देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कांग्रेस पार्टी के चुनाव प्रबंधन को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है. उन्होंने पिछले चुनाव से सबक लेते हुए प्रबंधन तंत्र को मजबूत किए जाने पर बल दिए जाने पर जोर दिया. वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के चुनाव लड़ने की इच्छा जताने पर हरीश रावत ने कहा कि पार्टी के अध्यक्ष ने हरिद्वार लोकसभा से चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा जताई है और यह अच्छी बात है. सभी पार्टी के लिए काम करेंगे. इसलिए उनके मुंह से यह बात निकली थी, अगर करन माहरा चुनाव लड़ते हैं तो पार्टी को चुनाव में प्रबंधन करना पड़ेगा. उनका कहना है कि प्रबंधन शब्द से इतना बड़ा विचलन क्यों हो रहा है.
हरीश रावत ने 2002 के चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि 2002 के चुनाव में उन्होंने स्वयं निर्णय लेते हुए अपनी घर की सीट से यूकेडी के नेता रहे प्रताप सिंह को चुनाव लड़वाया. लेकिन तब मैंने चुनाव नहीं लड़ा, बल्कि चुनाव का प्रबंध किया. इस तरह 2007 में जब अपनी नाराजगी जताते हुए स्वर्गीय एनडी तिवारी ने चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया. उस दौरान भी मैंने पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लेते हुए चुनाव का प्रबंध किया. ताकि पार्टी सशक्त विपक्ष के रूप से बच जाए.
दरअसल, हरीश रावत ने एक बार फिर पार्टी को आगाह किया है कि इस बार का लोकसभा चुनाव बेहद कठिन और असाधारण परिस्थितियों में हो रहा है. इसके लिए चुनाव प्रबंधन को मजबूत किए जाने की जरूरी है. सोशल मीडिया पर अपनी चिंता को साझा करते हुए उन्होंने फिर एक बार संगठन को पुरानी गलतियों को नहीं दोहराने की नसीहत दी है. हरीश रावत का कहना है कि इस सत्य को नकारा नहीं जा सकता कि चुनाव प्रबंधन भी महत्वपूर्ण है और प्रचारकों के साथ मीडिया मैनेजमेंट और दुष्प्रचार मैनेजमेंट की जरूरी है. क्योंकि 2022 में एक सफेद झूठ को भयंकर दुष्प्रचार का रूप देकर हम जीती बाजी हार गए.
हमको यह भी नहीं भूलना चाहिए कि उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य में लोकसभा चुनाव होने जा रहा हैं और इन 20 दिन के भीतर क्या एक उम्मीदवार सभी प्रबंधन संभालने की स्थिति में है. कांग्रेस पार्टी की तरफ से उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर बनाए गए कोऑर्डिनेटरों की नियुक्ति पर उनका कहना है एक झलक दिखाई तो दी, मगर इन नियुक्तियों से आगे का रोड मैप पूरी तरह से ओझल दिखाई दे रहा है. इसके बावजूद एक पक्षीय सोच के साथ प्रतिक्रिया आ रही है. उन्होंने कहा कि अभी देर नहीं हुई और मैं अपने अनुभव के आधार पर इस ज्ञान को सार्वजनिक किया है. ताकि भविष्य के लिए सनद रहेगी कि हरीश रावत ने सारी कड़वाहट और आलोचना झेलकर भी अपने कर्तव्य को निभाया.
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