देहरादून: लोकसभा चुनाव 2024 के मैदान में उतर चुकी कांग्रेस की स्थिति काफी चिंताजनक नजर आ रही है. कांग्रेस इस वक्त अपने सबसे बूरे दौरे से गुजर रही है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत को हरिद्वार में कार्यालय खोलने के लिए कोई जगह तक देने को तैयार नहीं है. हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत को कांग्रेस ने हरिद्वार लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है.
हरीश रावत ने ईटीवी भारत के उत्तराखंड ब्यूरो चीफ किरणकांत शर्मा से बात करते हुए बताया कि वह इस बात को लेकर बेहद चिंतित हैं कि जिन लोगों की सहायता उन्होंने अपने कार्यकाल में की थी, वो लोग भी कांग्रेस पार्टी का दफ्तर अपने यहां खुलवाने से कतरा रहे हैं.
अपनों ने ही मोड़ लिया मुंह: हरीश रावत ने ईटीवी भारत के साथ खुलकर अपने मन की बात की. हरीश रावत ने कहा कि जिन लोगों की उन्होंने मदद की थी, आज उन्होंने ही मुंह मोड़ लिया है. हरीश रावत ने बताया कि उन्होंने कांग्रेस का चुनाव प्रचार कार्यालय खुलवाने के लिए कई लोगों से बात की है, लेकिन कोई भी उनकी मदद करने को तैयार नहीं है.
हरीश रावत कहते है कि जब उनकी सरकार थी तो उनके हाथ में किसी की भी सहायता करने का दम था और उस वक्त उन्होंने हरिद्वार में कई लोगों और आश्रमों को कई तरह की राहत दी भी थी, लेकिन आज जब उनको मदद की जरूरत है तो सबने हाथ खड़े कर दिए है, जिसे देखकर उन्हें हैरानी होती है.
हरीश रावत दु:खी मन से कहते है कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है, वो खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन आज जब वो लोगों से छोटी सी मदद मांग रहे है तो उनकी तरफ से उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है. हालांकि उन्होंने अभी भी उम्मीद नहीं खोई है. उन्हें अपने ऊपर पूरा भरोसा है कि वो कुछ न कुछ व्यवस्था करके हरिद्वार में चुनावी कार्यालय खोल लेगे.
बीजेपी का दबाव: हरीश रावत का कहना है कि बीजेपी के दबाव में आकर आज लोग उनकी मदद नहीं कर रहे है. इससे समझा जा सकता है कि किस तरह के डर का माहौल बनाया जा रहा है. कैसे हरिद्वार में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को कार्यालय खुलवाने के लिए जगह नहीं मिल रही है.
त्रिवेंद्र सिंह रावत और अपनी मुलाकात पर भी दिया जवाब: बता दें कि बीजेपी ने हरिद्वार लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मैदान में उतारा है. होली के दिन हरीश रावत खुद त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलने गए थे, इस दौरान के दोनों के बीच कमरे में चर्चा भी हुई थी. इस मुलाकत के सियासी गलियारों में अलग-अलग मायने निकाला जा रहे है. इस बार जब हरीश रावत से सवाल किया गया तो उन्होंने इसे एक शिष्टाचार मुलाकात बताया.
हरीश रावत का कहना है कि अगर उनके घर कोई मेहमान आया और वो उसे हाथ पकड़कर कुर्सी पर बैठाने के लिए कमरे में ले जाते और वहां दोनों बैठकर बात करने लगे तो इसमें क्या गलत है? होली के दिन भी दोनों के बीच शिष्टाचार भेंट ही हुई थी, जबकि उसके मायने गलत निकाले जा रहे है.
बेटा वीरेंद्र बढ़ाएंगा उनकी विरासत को आगे: इस सवाल पर हरीश रावत ने कहा कि वीरेंद्र रावत पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, जो बहुत बेहतर कर रहा हैं. एक कार्यकर्ता के नाते वीरेंद्र का कांग्रेस में लंबा सफर रहा है. कुछ-कुछ जगहों पर वे खुद वीरेंद्र रावत को सलाह दे रहे हैं.
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