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ज्ञानवापी विवाद; हिंदू पक्ष का दावा- पहले हुआ सर्वे अधूरा, वजूखाने और गुंबद के नीचे ASI सर्वे कराने की मांग - GYANVAPI CONTROVERSY

ज्ञानवापी के मूलवाद की सुनवाई में हिंदू पक्ष के वकील ने कोर्ट में की बहस, वजूखाने और गुंबद के नीचे खुदाई करने की मांग की

ज्ञानवापी विवाद.
ज्ञानवापी विवाद. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 16, 2024, 4:34 PM IST

वाराणसी: ज्ञानवापी मामले के मूल वाद 1991 आदि विशेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के प्रकरण को लेकर बुधवार को सीनियर जज सिविल डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हुई. मुस्लिम पक्ष ने अपनी बहस पहले ही पूरी कर ली थी. इयुगुल शम्भू की कोर्ट में आज हिंदू पक्ष को अपनी बहस को आगे बढ़ाना था. वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने पूरे परिसर के पुनः पुरातत्व सर्वेक्षण को लेकर बहस को आगे बढ़ाया गया.

अगली सुनवाई 19 को होगीः हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने श्रृंगार गौरी मामले में किए गए सर्वे को अधूरा बताते हुए मुख्य गुंबद के नीचे आदि विशेश्वर विराजमान होने की बात कही. इसके साथ ही मुख्य गुंबद से 100 मीटर की दूरी पर खुदाई करके रडार तकनीक के जरिए उस स्थान पर पहुंचकर नीचे वर्तमान स्थिति का पता लगाने की गुजारिश की है. इसके अलावा वजूखाने के अंदर मिले कथित शिवलिंग और उसके आसपास के एरिया के भी पुरातत्व सर्वेक्षण की मांग को रखा. हालांकि इस मामले में मुस्लिम दो दिन पहले विरोध करते हुए अपनी बहन को पुनः करने की बात कही है. जिस पर 19 अक्टूबर को कोर्ट ने अगली तिथि निर्धारित की है.

हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने दी जानकारी. (Video Credit; ETV Bharat)

रडार तकनीक से स्थिति का पता लगाया जाएः हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन मामले को लेकर जो पुरातत्व सर्वेक्षण हुआ है, वह अधूरा है. बहुत से ऐसे स्थान है, जहां सर्वे हुआ ही नहीं है. बहुत ऐसे स्थान हैं, जहां खुदाई के बाद ही चीज स्पष्ट हो पाएंगे. हालांकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि पहले हाई कोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने खुदाई पर रोक लगाई है और यह स्पष्ट किया है कि स्ट्रक्चर काफी पुराना है और खुदाई से इसको क्षति पहुंच सकती है. हिंदू पक्ष के अधिवक्ता वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि वह भी चाहते हैं कि स्ट्रक्चर को कोई नुकसान ना हो, इसलिए मुख्य गुंबद के नीचे जहां मुख्य आदि विशेश्वर शिवलिंग के होने का अनुमान है, उससे 100 मीटर दूर एक गड्ढा करके रडार तकनीक के जरिए वहां तक पहुंचा जाए और वर्तमान स्थिति जानने की कोशिश की जाए.

विजय शंकर रस्तोगी का कहना कि बिना खुदाई के यह पता किया जाना संभव नहीं है कि की स्थिति क्या है. उन्होंने कहा कि इस मामले में अभी मुस्लिम पक्ष ने पुनः बहस की अनुमति मांगी है. जिस पर कोर्ट ने 19 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की है. इसके पहले 8 अक्टूबर को अंजुमन इंतजामियां कमेटी के अधिवक्ताओं की तरफ से अपनी दलीलें पेश की गई थी. जिसमें हिंदू पक्षी की तरफ से की गई पुनः सर्वे और खुदाई की अपील को गलत बताते हुए इसे उचित नहीं बताया था.

वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी का कहना है कि एएसआई ने ज्ञानवापी के आराजी संख्या 9130 का सर्वे किया है. लेकिन विवादित परिसर में स्थित वजूखाने और कमीशन की कार्रवाई में मिले शिवलिंग के स्थान का निरीक्षण किया ही नहीं किया है. रिपोर्ट में इसका उल्लेख ही नहीं है. जो स्पष्ट करता है कि पूरे परिसर का सर्वे अभी पूरा नहीं हुआ है. इसलिए एएसआई ने भी सर्वे को अधूरा बताया है. दलील में यह भी कहा गया है कि विधिवत मशीनों का प्रयोग नहीं किया गया और खुदाई से अवशेषों की तलाश नहीं की गई है. इसलिए यह चीज जरूरी है और सर्वे जब तक पूरी तरह से परिसर का नहीं हो जाएगा, तब तक अपनी बातों को साबित करना संभव है.

बता दें कि स्वयंभू विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग की तरफ से स्वर्गीय पंडित सोमनाथ व्यास, डॉ राम रंग शर्मा और स्वर्गीय हरिहर पांडेय द्वारा दाखिल मुकदमे में वाद मित्र के तौर पर विजय शंकर रस्तोगी इस पूरे मुकदमे को देख रहे हैं और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की तरफ से जांच की मांग उन्हीं के प्रार्थना पत्र पर की गई है अब 19 तारीख को कोर्ट में मुस्लिम पक्ष अपनी बातों को रखेगा.

इसे भी पढ़ें-ज्ञानवापी प्रकरण : पुनः परिसर के सर्वे को लेकर हुई सुनवाई, 16 अक्टूबर को मुस्लिम पक्ष रखेगा अपनी बात

वाराणसी: ज्ञानवापी मामले के मूल वाद 1991 आदि विशेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के प्रकरण को लेकर बुधवार को सीनियर जज सिविल डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हुई. मुस्लिम पक्ष ने अपनी बहस पहले ही पूरी कर ली थी. इयुगुल शम्भू की कोर्ट में आज हिंदू पक्ष को अपनी बहस को आगे बढ़ाना था. वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने पूरे परिसर के पुनः पुरातत्व सर्वेक्षण को लेकर बहस को आगे बढ़ाया गया.

अगली सुनवाई 19 को होगीः हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने श्रृंगार गौरी मामले में किए गए सर्वे को अधूरा बताते हुए मुख्य गुंबद के नीचे आदि विशेश्वर विराजमान होने की बात कही. इसके साथ ही मुख्य गुंबद से 100 मीटर की दूरी पर खुदाई करके रडार तकनीक के जरिए उस स्थान पर पहुंचकर नीचे वर्तमान स्थिति का पता लगाने की गुजारिश की है. इसके अलावा वजूखाने के अंदर मिले कथित शिवलिंग और उसके आसपास के एरिया के भी पुरातत्व सर्वेक्षण की मांग को रखा. हालांकि इस मामले में मुस्लिम दो दिन पहले विरोध करते हुए अपनी बहन को पुनः करने की बात कही है. जिस पर 19 अक्टूबर को कोर्ट ने अगली तिथि निर्धारित की है.

हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने दी जानकारी. (Video Credit; ETV Bharat)

रडार तकनीक से स्थिति का पता लगाया जाएः हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन मामले को लेकर जो पुरातत्व सर्वेक्षण हुआ है, वह अधूरा है. बहुत से ऐसे स्थान है, जहां सर्वे हुआ ही नहीं है. बहुत ऐसे स्थान हैं, जहां खुदाई के बाद ही चीज स्पष्ट हो पाएंगे. हालांकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि पहले हाई कोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने खुदाई पर रोक लगाई है और यह स्पष्ट किया है कि स्ट्रक्चर काफी पुराना है और खुदाई से इसको क्षति पहुंच सकती है. हिंदू पक्ष के अधिवक्ता वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि वह भी चाहते हैं कि स्ट्रक्चर को कोई नुकसान ना हो, इसलिए मुख्य गुंबद के नीचे जहां मुख्य आदि विशेश्वर शिवलिंग के होने का अनुमान है, उससे 100 मीटर दूर एक गड्ढा करके रडार तकनीक के जरिए वहां तक पहुंचा जाए और वर्तमान स्थिति जानने की कोशिश की जाए.

विजय शंकर रस्तोगी का कहना कि बिना खुदाई के यह पता किया जाना संभव नहीं है कि की स्थिति क्या है. उन्होंने कहा कि इस मामले में अभी मुस्लिम पक्ष ने पुनः बहस की अनुमति मांगी है. जिस पर कोर्ट ने 19 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की है. इसके पहले 8 अक्टूबर को अंजुमन इंतजामियां कमेटी के अधिवक्ताओं की तरफ से अपनी दलीलें पेश की गई थी. जिसमें हिंदू पक्षी की तरफ से की गई पुनः सर्वे और खुदाई की अपील को गलत बताते हुए इसे उचित नहीं बताया था.

वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी का कहना है कि एएसआई ने ज्ञानवापी के आराजी संख्या 9130 का सर्वे किया है. लेकिन विवादित परिसर में स्थित वजूखाने और कमीशन की कार्रवाई में मिले शिवलिंग के स्थान का निरीक्षण किया ही नहीं किया है. रिपोर्ट में इसका उल्लेख ही नहीं है. जो स्पष्ट करता है कि पूरे परिसर का सर्वे अभी पूरा नहीं हुआ है. इसलिए एएसआई ने भी सर्वे को अधूरा बताया है. दलील में यह भी कहा गया है कि विधिवत मशीनों का प्रयोग नहीं किया गया और खुदाई से अवशेषों की तलाश नहीं की गई है. इसलिए यह चीज जरूरी है और सर्वे जब तक पूरी तरह से परिसर का नहीं हो जाएगा, तब तक अपनी बातों को साबित करना संभव है.

बता दें कि स्वयंभू विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग की तरफ से स्वर्गीय पंडित सोमनाथ व्यास, डॉ राम रंग शर्मा और स्वर्गीय हरिहर पांडेय द्वारा दाखिल मुकदमे में वाद मित्र के तौर पर विजय शंकर रस्तोगी इस पूरे मुकदमे को देख रहे हैं और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की तरफ से जांच की मांग उन्हीं के प्रार्थना पत्र पर की गई है अब 19 तारीख को कोर्ट में मुस्लिम पक्ष अपनी बातों को रखेगा.

इसे भी पढ़ें-ज्ञानवापी प्रकरण : पुनः परिसर के सर्वे को लेकर हुई सुनवाई, 16 अक्टूबर को मुस्लिम पक्ष रखेगा अपनी बात

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