कोरबा: एक समय था जब कोरबा जिले का गांव कोई गांव शराबियों के लिए कुख्यात था. गांव में घर-घर में शराब बनता था. नशे में चूर होकर शराबी गांव की गलियों में घूम करते थे. महिलाओं का घरों से निकलना मुश्किल हो गया था. बड़े तो बड़े युवा भी शराब की लत में तेजी से फंसते जा रहे थे. घर के बड़ों और बच्चों को नशे में बर्बाद होता देख आखिरकार महिलाओं ने ही उनको लाइन पर लाने की ठानी. महिलाओं ने ये प्रण लिया कि वो नशे को गांव से दूर करके ही मानेंगी.
महिलाओं ने बनाया हरियाली गैंग: नशे के खिलाफ महिलाएं एकजुट हुईं. गांव की महिलाओं ने मिलकर हरियाली समूह का गठन किया. हरियाली गैंग की महिलाएं लाठियों से लैस होकर घर घर जाती हैं और शराब की चेकिंग करती हैं. जिन घरों में शराब बनाने का काम होता है उनपर हरियाली समूह की महिलाएं जुर्माना भी लगाती हैं. जुर्माने की राशि पांच हजार की होती है. हरियाली समूह से जुड़ी महिलाएं गांव में निगरानी करने का भी काम करती हैं. हरियाली गैंग के एक्टिव होने से अब कोई गांव में शराबी नजर नहीं आते.
नशे के खिलाफ एकजुट हुईं महिलाएं: महिलाओं की एकजुटता को देखकर शराब बनाने और पीने वाले दोनों डरने लगे. उनको जुर्माने भरने का भी डर सताने लगा. कड़े प्रतिबंधों के चलते शराब बनाने और पीने वालों ने भी नशे से तौबा कर लिया. आलम ये है कि अब गांव में शराब बनना पूरी तरह से बंद हो गया है. पहले इस गांव को शराब बनाने और पीने वालों के नाम से ही जाना जाता था. नशे से मुक्ति दिलाने में हरियाली समूह का खास योगदान रहा. समूह की महिलाएं अपने बदलते गांव की तस्वरी को देखकर बहुत खुश हैं.
आर्ट ऑफ लिंविंग के अंतर्राष्ट्रीय केंद्र बेंगलुरु में हुई हरियाली गैंग की तारीफ: हरियाली गैंग के सदस्यों को बेंगलुरु के आर्ट ऑफ लिविंग के अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में जाने का भी मौका मिला. आर्ट ऑफ लिविंग केंद्र बेंगलुरु में इस हरियाली गैंग की चर्चा हुई और इनके कामों को तारीफ भी मिली. हरियाली महिला समूह की तारीफ दक्षिण भारत तक पहुंचने से हरियाली गैंग की सदस्य काफी खुश हैं.
गांव का माहौल पहले बेहद खराब था. बड़े और बच्चे दोनों शराब की लत में डूबे थे. हमारा घरों से निकलना मुश्किल हो गया था. हर घर में शराब बनाई जाती थी. तब हमने ठाना कि हमें इस नशे गांव को मुक्ति दिलानी है, बच्चों का भविष्य बनाना है.: रामेश्वरी राठिया, सदस्य, हरियाली महिला समूह
हमने गांव का दौरा किया, हमारी एकजुटता देख नशे से जुड़े लोग डर गए. पांच लीटर शराब निर्माण की छूट होने का हवाला देकर ज्यादा शराब बनाकर बेचने वालों ने भी अपना धंधा बंद कर दिया. अब भी कुछ छिटपुट शराब बना लेते हैं. पांच लीटर शराब बनाने का आदेश भी बंद कर दिया जाना चाहिए.: पुष्पा, सदस्य हरियाली महिला समूह
योग और आध्यात्म से हो रहा लोगों का जुड़ाव: आर्ट ऑफ़ लिविंग के स्वयंसेवक अजय तिवारी कहते हैं कि पिछले 10 सालों से गांव कोई में आ रहे हैं और यहां की महिलाओं को आध्यात्म की शिक्षा और योग प्राणायाम करवाते हैं. जितने महुआ के पेड़ और महुआ का उत्पादन मैंने इस गांव में देखा है. अपने जीवन में मैंने किसी और गांव में नहीं देखा. महुआ आसानी से उपलब्ध हो जाने के कारण घर-घर में शराब बनाई जाती थी. लोग इसका सेवन भी करते थे. अब गांव की महिलाएं जागरूक हो चुकी हैं. महिलाओं ने अपने दम पर गांव की पूरी तस्वीर बदल दी है.
श्री श्री रविशंकर की तारीफ से बढ़ा हौसला: आर्ट ऑफ लिविंग के अंतरराष्ट्रीय केंद्र बेंगलुरु में हरियाली गैंग के कामों को सुनकर खुद श्री श्री रविशंकर ने तारीफ की. श्री श्री रविशंकर ने ग्राम कोई की महिलाओं की तारीफ करते हुए इसे प्रेरणा देने वाला काम भी बताया.