्र जिले में चार विधानसभा सीटें है. जहां पर कुछ नेताओं द्वारा प्रत्याशी घोषित करने के बाद बीजेपी प्रत्याशी और पार्टी के खिलाफ बगावत शुरू कर दी गई है. अब चारों विधानसभाों में बगावत करने वाले नेताओं को कहीं न कहीं दूसरी विधानसभा में प्रत्याशी बनाकर भेजा गया है.
लाडवा विधानसभा: बीजेपी द्वारा लाडवा विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को प्रत्याशी बनाया गया है. लाडवा विधानसभा पर 2014 में बीजेपी ने पवन सैनी को प्रत्याशी बनाया था. उन्होंने वहां पर जीत हासिल की थी. 2019 में बीजेपी द्वारा विधानसभा में पवन सैनी को ही प्रत्याशी बनाया गया, लेकिन इस बार वे हार गए थे. इस बार भी पवन सैनी समेत कई अन्य नेता भी टिकट की दावेदारी ठोक रहे थे. लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए बीजेपी ने मुख्यमंत्री को ही लाडवा सीट से प्रत्याशी बनाया है. वहीं, पवन सैनी को नारायणगढ़ विधानसभा से प्रत्याशी बनाया है.
शाहाबाद विधानसभा: शाहाबाद विधानसभा में मौजूदा समय में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा सुभाष कलसाना को उम्मीदवार बनाया गया है. वहीं, 2014 और 2019 विधानसभा चुनाव की बात करें तो कृष्ण बेदी को वहां पर प्रत्याशी बनाया गया था. 2014 में उन्होंने जीत हासिल की थी. जबकि 2019 में जननायक जनता पार्टी के प्रत्याशी से वह हार गए थे. इस बार भी वह शाहाबाद विधानसभा से दावा ठोक रहे थे. पार्टी के द्वारा सुभाष कलसाना को उम्मीदवार बनाने के बाद कृष्ण बेदी के भी बगावती सुर दिखाई दिए थे. उनके समर्थकों ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. इसी के चलते कृष्ण बेदी को नरवाना विधानसभा सीट पर प्रत्याशी बनाया गया है.
थानेसर विधानसभा सीट: थानेसर विधानसभा सीट पर पिछले तीन विधानसभा चुनाव से सुभाष सुधा को प्रत्याशी बनाया जा रहा है. पिछले दो प्लान में वह यहां से विधायक बने हैं और एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी के द्वारा उनको प्रत्याशी बनाया गया है. लेकिन सुभाष सुधा के साथ-साथ यहां पर जय भगवान शर्मा डीडी और भारतीय जनता पार्टी के थानेसर विधानसभा से सबसे पुराने नेता और कार्यकर्ता कृष्ण बजाज भी टिकट मांग रहे थे. लेकिन सुभाष सुधा को टिकट मिलने के बाद डीडी शर्मा और कृष्ण बजाज ने बगावती सूर तेज कर दिए थे. कृष्ण बजाज ने भारतीय जनता पार्टी छोड़कर आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया और उनको आम आदमी पार्टी ने थानेसर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बना दिया. तो वहीं डीडी शर्मा की बगावत को देखते हुए उसकी पिहोवा विधानसभा से अपना प्रत्याशी बनाया गया है.
पिहोवा विधानसभा पर टिकट बदलने का कारण: पिहोवा विधानसभा पर भारतीय जनता पार्टी के द्वारा कवलजीत अजराना को प्रत्याशी बनाया गया था. लेकिन स्थानीय नेताओं और लोगों का काफी विरोध अजराना के खिलाफ किया गया. जिसके चलते उन्होंने टिकट वापस लौटने का फैसला लिया और उसके बाद डीडी शर्मा को यहां पर प्रत्याशी बनाया गया है. स्थानीय लोगों की और नेताओं की मांग थी कि उनके बीच में स्थानीय प्रत्याशी बनाकर भेजा जाए. लेकिन एक बार फिर से जयभगवान शर्मा डीडी को थानेसर विधानसभा से पिहोवा विधानसभा में भेजा गया है. इसका भी नुकसान भारतीय जनता पार्टी को हो सकता है.
सीएम के लिए सुरक्षित सीट लाडवा!: भारतीय जनता पार्टी के द्वारा मुख्यमंत्री को लाडवा विधानसभा से प्रत्याशी बनाया गया है. वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने करनाल विधानसभा सीट छोड़कर लाडवा विधानसभा सीट खुद चुनी है. क्योंकि उनको लगता है कि यह सीट उनके लिए एक सुरक्षित सीट है. क्योंकि सैनी समाज का करनाल विधानसभा में वोट बैंक काफी कम है. लेकिन लाडवा विधानसभा पर उनके समाज का वोट बैंक काफी अच्छा है. जिसके चलते वह यहां से जीत हासिल कर सकते हैं.
मेवा सिंह V/S नायब सैनी: लाडवा सीट पर मुख्यमंत्री के सामने मुख्य प्रतिद्वंद्वी के तौर पर कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी और मौजूदा विधायक मेवा सिंह है. जो मौजूदा विधायक होने के साथ-साथ जाट समाज से आते हैं. ऐसे में यहां पर जाट समाज का सबसे ज्यादा वोट बैंक है. जिसके चलते मुख्यमंत्री की जीत इतनी आसान नहीं होगी. हालांकि कुरुक्षेत्र जिले की तीनों विधानसभाओं पर प्रत्याशी उतारने के बाद दूसरे नेताओं के द्वारा और जो लोग टिकट के दौड़ में थे.
सीएम को था भीतरी घात का खतरा?: उनके द्वारा बगावत जरूर की गई थी. लेकिन लाडवा विधानसभा सीट पर मुख्यमंत्री का नाम सामने आने के बाद यहां पर बगावत नहीं हुई. इसका मुख्य कारण यह है कि यहां पर खुद मुख्यमंत्री चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन फिर भी भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री को कहीं ना कहीं डर था कि जो यहां के स्थानीय नेता है. वह उनके साथ भीतरी घात कर सकते हैं. जिसका नुकसान उनको हो सकता है और उनकी हार हो सकती है, मुख्यमंत्री से पहले यहां मुख्य टिकट की दौड़ में डॉक्टर पवन सैनी आते थे. जिनको इसी के डर से नारायणगढ़ विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है.
भीतरी घात का खतरा: ऐसे ही भीतरी घात का खतरा शाहाबाद विधानसभा सीट पर कृष्ण बेदी से था. जिनको नरवाना विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. तो वहीं थानेसर विधानसभा सीट पर डीडी शर्मा से था. जिनको पिहोवा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. लेकिन टिकट के दौड़ में अन्य नेता भी शामिल थे. कहीं ना कहीं अब उनके मन में भी एक टिस है कि उनका नाम कहीं भी लिस्ट में नहीं आया है. ऐसे में भीतरी घात अब भी हो सकता है. कहीं ना कहीं चारों विधानसभा सीट जीतने के चलते ही उन्होंने इतना बड़ा दाव अपने नेताओं पर दूसरे जिलों में प्रत्याशी बनाकर खेला है और देखने वाली बात होगी कि कुरुक्षेत्र जिले से संबंध रखने वाले इन नेताओं में कौन सीट हासिल करता है और कौन नहीं.