रायपुर: एक गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान कब-कब और कौन सा वैक्सीन लगाया जाना चाहिए, वैक्सीन लगाने से गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु को कौन सी बीमारी या संक्रमण के खतरे से बचाया जा सकता है? गर्भावस्था के दौरान टिका लगाए जाते हैं, यह बात गर्भवती महिला भी जानती हैं, लेकिन कौन-कौन से टीका लगाते हैं. इसकी जानकारी महिलाओं को नहीं होती. ऐसे में अलग-अलग टाइम पर अलग-अलग वैक्सीन लगाया जाता है, जो गर्भ में पल रहे बच्चे और गर्भवती महिला के लिए बेहद जरूरी होता हैं.
आइए जानते हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना से कि गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान कौन-कौन से टीके लगाए जाते हैं.
जानिए क्या कहती हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने ईटीवी भारत को बताया, "भारत की हर महिला को पता होता है कि महिला गर्भवती होती है, तो उन्हें दो प्रकार के टीके लगाए जाते हैं, लेकिन क्यों लगाए जाते हैं? इसकी जानकारी उन्हें नहीं होती. टीका लगता है, इस बात की जानकारी महिलाओं को होती है, क्योंकि यह सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध रहता है. गर्भवती महिला को पहले टीटी का इंजेक्शन लगाया जाता था. इसके साथ ही दूसरा टीका गर्भवती महिला को एक से डेढ़ महीने के बाद लगाया जाता था. वर्तमान समय में टीटी के इंजेक्शन के बजाय टीडी वैक्सीन होता है, जिसमें टिटनेस के अलावा डेथ डिप्थीरिया के भी कुछ अंश पाए जाते हैं. जो गर्भ में पल रहे बच्चे को प्रोटेक्ट करता है. वर्तमान समय में टीडी वैक्सीन भारत सरकार की ओर से आंगनबाड़ी केंद्रों में उपलब्ध कराया कराया जाता है, जो पूरी तरह से नि:शुल्क होता है."
जैसे ही पता चलता है कि महिला गर्भवती हो गई है, उस समय टीडी का टीका लगाया जाना चाहिए. अगर ऐसा नहीं कर सकते हैं तो 16 से 18 हफ्ते के बीच में टीडी का पहला टीका लगाया जा सकता है. टीडी का वैक्सीन पहला टीका लगने के 1 महीने बाद लगाया जाना चाहिए. या फिर टी डेप नाम का वैक्सीन होता है, जिसे गर्भधारण के सातवें महीने पूरे करने या आठवां महीने शुरू के समय लगाया जाता है. या फिर 27 सप्ताह से 36 सप्ताह के बीच टी डेप का वैक्सीन लगाया जा सकता है. टी डेप भारत के लिए नया वैक्सीन है. लेकिन दूसरे देशों में पहले से प्रचलित है. यह वैक्सीन महंगी होने के कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या फिर आंगनबाड़ी केंद्रों में उपलब्ध नहीं है, लेकिन सभी प्राइवेट अस्पतालों में उपलब्ध है.-डॉक्टर सावेरी सक्सेना, स्त्री रोग विशेषज्ञ
टीडी वैक्सीन और टी डेप में काफी अंतर: स्त्री रोग विशेषज्ञ की मानें तो टीडी वैक्सीन और टी डेप में काफी अंतर है. टी डेप वैक्सीन में काली खांसी का भी टीका मौजूद रहता है. किसी भी नवजात शिशु को पैदा होने के पहले दो महीने में डीपीटी का टीका लगाया जाता है. काली खांसी का टीका लगाया जाता है. जन्म के 6 सप्ताह तक नवजात बच्चा काली खांसी से असुरक्षित रहते हैं. काली खांसी की वजह से नवजात बच्चे को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. शिशु मृत्यु दर भी इसमें से एक कारण है. टी डेप का टीका गर्भ में पल रहे शिशु और गर्भवती महिला को काली खांसी से प्रोटेक्ट करता है.