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कहानी हाइफा हीरो की, तलवार और भाले के दम पर इजराइल के शहर को करवाया था आजाद - Major Dalpat Singh

प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान इजरायल के हाइफा शहर को तुर्की और जर्मन सेना जोधपुर लांसर के मेजर दलपत सिंह की पलटन ने तलवारों और भालों के दम पर वापस छुड़ाया था. इजरायल में 23 सितंबर को हाइफा हीरो दिवस भी मनाया जाता है. पढ़िए पूरी खबर

हाइफा हीरो को श्रद्धांजलि
हाइफा हीरो को श्रद्धांजलि (ETV Bharat Jodhpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 23, 2024, 5:15 PM IST

जोधपुर : इजराइल और हिजबुल्ला के बीच जबरदस्त जंग चल रही है. इजराइल के महत्वपूर्ण शहर हाइफा को निशाना बनाया जा रहा है. इसी हाइफा शहर को मारवाड़ के वीरों ने पहले विश्वयुद्ध में आजाद करवाया था, जिससे भारत और इजरायल के रिश्ते आज भी घनिष्ठ हैं. प्रथम विश्वयुद्ध 1914-18 के दौरान इजरायल के शहर हाइफा को तुर्की और जर्मन सेना ने अपने कब्जे में ले लिया था. इस शहर को जोधपुर लांसर के मेजर दलपत सिंह की पलटन ने तलवारों और भालों के दम पर वापस छुड़ाया था. इसके चलते मेजर को हाइफा हीरो की का नाम दिया गया है. इजरायल में 23 सितंबर को हाइफा हीरो दिवस भी मनाया जाता है. वहां के हाइफा चौक में एक शिलालेख भी लगा है. महज 26 वर्ष की उम्र में शहादत देने वाले मेजर दलपत सिंह के प्रति आज भी वहां के लोग कृतज्ञता रखते हैं. दिल्ली के त्रिमूर्ति भवन के सामने भी मेजर दलपत सिंह की मूर्ति लगी है. इसके अलावा लंदन की रॉयल गैलेरी में भी उनकी मूर्ति लगी हुई है.

इसलिए महत्वपूर्ण है हाइफा शहर : जोधपुर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष महेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि बंदरगाह होने की वजह से ब्रिटेन के लिए हाइफा बहुत महत्वपूर्ण शहर था, लेकिन तुर्की और जर्मन सेना ने हाइफा पर कब्जा कर लिया था. आज भी यह शहर इजराइल के चल रहे युद्ध में निशाने पर है. तब ब्रिटिश राज के हुकम पर जोधपुर लांसर सैन्य टूकड़ी जो विश्वयुद्ध में लड़ रही थी, उसे आदेश मिला कि हाइफा को आजाद करवाना है. इस दल का नेतृत्व मेजर दलपत सिंह कर रहे थे. उनके पास हथियारों में तलवार और भाले ज्यादा थे. इनके बूते ही उन्होंने तुर्की और जर्मन सेना से लोहा लेने की ठानी और पहाड़ी पर चढ़ीई शुरू की गई, लेकिन लगातार गोलीबारी से सफल नहीं हुए. इसके बाद उनकी टुकड़ी ने पहाड़ के पीछे से चढ़ना शुरू किया. जर्मन और तुर्की सैनिकों ने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा भी हो सकता है. मेजर दलपत सिंह के नेतृत्व में लड़ाई हुई. मशीनों के सामने तलवारें चली. 23 सितंबर 1918 के दिन कुछ घंटों में ही मेजर दलपत सिंह की पलटन ने ऑटोमन सेना को घुटनों पर ला दिया था, लेकिन इस युद्ध में खुद दलपत सिंह गंभीर घायल हो गए और जीत के बाद वे उसी दिन शहीद हो गए.

हाइफा हीरो को श्रद्धांजलि.
दिल्ली में इजराइल के राजदूत ने दी श्रद्धांजलि (ETV Bharat)

इसे भी पढ़ें- 501 दीप प्रज्जलित कर हाइफा हीरो मेजर दलपत सिंह देवली को दी श्रद्धां​जलि - Haifa Hero Major Dalpat Singh Devli

हाइफा हीरो को मिला मिलिट्री क्रॉस सम्मान : मेजर दलपत सिंह शेखावत का जन्म 26 जनवरी 1892 को देवली हाउस जो कि जोधपुर की वर्तमान एमबीएम इंजीनियरिंग विश्विविद्यालय परिसर है, वहां हुआ था. उनके पिता सेना में थे और पोलो के जाने माने खिलाड़ी थे. दलपत सिंह की उच्च शिक्षा इस्टबर्न कॉलेज इंग्लैंड में हुई. 18 वर्ष की आयु में पिता कर्नल हरि सिंह की तरह सेना में चले गए. उनकी नियुक्ति जोधपुर लांसर में हुई. हाइफा की लड़ाई से पहले मेजर ने 4 अगस्त 1914 को फ्रांस के विरुद्ध भी लड़ाई में भाग लिया था. हाइफा युद्ध के लिएम ब्रिटेन ने उन्हें मरणोपरांत मिलिट्री क्रॉस से सम्मानित किया था.

जोधपुर में किया हीरो को याद : मेजर दलपत सिंह शेखावत रावणा राजपूत समाज से आते हैं. जोधपुर में उनकी याद में एक स्मारक बनाया गया है, जहां पर सोमवार को भारतीय सेना और शहर वासियों ने उनको याद किया. उनकी वीरता को याद करते हुए उनके स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित किए. इस मौके पर जोधपुर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष महेंद्र सिंह राठौड़ पूर्व विधायक मनीष पवार सहित अन्य मोजूद रहे. इसी तरह से दिल्ली में इजरायल के राजदूत ने हाइफा वार मेमोरियल पर जाकर श्रद्धांजलि दी.

जोधपुर : इजराइल और हिजबुल्ला के बीच जबरदस्त जंग चल रही है. इजराइल के महत्वपूर्ण शहर हाइफा को निशाना बनाया जा रहा है. इसी हाइफा शहर को मारवाड़ के वीरों ने पहले विश्वयुद्ध में आजाद करवाया था, जिससे भारत और इजरायल के रिश्ते आज भी घनिष्ठ हैं. प्रथम विश्वयुद्ध 1914-18 के दौरान इजरायल के शहर हाइफा को तुर्की और जर्मन सेना ने अपने कब्जे में ले लिया था. इस शहर को जोधपुर लांसर के मेजर दलपत सिंह की पलटन ने तलवारों और भालों के दम पर वापस छुड़ाया था. इसके चलते मेजर को हाइफा हीरो की का नाम दिया गया है. इजरायल में 23 सितंबर को हाइफा हीरो दिवस भी मनाया जाता है. वहां के हाइफा चौक में एक शिलालेख भी लगा है. महज 26 वर्ष की उम्र में शहादत देने वाले मेजर दलपत सिंह के प्रति आज भी वहां के लोग कृतज्ञता रखते हैं. दिल्ली के त्रिमूर्ति भवन के सामने भी मेजर दलपत सिंह की मूर्ति लगी है. इसके अलावा लंदन की रॉयल गैलेरी में भी उनकी मूर्ति लगी हुई है.

इसलिए महत्वपूर्ण है हाइफा शहर : जोधपुर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष महेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि बंदरगाह होने की वजह से ब्रिटेन के लिए हाइफा बहुत महत्वपूर्ण शहर था, लेकिन तुर्की और जर्मन सेना ने हाइफा पर कब्जा कर लिया था. आज भी यह शहर इजराइल के चल रहे युद्ध में निशाने पर है. तब ब्रिटिश राज के हुकम पर जोधपुर लांसर सैन्य टूकड़ी जो विश्वयुद्ध में लड़ रही थी, उसे आदेश मिला कि हाइफा को आजाद करवाना है. इस दल का नेतृत्व मेजर दलपत सिंह कर रहे थे. उनके पास हथियारों में तलवार और भाले ज्यादा थे. इनके बूते ही उन्होंने तुर्की और जर्मन सेना से लोहा लेने की ठानी और पहाड़ी पर चढ़ीई शुरू की गई, लेकिन लगातार गोलीबारी से सफल नहीं हुए. इसके बाद उनकी टुकड़ी ने पहाड़ के पीछे से चढ़ना शुरू किया. जर्मन और तुर्की सैनिकों ने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा भी हो सकता है. मेजर दलपत सिंह के नेतृत्व में लड़ाई हुई. मशीनों के सामने तलवारें चली. 23 सितंबर 1918 के दिन कुछ घंटों में ही मेजर दलपत सिंह की पलटन ने ऑटोमन सेना को घुटनों पर ला दिया था, लेकिन इस युद्ध में खुद दलपत सिंह गंभीर घायल हो गए और जीत के बाद वे उसी दिन शहीद हो गए.

हाइफा हीरो को श्रद्धांजलि.
दिल्ली में इजराइल के राजदूत ने दी श्रद्धांजलि (ETV Bharat)

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हाइफा हीरो को मिला मिलिट्री क्रॉस सम्मान : मेजर दलपत सिंह शेखावत का जन्म 26 जनवरी 1892 को देवली हाउस जो कि जोधपुर की वर्तमान एमबीएम इंजीनियरिंग विश्विविद्यालय परिसर है, वहां हुआ था. उनके पिता सेना में थे और पोलो के जाने माने खिलाड़ी थे. दलपत सिंह की उच्च शिक्षा इस्टबर्न कॉलेज इंग्लैंड में हुई. 18 वर्ष की आयु में पिता कर्नल हरि सिंह की तरह सेना में चले गए. उनकी नियुक्ति जोधपुर लांसर में हुई. हाइफा की लड़ाई से पहले मेजर ने 4 अगस्त 1914 को फ्रांस के विरुद्ध भी लड़ाई में भाग लिया था. हाइफा युद्ध के लिएम ब्रिटेन ने उन्हें मरणोपरांत मिलिट्री क्रॉस से सम्मानित किया था.

जोधपुर में किया हीरो को याद : मेजर दलपत सिंह शेखावत रावणा राजपूत समाज से आते हैं. जोधपुर में उनकी याद में एक स्मारक बनाया गया है, जहां पर सोमवार को भारतीय सेना और शहर वासियों ने उनको याद किया. उनकी वीरता को याद करते हुए उनके स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित किए. इस मौके पर जोधपुर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष महेंद्र सिंह राठौड़ पूर्व विधायक मनीष पवार सहित अन्य मोजूद रहे. इसी तरह से दिल्ली में इजरायल के राजदूत ने हाइफा वार मेमोरियल पर जाकर श्रद्धांजलि दी.

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