भोपाल। राजधानी भोपाल के जाने-माने पर्यावरणविद सुभाष पांडे ने हरदा ब्लास्ट के मामले में एनजीटी सहित सरकार दोनों पर आरोप लगाया है. पर्यावरणविद ने कहा है कि 'हरदा में घटी घटना के बाद सरकार को और एनजीटी दोनों को इस मामले में सज्ञान लेना चाहिए था कि इस हादसे से पर्यावरण और वहां पास में ही मौजूद अजनाल नदी के जलीय जीवों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं, 5 साल से छोटे बच्चों व 75 साल के बुजुर्गों पर ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण की वजह से क्या प्रभाव पड़ेगा. इसके अलावा आने वाले वहां के मानव जीवन के साथ-साथ पशु-पछी व वन्य जीव के जीवन पर भी इस घटना का प्रभाव पड़ेगा.' इसको लेकर सुभाष पांडे अब आने वाले समय में इस पर एनजीटी कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
भविष्य में दिखेगा हरदा ब्लास्ट का असर
राजधानी भोपाल में पर्यावरण पर लंबे समय तक काम करने वाले सुभाषचंद्र पांडे ने कहा है कि 'हरदा में हुए विस्फोट के चलते और रासायनिक कचरा के चलते अजनाल नदी का पानी पूरी तरह से दूषित होने की आशंका है, चूकि अजनाल साल भर बहने वाली और नर्मदा की सहायक नदी है. इसके अलावा हरदा में पेयजल के तौर पर अजनाल नदी का पानी ही प्रयोग में किया जाता है. दस साल से नदी में रासायनिक कचरा प्रवाहित हो रहा है. अगर समय रहते राज्य सरकार इन विषयों पर ध्यान नहीं देती है, तो आने वाले समय में हरदा में जो पीढ़ी पैदा होगी. वह किसी न किसी असाध्य बीमारी की शिकार अवश्य होगी. उन्होंने भोपाल गैस कांड का हवाला देते हुए कहते है कि इस घटना के चालीस साल के बाद भी आज भी इसका प्रभाव देखने को मिलता है.'
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वायुमंडल में फैलेगी जहरीली गैस
हरदा में पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट को लेकर प्रदेश के पर्यावरणविदों का मानना है कि इसका मानवीय जीवन पर लंबे समय तक असर पड़ेगा. इस खतरनाक विस्फोट में सल्फरमोनो आक्साइड, कार्बनमोनो आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड सहित अन्य जहरीली गैसों के अलावा भारी धातुएं भी वायुमंडल में फैल गई हैं. जिससे हरदा में वायु, ध्वनि प्रदूषण व्यापक स्तर पर हुआ. जिसका लंबे समय तक मानवीय जीवन पर प्रभाव दिखाई देगा. पर्यावरणविद सुभाष चंद्र पांडे ने एनजीटी से मांग की है कि पर्यावरणविदों का एक विशेष दल हरदा भेजकर इस पूरे मामले की जांच कराएं और सरकार को पूरी रिपोर्ट पेश करें. जिससे राज्य सरकार वहां के लोगों के जीवन को देखते हुए स्वास्थ्य व्यवस्था में व्यापक सुधार करें.